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निर्भया रेप केस: डेथ वॉरंट पर टली सुनवाई, दोषियों को फांसी में देरी

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्भया केस में दोषी अक्षय ठाकुर की फांसी पर दायर पुनर्विचार याचिका से खारिज कर दी। इसके बाद अब सबकी निगाहें पटियाला हाउस कोर्ट पर टिकी थीं। पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के डेथ वॉरंट पर फैसला 7 जनवरी तक के लिए टाल दिया है।

Dharmendra kumar
Published on: 18 Dec 2019 12:47 PM IST
निर्भया रेप केस: डेथ वॉरंट पर टली सुनवाई, दोषियों को फांसी में देरी
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को निर्भया केस में दोषी अक्षय ठाकुर की फांसी पर दायर पुनर्विचार याचिका से खारिज कर दी। इसके बाद अब सबकी निगाहें पटियाला हाउस कोर्ट पर टिकी थीं। पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषियों के डेथ वॉरंट पर फैसला 7 जनवरी तक के लिए टाल दिया है। निर्भया के माता-पिता ने चारों दोषियों को जल्द-से-जल्द फांस दिए जाने की मांग के साथ कोर्ट से डेथ वॉरंट जारी करने की गुहार लगाई थी।

कोर्ट ने कहा कि चारों दोषियों को जेल प्रशासन नोटिस जारी करे। पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा कि दोषी अपने बचे सभी कानूनी अधिकार इस्तेमाल कर सकते हैं। कोर्ट में सुनवाई टलने के बाद अब निर्भया के दोषियों की फांसी कुछ और समय के लिए टल गई है।

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कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया के वे एक सप्ताह के भीतर दोषियों को नोटिस जारी कर उनसे पूछे कि क्या वे दया याचिका दाखिल करना चाहते हैं। कोर्ट ने निर्भया की मां से कहा कि हमें आपसे पूरी सहानुभूति है। हमें मालूम है कि किसी की मौत हुई है, लेकिन यहां किसी अन्य के अधिकार की भी बात है। हम यहां आपको सुनने के लिए आए हैं लेकिन हम भी कानून से बंधे हैं।

सरकारी वकील ने अपनी दलील में कहा था कि दया याचिका लंबित रहने या फिर दोषी दया याचिका दाखिल करना चाहते हैं, ये तथ्य कोर्ट को डेथ वॉरंट जारी करने से नहीं रोक सकते।

SC ने खारिज की याचिका

सुप्रीम कोर्ट ने दोषी अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। फैसला सुनाते हुए जस्टिस भानुमति ने कहा कि ट्रायल और जांच सही हुई है और उसमें कोई कमी नहीं है। मृत्यु दंड का सवाल है तो उसमें कोर्ट ने बचाव का पूरा मौका दिया है। जज ने कहा कि हमें याचिका में कोई ग्राउंड नहीं मिला है।

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तो वहीं दोषियों के वकील ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर करने की बात कही है। वकील एपी सिंह ने बताया कि वो क्यूरेटिव पिटीशन दायर करेंगे। सिंह ने बताया कि क्यूरेटिव पिटीशन के बाद ही उनकी तरफ से दया याचिका लगाई जाएगी।

बता दें कि चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने इस मामले की सुनवाई से अपने आप को अलग कर लिया है जिसके बाद जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठने बुधवार को इस मामले पर सुनवाई की। इस पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अक्षय के वकील एपी सिंह ने जांच पर सवाल खड़े किए। वकील एपी सिंह ने तिहाड़ के जेलर सुनील गुप्ता की किताब का जिक्र किया। सिंह ने कहा कि किताब के मुताबिक राम सिंह की आत्महत्या पर भी सवाल उठाए गए थे। इस पर जस्टिस अशोक भूषण ने कहा कि ट्रायल पूरी होने के बाद कोई किताब लिखे ये खतरनाक ट्रेंड है। उन्होंने ट्रायल के दौरान क्यों नहीं बताई? बाद में कोई कुछ भी लिख दे इसका कोई मतलब।

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दोषी अक्षय ने यह भी कहा कि मुझे फांसी इसलिए दी जा रही है, क्योंकि मैं गरीब हूं। इस मामले में सब कुछ राजनीतिक एजेंडे की तरह हो रहा है। वकील ने याचिका पढ़ते हुए वेद, पुराण, त्रेता युग का जिक्र किया और कहा कि कलयुग में लोग केवल 60 साल तक जीते हैं जबकि दूसरे युग में कहीं ज्यादा।

निर्भया केस की पुनर्विचार याचिका पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पुनर्विचार याचिका को खारिज कर देना चाहिए। इस मामले में निचली अदालत, हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है, ऐसे में इस याचिका को भी खारिज करना चाहिए। तुषार मेहता ने कहा कि ये मामला फांसी का फिट केस है, क्योंकि यह मानवता के खिलाफ हमला था। उन्होंने कहा कि इस केस में बिना देरी के तुरंत फैसला होना चाहिए।

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बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को राजधानी दिल्ली में गैंगरेप और हत्या की घटना से पूरा देश में आक्रोश फैल गया था। दिल्ली के साकेत कोर्ट ने मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को दोषी पाया। तब तक एक अन्य आरोपी रामसिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर जान दे दी थी। एक अन्य आरोपी को नाबालिग होने का फायदा मिला और वह तीन साल की सजा काटकर छूट गया।



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Dharmendra kumar

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