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नीतीश कुमार का सच्चा दोस्त कौन- नरेंद्र मोदी या लालू यादव?
नीतीश कुमार को अपना दोस्त कहने वाले पीएम मोदी और समय समय पर अपनी दोस्ती की याद दिलाने वाले लालू प्रसाद यादव में से नीतीश का सच्चा दोस्त कौन है?
शिवानी अवस्थी
लखनऊ: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का आज जन्मदिन है। पीएम मोदी ने अपने दोस्त नीतीश कुमार को जन्मदिन की बधाई दी तो वहीं लालू के खेमे से भी शुभकामनाएं आ रही हैं। ऐसे में आरजेडी और भाजपा के साथ गठबंधन से लगातार सत्ता में आ रहे नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव 2020 में किसका हाथ थामेंगे, ये सवाल राजनीतिक गलियारें में चर्चा का विषय है।
चुनाव में क्या होगा ये तो बाद कि बात है लेकिन पहला सवाल तो ये बनता है कि नीतीश को अपना दोस्त कहने वाले पीएम मोदी और समय समय पर अपनी दोस्ती की याद दिलाने वाले लालू प्रसाद यादव में से नीतीश का सच्चा दोस्त कौन है?
पीएम मोदी और नीतीश की दोस्ती पुरानी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार का साथ काफी पुराना है। एक समय ऐसा भी आया जब दोनों के बीच दरार आ गयी लेकिन सत्ता की चाहत उन्हें फिर एक साथ ले आई।
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राजनीति में एक साथ मोदी-नीतीश ने छुआ आसमान:
दरअसल, साल 1995 में नरेंद्र मोदी जब बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के करीब आ रहे थे, उसी वक्त नीतीश कुमार की समता पार्टी भी NDA का हिस्सा बन रही थी। बिहार में करारी हार एक बाद 1996 में नीतीश कुमार को बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव रहे मोदी का साथ उन दिनों हुए चुनाव में मिला।
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बाद में समता पार्टी का जेडीयू में विलय हो गया। लेकिन दोनों को एक दूसरे का साथ रास आ गया।
17 साल तक दोनों ने निभाई दोस्ती:
दोनों का रिश्ता 17 सालों तक चला। इधर मोदी का कद पार्टी और राजनीति में बढ़ता गया तो नीतीश भी भाजपा के साथ से लगातार 5 बार बिहार के सीएम और अटल सरकार में केंद्र तक पहुंच गये। लेकिन कहते हैं न कि अपने हित और स्वार्थ से रिश्तों में भी कभी न कभी खटास आ ही जाती है। मोदी और नीतीश के बीच पीएम पद के लिए प्रतिस्पर्था शुरू हो गयी।
गुजरात दंगों के बाद मोदी-नीतीश के बीच टकराव:
मोदी-नीतीश के रिश्तों में तनातनी की शुरुआत 2013 में गुजरात दंगों से शुरू हुई। उस समय नीतीश केंद्र में मंत्री और नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। बाद में नीतीश को बिहार में लालू और कांग्रेस का साथ मिल गया और उन्होंने भाजपा से दूरी बना ली।
मोदी लहर को रोकने के लिए आरजेडी-कांग्रेस से मिलाया नीतीश ने हाथ:
2014 में मोदी की लहर को रोकने के लिए नीतीश और लालू एक साथ आए। JDU, कांग्रेस और RJD महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव (2015) में शानदार जीत दर्ज कराई।
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2014 में मोदी के देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद नीतीश ने बिहार के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया। नीतीश ने यह इस्तीफा जेडीयू के उम्मीदवारों की हार की जिम्मेदारी लेते हुए दिया था।
एक बार फिर आये दोनों दोस्त एक साथ:
हालात फिर बदले, जब प्रधानमंत्री मोदी ने नीतीश के शराबबंदी के फैसले की सार्वजनिक तौर पर तारीफ की। नीतीश ने भी गुजरात में शराबबंदी के सफल फैसले के लिए मोदी की तारीफ की। बाद में दोनों फिर एक साथ आ गये।
लालू संग नीतीश की दोस्ती, जैसे जय-वीरू का साथ
बिहार की राजनीति में लालू यादव और नीतीश कुमार का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है। ये वो दो नेता हैं, जो कभी साथ, तो कभी एक दूसरे के सामने खड़े हो जाते हैं। बावजूद इसके इन्हें 'जय और वीरू' की जोड़ी कहा जाता है।
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नीतीश की मदद से लालू पहली बार बने थे सीएम:
लालू यादव जब पहली बार बिहार के सीएम बने तो नीतीश कुमार ने लालू का पूरा साथ दिया। 1990 में जनता दल को बहुमत मिला। सीएम की दौड़ जीतने में लालू की मदद की नीतीश ने। फिर नीतीश लालू के अहम सलाहकार बन गये।
दोस्ती में कई बार आया उतार-चढ़ाव:
दोनों के बीच 1994 में मन मुटाव हुआ। कहा जाता है कि ट्रांसफर पोस्टिंग के भ्रष्टाचार को लेकर नीतीश लालू से नाराज हो गये और बगावती खेमे में शामिल हो गये।
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1997 में चारा घोटाले में सीबीआई जांच के बाद सत्ता से हाथ धोने वाले लालू को सलाखों के पीछे तक पहुंचाने में नीतीश का ही हाथ था। हालाँकि लालू ने पत्नी राबड़ी को बिहार की सत्ता तक पहुंचा दिया।
नीतीश ने भी साल 2003 में आरजेडी के खिलाफ शरद पवार की जनता दल से अपनी समता पार्टी का विलय कर जनता दल यूनाईटेड का गठन किया।
मोदी के खिलाफ नीतीश-लालू की दोस्ती हुई चुनावी परीक्षा में पास
लेकिन दोनों फिर साथ आये। साल 2015 में मोदी लहर को रोकने के लिए बाँध की तरह एक दूसरे के साथ आये नीतीश और लालू की जोड़ी ने बिहार विधानसभा चुनाव जीत लिया। सत्ता लालू के हाथ से नीतीश के पास आ गयी।
हालाँकि दोनों के रिश्तों में उठा-पटक लगी रही। साल 2016 में जब नीतीश ने पीएम मोदी के सर्जिकल स्ट्राइक और नोटबंदी का समर्थन किया तो उन्होंने खुले तौर पर लालू से दूर जाने और मोदी से दोस्ती निभाने का एलान कर दिया।