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निर्भया के दोषियों ने जेल में ऐसे कमाए लाखों, जानिए कौन है इन पैसों का हकदार
आज सात साल बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिल ही गया। शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को सूली पर चढ़ाया गया। तिहाड़ जेल के फांसी घर में निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी गई।
नई दिल्ली: आज सात साल बाद आखिरकार निर्भया को इंसाफ मिल ही गया। शुक्रवार सुबह ठीक 5.30 बजे निर्भया के चारों दोषियों को सूली पर चढ़ाया गया। तिहाड़ जेल के फांसी घर में निर्भया के चारों दोषियों को फांसी दी गई। निर्भया के चारों दोषियों विनय, अक्षय, मुकेश और पवन गुप्ता को एक साथ फांसी के फंदे पर लटकाया गया।
जेल में रहने के दौरान कमाए 1.37 लाख रूपये
निर्भया के दोषी फांसी के फंदे पर लटकने से पहले कई साल तक जेल में बंद रहे और इस दौरान उन्होंने 1 लाख 37 हजार रूपये कमाए थे। ये पैसे दोषियों ने काम करके कमाए थे। हालांकि अब ये सवाल उठ रहा है कि दोषियों के ये पैसे किसे मिलेंगे।
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किसको मिलेंगे दोषियों के पैसे
इस संबंध में तिहाड़ जेल प्रशासन ने बताया कि निर्भया के दोषियों ने जेल में काम करके 1 लाख 37 हजार कमाए थे। हालांकि इस दौरान मुकेश ने कोई काम नहीं किया था। जबकि अक्षय कुमार ने 69 हजार रूपये कमाए, पवन ने 29 हजार रुपये और विनय ने 39 हजार रुपये कमाए थे। अब दोषियों के पैसों को उनको परिवार वालों को दे दिया जाएगा। इसके अलावा चारों दोषियों के कपड़े और सामान भी घरवालों को दे दिए जाएंगे।
लोगों ने मिठाई बांटकर मनाया जश्न
दोषियों को फांसी देने के बाद तिहाड़ जेल के बाहर भीड़ इकट्ठा हो गई, जिसने मिठाई बांटकर जश्न मनाया और साथ ही निर्भया जिंदाबाद के नारे भी लगाए। मामले के चारों दोषियों को कोर्ट द्वारा जारी किए गए डेथ वारंट के समय के मुताबिक ही फांसी दी घई। वहीं तिहाड़ जेल के बाहर इकट्ठे हुए लोगों ने कहा कि ये न्याय की सुबह है, निर्भया के साथ इंसाफ करने के लिए कोर्ट का शुक्रिया अदा भी किया।
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फांसी पर लटकाने के बाद चारों दोषियों के शव को दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है। DDU हॉस्पिटल में पांच सदस्यीय मेडिकल टीम शवों का पोस्टमार्टम करेगी, जिसकी अगुवाई क्टर बीएन मिश्रा करेंगे। इसके बाद चारों शवों को उनके परिवार वालों को सौंपा जाएगा। अगर परिवार वाले शव लेने से मना करते हैं तो तिहाड़ जेल प्रशासन ही उनका अंतिम संस्कार करेगा।
2012 का वो वारदात, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया
साल 2012 की बात है जब, दिल्ली में 16-17 दिसंबर की रात एक चलती बस में 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा के साथ छह लोगों ने बेरहमी के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। यहीं नहीं इस हैवानियत की वजह से निर्भया की आंतें शरीर से बाहर निकल आईं। खून से लथपथ लड़की जिंदगी और मौत से जूझ रही थी।
बाद में उन शैतानों ने निर्भया और उसके साथी को दक्षिण दिल्ली के महिपालपुर के नजदीक वसंत विहार इलाके में चलती बस से फेंक दिया था। जिसके बाद उसे पीड़ित लड़की को नाजुक हालत में दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया।
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29 दिसंबर को तोड़ा दिया था दम
निर्भया की हालत संभल नहीं रही थी। लिहाजा उसे सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 29 दिसंबर को निर्भया ने रात के करीब सवा दो बजे वहां दम तोड़ दिया था। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। पूरे देश में दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग हो रही थी।
अब सात साल की लंबी कानूनी लड़ाई के बाद चारों दोषियों अक्षय, पवन, मुकेश और विनय को आज फांसी दे दी गई। बता दें कि इस मामले के एक दोषी राम सिंह ने पहले ही खुदकुशी कर ली थी और एक अन्य आरोपी नाबालिग साबित हुआ था। उसे 3 साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया था।
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