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बिहार चुनाव: महागठबंधन में संकट गहराया, रालोसपा ने चुनी अलग राह

पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के झटका देने के बाद अब उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी अलग राह चुन ली है।

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Published on: 25 Sept 2020 10:05 AM IST
बिहार चुनाव: महागठबंधन में संकट गहराया, रालोसपा ने चुनी अलग राह
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बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले दोनों प्रमुख गठबंधनों सीटों को लेकर मारामारी मची हुई है। विपक्षी महागठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के झटका देने के बाद अब उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी अलग राह चुन ली है।

पटना: बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीटों को लेकर मारामारी मची हुई है। विपक्षी महागठबंधन में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी के झटका देने के बाद अब उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) ने भी अलग राह चुन ली है। रालोसपा की बैठक में आगे की राह तय करने के लिए उपेंद्र कुशवाहा को अधिकृत कर दिया गया है।

कुशवाहा ने रखी तेजस्वी को हटाने की शर्त

रालोसपा तेजस्वी यादव के नेतृत्व और सीटों के बंटवारे पर कोई फैसला न किए जाने से महागठबंधन के दोनों प्रमुख दलों राजद और कांग्रेस से नाराज थी। अब सियासी जानकार रालोसपा के एनडीए का हिस्सा बनने की संभावना जता रहे हैं। हालांकि अभी तक कुशवाहा ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं।

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Upendra Kushwaha-Tejaswi Yadav बिहार में रालोसपा महागठबंधन से अलग (फाइल फोटो)

रालोसपा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने महागठबंधन में वापसी के लिए ऐसी शर्त रखी है जिसका पूरा होना नामुमकिन माना जा रहा है। कुशवाहा का कहना है कि यदि राजद अपना नेतृत्व बदल दे तो वे फिर से महागठबंधन का हिस्सा बनने के लिए तैयार हैं। रालोसपा की गुरुवार को हुई महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी की आगे की राह चुनने और गठबंधन में शामिल होने का अंतिम फैसला कुशवाहा पर छोड़ दिया गया।

नीतीश के आगे नहीं टिक रहे तेजस्वी

Nitish-Tejaswi बिहार में रालोसपा महागठबंधन से अलग (फाइल फोटो)

कुशवाहा ने तेजस्वी यादव को कोसते हुए कहा कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सामने टिकते नहीं दिख रहे हैं। उन्होंने राजद पर एकतरफा फैसला लेने का बड़ा आरोप भी लगाया। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में शामिल दलों के बीच सीटों के बंटवारे पर अनिश्चितता कायम है जिससे एनडीए को ही फायदा मिल रहा है। दरअसल उपेंद्र कुशवाहा महागठबंधन में अपनी बातें न सुने जाने से काफी दिनों से नाराज चल रहे थे।

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सीटों के बंटवारे को लेकर उन्होंने तेजस्वी यादव के साथ ही कांग्रेस नेताओं से भी बातचीत की थी मगर इस मुलाकात के बावजूद सीटों के बंटवारे का विवाद नहीं सुलझ सका। पार्टी के प्रधान महासचिव आनंद माधव का कहना है कि महागठबंधन के दोनों प्रमुख दलों की ओर से सीटों को लेकर कोई आश्वासन तक नहीं दिया गया। ऐसे में रालोसपा अपना भविष्य का रास्ता तय करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र थी। उन्होंने रालोसपा के अलग राह चुनने के फैसले के लिए राजद और कांग्रेस दोनों को जिम्मेदार बताया।

मुख्यमंत्री पद पर ठोक दिया दावा

Upendra Kushwaha बिहार में रालोसपा महागठबंधन से अलग (फाइल फोटो)

रालोसपा मुखिया कुशवाहा की राजद से बड़ी नाराजगी की वजह तेजस्वी यादव की ओर से हाल में उठाया गया एक कदम बताया जा रहा है। तेजस्वी यादव ने हाल में रालोसपा में ही सेंध लगा दी थी। उन्होंने रालोसपा के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष मोहम्मद कामरान को मंगलवार को राजद की सदस्यता दिला दी। तेजस्वी यादव के इस कदम से कुशवाहा काफी नाराज बताए जा रहे हैं।

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तेजस्वी यादव के कदम के बाद रालोसपा ने सीट शेयरिंग से आगे बढ़ते हुए मुख्यमंत्री के पद पर भी दावा ठोक दिया। पार्टी की ओर से कहा गया कि मुख्यमंत्री के चेहरे के लिए उपेंद्र कुशवाहा की सबसे उपयुक्त हैं। पार्टी की ओर से कहा गया कि लंबा राजनीतिक अनुभव, केंद्र में मंत्री पद का दायित्व और बड़ा नेता होने के कारण कुशवाहा का दावा ज्यादा बनता है। रालोसपा ने तेजस्वी पर हमला करते हुए यहां तक कह दिया कि वे राजद के मुख्यमंत्री पद के चेहरे हैं, महागठबंधन के नहीं।

तेजस्वी पर समझौते को तैयार नहीं राजद

Tejaswi Yadav बिहार में रालोसपा महागठबंधन से अलग (फाइल फोटो)

रालोसपा के इस दावे के बाद राजद की ओर से भी जवाब दिया गया। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री पद के लिए तेजस्वी यादव के चेहरे से कोई समझौता नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस पर मुहर लगा चुके हैं। उन्होंने कहा कि महागठबंधन में शामिल दलों की दबाव की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जा सकती।

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आरएलएसपी के ताजा आक्रामक रुख के कारण अब उसके एनडीए का हिस्सा बनने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। सियासी जानकारों का कहना है कि कुशवाहा पहले भी एनडीए का हिस्सा रहे हैं और एनडीए छोड़ने के बाद उन्हें सियासी तौर पर नुकसान ही हुआ है। ऐसे में उनकी एनडीए में वापसी की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।



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