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Online Scam: चीनियों ने भारतीयों के साथ मिलकर 712 करोड़ ठग लिए, लखनऊ का भी कनेक्शन
Online Scam: भारत में सबसे बड़ी ऑनलाइन घोटालों में से एक का पर्दाफाश हुआ है। जिस ऑनलाइन स्कैम का भंडाफोड़ किया गया है उसके शिकार कम से कम 15,000 हुए हैं।
Online Scam: भारत में सबसे बड़ी ऑनलाइन घोटालों में से एक का पर्दाफाश हुआ है। ये उसी तरह का स्कैम है जिसके बारे में न्यूज़ट्रैक ने कई खबरें दी हैं और आगाह किया है। जिस ऑनलाइन स्कैम का भंडाफोड़ किया गया है उसके शिकार कम से कम 15,000 हुए हैं। चीनी हैंडलर्स से जुड़े इस स्कैम में एक साल से भी कम समय में सामूहिक रूप से 712 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की गई है। स्कैम की रकम हिजबोल्लाह जैसे आतंकी गुटों तक पहुंचा दी गई।
क्या था स्कैम
इस स्कैम में लोगों को आसानी से पैसा कमाने का लालच दिया जाता था। उन्हें मामूली काम दिया जाता - गूगल रिव्यु लिखना, यूट्यूब वीडियो लाइक और सब्सक्राइब करना आदि। ऐसे काम के लिए बढ़िया पैसा मिलने का सपना दिखाया जाता। ये जाल ऐसा था कि शिकार पैसा पाने की बजाए खुद ही पैसा लगाने लगते थे।
हैदराबाद में पर्दाफाश
इस स्कैम का पर्दाफाश हैदराबाद में हुआ जहां एक व्यक्ति ने पुलिस में शिकायत की कि उसके साथ 28 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई है, जिसके बाद स्थानीय अपराध शाखा ने जांच शुरू की। एक बार जांच शुरू होने पर, हैदराबाद पुलिस को पता चला कि इस ऑनलाइन धोखाधड़ी के कारोबार में ढेरों लोग शामिल हैं।
कैसे काम करता था स्कैम
लोगों को लालच दिया गया कि मोटी रकम कमाने के लिए उन्हें अपना पैसा निवेश करना होगा। लोगों को शुरू में छोटे-छोटे कामों के लिए थोड़ा बहुत पेमेंट किया जाता जिसके बाद उनसे ऊंचे रिटर्न के लिए पैसा निवेश करना शुरू करने के लिए कहा गया।
निवेश की शुरुआत 5,000 रुपये से हुई और रिटर्न इस रकम से दोगुना तक पहुंच गया। फिर घोटालेबाजों ने लोगों से बड़ी रकम निवेश करने के लिए कहा जो लाखों रुपये तक पहुंच गई। घोटालेबाजों ने एक फर्जी वॉलेट विंडो भी बना रखी थी जिसमें लोगों द्वारा निवेश किए गए पैसे का रिटर्न दिखाया गया था। लोगों को अपने ऑनलाइन एकाउंट में मोटी मोटी रकमें नजर आती थीं लेकिन समस्या यह थी कि लोगों को तब तक पैसे निकालने की अनुमति नहीं थी जब तक कि वे सभी दिए गए असाइनमेंट पूरा नहीं कर लेते। असाइनमेंट पूरा करने पर उसमें मीनमेख निकाल कर उसे रिजेक्ट कर दिया जाता था।
48 बैंक खाते
पुलिस की प्रारंभिक जांच में पता चला कि घोटालेबाजों ने शेल कंपनियों के रूप में 48 बैंक खाते खोले थे और कुल 584 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया था। बाद में पता चला कि लोगों से 128 करोड़ रुपये और ठगे गए थे और इस घोटाले में 113 बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया था।
9 लोग गिरफ्तार
जांच में पता चला है कि स्कैम का पैसा कई खातों से होते हुए दुबई के रास्ते चीन पहुंचा और बाद में क्रिप्टोकरेंसी में बदल गया। हैदराबाद पुलिस ने पाया कि कुछ पैसे लेबनान स्थित आतंकवादी समूह हिजबुल्लाह के खाते में भी भेजे गए थे। अब तक कुल नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
लखनऊ से भी गिरफ्तारी
गिरफ्तार किए गए व्यक्ति हैं : प्रकाश मूलचंदभाई प्रजापति, कुमार प्रजापति, नईमुद्दीन वहीदुद्दीन शेख, गगन कुमार सोनी, परवीज़ उर्फ गुड्डू, शमीर खान, मोहम्मद मुनव्वर, शाह सुमैर और अरुल दास। पुलिस ने कहा कि आरोपी मुंबई, लखनऊ, गुजरात और हैदराबाद से हैं और उनका दुबई और चीन के घोटालेबाजों से संबंध होने का संदेह है। कुछ चीनी नागरिक मास्टरमाइंड थे जो टेलीग्राम पर संदेश भेजकर इस स्कैम को चला रहे थे।
और क्या पता चला
पुलिस को पता चला कि लोगों से ठगा गया पैसा छह खातों में ट्रांसफर किया गया था, जिनमें से एक को राधिका मार्केटिंग के नाम से रखा गया था जिसे हैदराबाद से मुनव्वर द्वारा मैनेज किया गया था। वहां से, इस पैसे को कई अन्य भारतीय बैंक खातों में और अंत में दुबई में ट्रांसफ़र कर दिया गया, जहां इस धन का उपयोग क्रिप्टोकरेंसी खरीदने के लिए किया गया था।
33 फर्जी कंपनियां
जांच के दौरान यह पता चला कि लखनऊ के रहने वाले मनीष, विकास और राजेश के निर्देश पर मुनव्वर, अरुल दास, शाह सुमैर और शमीर खान लखनऊ गये। ये लोग 2 लाख रुपये प्रति खाता की पेशकश के बदले में फर्जी बिजनसों के नाम पर बैंक खाते खोलने के लिए लखनऊ गए थे। उन्होंने 33 शेल कंपनियां और 61 खाते खोले और उसे मनीष को सौंप दिया।
मनीष ने गगन को कंपनियों की वेब डिजाइनिंग के लिए और नईम को खाताधारकों के साथ कोआर्डिनेशन के लिए काम पर रखा था। खाते खोलने के बाद उसने उन्हें प्रकाश प्रजापति के सहयोगी कुमार प्रजापति को बेच दिया। पुलिस के अनुसार, प्रकाश प्रजापति अहमदाबाद का निवासी है और चीनी हैंडलर्स ली लू गुआंगज़ौ, नान ये और केविन जून से जुड़ा हुआ है। वह भारतीय बैंक खातों की सप्लाई के लिए चीनियों के साथ कोआर्डिनेट कर रहा था और रिमोट एक्सेस ऐप्स के माध्यम से दुबई व चीन से इन खातों को ऑपरेट करने के लिए उन्हें वन-टाइम पासवर्ड प्रदान कर रहा था।