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क्या है गुट-निरपेक्ष आंदोलन, जिसके सम्मेलन को आज संबोधित करेंगे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को गुट-निरपेक्ष देशों के सम्मेलन को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करेंगे। जिसमें कोरोना वायरस के खिलाफ संयुक्त लड़ाई लड़ने पर चर्चा की जाएगी।
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को गुट-निरपेक्ष देशों के सम्मेलन को विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये संबोधित करेंगे। जिसमें कोरोना वायरस के खिलाफ संयुक्त लड़ाई लड़ने पर चर्चा की जाएगी। इस दौरान वह इस बीमारी के खिलाफ भारत की रणनीति के बारे में भी बताएंगे। प्रधानमंत्री इससे पहले गुट-निरपेक्ष देशों के सम्मेलन में हिस्सा लेने को टालते रहे हैं।
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गुट निरपेक्ष क्या होता है?
गुटनिरपेक्ष आंदोलन (नॉन एलाइनमेंट मूवमेंट) राष्ट्रों की एक अंतराराष्ट्रीय संस्था है। यह आंदोलन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति गमाल अब्दुल नासर और युगोस्लाविया के राष्ट्रपति जोसिप ब्रॉज टीटो ने शुरू किया था। इसकी स्थापना अप्रैल1961 में हुई थी। इस बनाने का विचार 1950 में आया था।
संयुक्त राष्ट्र संंघ (यूएन) के बाद देश की सदस्यता के मामले में नॉन एलाइनमेंट मूवमेंट विश्व स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा प्लेटफॉर्म है। वर्तमान में अब तक इस संगठन के 120 सदस्य और 17 पर्यवेक्षक देश हैं।
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क्या था गुट निरपेक्ष आंदोलन का उद्देश्य
दूसरे विश्व युद्ध के खत्म होने के बाद दुनिया अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ (अब रूस) के नेतृत्व तले दो गुटों में बंट गई थी। अमेरिका वाला खेमा पूंजीवादी नीतियों का पोषक और समर्थक माना जाता था तो सोवियत संघ का खेमा समाजवादी नीतियों को मानने वाला था।
उस समय दुनिया के कई देश आजाद हुए थे और अपने विकास और दूसरे देशों के साथ संबंधों के लिए नीति निर्धारण कर रहे थे। इन देशों ने तय किया कि वे किसी एक गुट में शामिल होकर दूसरे गुट के बरक्स खड़े होने की बजाए गुट निरपेक्ष रहेंगे ताकि उनके संबंध किसी से खराब न हों। इस आंदोलन में एशिया, लैटिन अमेरिका और अफ्रीकी देश शामिल थे।
गुटनिरपेक्ष राष्ट्रों की राष्ट्रीय स्वतंत्रता, क्षेत्रीय एकता एवं सुरक्षा को साम्राज्यवाद, जातिवाद, रंगभेद एवं विदेशी आक्रमण, सैन्य हमले, हस्तक्षेप आदि मामलों के विरुद्ध उनके युद्ध के दौरान सुनिश्चित करना है। इसके साथ ही किसी पावर ब्लॉक के पक्ष या विरोध में ना होकर निष्पक्ष रहना है।
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