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आर्थिक पैकेज पर चिदंबरम ने कहा- गरीबों और भूखे प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा के बाद बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेक्टर आधारित पैकेज के बारे में जानकारी। पहले से ही मोदी सरकार हमलावर कांग्रेस ने इस पर निराशा जाहिर की है।

Dharmendra kumar
Published on: 14 May 2020 2:00 AM IST
आर्थिक पैकेज पर चिदंबरम ने कहा- गरीबों और भूखे प्रवासी मजदूरों के लिए कुछ नहीं
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा के बाद बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सेक्टर आधारित पैकेज के बारे में जानकारी। पहले से ही मोदी सरकार हमलावर कांग्रेस ने इस पर निराशा जाहिर की है। पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने सिर्फ हेडलाइन पकड़ी जबकि पूरा पेज खाली था।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान किया था और कहा कि यह पैकेज 20 लाख करोड़ रुपये का होगा, लेकिन जैसी की उम्मीद थी कि सरकार ने हेडलाइन पकड़ लिया जबकि पूरा पेज खाली था।

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उन्होंने कहा कि मैं पहले बता दूं कि लाखों गरीब, भूखे और तबाह प्रवासी श्रमिकों के लिए वित्त मंत्री ने आज जो कुछ कहा उसमें कुछ भी नहीं था जो चल चुके हैं और हजारों लोग अभी भी वापस अपने गृह राज्य पहुंचने के लिए पैदल चल रहे हैं। यह उन लोगों के लिए एक क्रूर झटका है, जो हर दिन संघर्ष करते हैं।

पी चिदंबरम ने कहा कि ऐसी आबादी (13 करोड़ परिवारों) जो बेहद निचले स्तर पर रहती है उनके लिए नकद हस्तांतरण के माध्यम से भी कुछ भी नहीं है, जिन्हें बर्बाद होने के लिए धकेल दिया गया है। प्रो थॉमस पिकेट्टी ने गरीबों के लिए नकद हस्तांतरण की बात कही थी।

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चिदंबरम ने कहा कि वित्त मंत्री ने MSMEs के लिए कुछ समर्थन उपायों का एलान किया, हालांकि मेरी नजर में यह ​​उपाय बड़े MSMEs (लगभग 45 लाख MSMEs) के पक्ष में झुका हुआ है। मुझे लगता है कि 6.3 करोड़ MSMEs को छोड़ दिया गया। हम अधीनस्थ ऋण (20,000 करोड़ रुपये) और इक्विटी कॉर्पस फंड (10,000 करोड़ रुपये) की पेशकश का स्वागत करते हैं, लेकिन हम 'नियम और शर्तों' का इंतजार करेंगे।

उन्होंने क्रेडिट गारंटी फंड पर कहा कि यह संपूर्ण फंड नहीं है जो वास्तव में खर्च किया जाएगा। यह खर्च व्यय MSMEs को बकाया गारंटीकृत क्रेडिट में एनपीए की सीमा तक सीमित करेगा। 20-50 फीसदी के एनपीए स्तर को मानते हुए, ऋणों की अवधि (जो कई साल हो सकती है) पर वास्तविक व्यय अधिकतम 3,00,000 करोड़ रुपये होगा।

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उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि बाकी 16.4 लाख करोड़ रुपये कहां है? यह सरकार अपने ही अज्ञान और भय की गिरफ्त में है। सरकार को अधिक खर्च करना होगा, लेकिन वह ऐसा करने को तैयार नहीं है। चिदंबरम ने आगे कहा कि सरकार को अधिक उधार लेना चाहिए, लेकिन वह ऐसा करने को तैयार नहीं है। सरकार को राज्यों को अधिक उधार लेने और अधिक खर्च करने की अनुमति देनी चाहिए, लेकिन वह ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है।



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Dharmendra kumar

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