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खाने को तरस रहे लोग, AIIMS में सैकड़ों का है बुरा हाल
दिल्ली एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में लॉकडाउन के चलते बाहर इलाज कराने आए लोगों का जमावाड़ा लगा है। ऐसे बहुत से लोग लॉकडाउन के चलते फंस गए. एम्स के गेट नंबर 1 के बाहर फुटपाथ पर हमारी मुलाकात मान सिंह से हुई।
नई दिल्ली : दिल्ली एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) में लॉकडाउन के चलते बाहर इलाज कराने आए लोगों का जमावाड़ा लगा है। ऐसे बहुत से लोग लॉकडाउन के चलते फंस गए। एम्स के गेट नंबर 1 के बाहर फुटपाथ पर हमारी मुलाकात मान सिंह से हुई। वर्ष 2019 में जब उनकी पत्नी बीमार हुई तो वो इलाज के लिए बरेली में कई जगह गए। सारा पैसा खत्म हो गया लेकिन वो ठीक नहीं हुईं। इसके बाद नवंबर में वो पत्नी को लेकर दिल्ली के एम्स आ गए। ऐसे में यहां उनके जैसे कई लोग हैं जो वक्त के खाने के लिए दर-दर भटक रहे परेशान हो रहे हैं।
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एक-एक टुकड़े के लिए तरस रहे
उनकी पत्नी सुमन देवी को बीते 72 घंटों में ठीक से खाना नहीं मिला है। वो उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर से इलाज कराने के लिए यहां पहुंचे हैं। पति मान सिंह ने कहा, 'देखिए चारों तरफ अन्न के भंडार हैं। ऐसे भी लोग हैं जिनके पास खाने को तो बहुत कुछ है। लेकिन मैं किसान हूं जिसे लोग अन्नदाता कहते हैं लेकिन हम आज एक-एक टुकड़े के लिए तरस रहे हैं।'
मान सिंह की पत्नी का 3 महीने तक इलाज गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग में किया गया, जहां से उसे कैंसर वार्ड में ट्रांसफर कर दिया गया। उनकी पत्नी को पैनक्रिएटिक कैंसर है। ये बहुत खतरनाक है। इस कैंसर से ग्रसित 95 फीसदी लोगों की मौत हो जाती है। मान सिंह की पत्नी को 19 मार्च को कुछ दवा दी गई और एक महीने बाद लौटने को कहा गया।
इंसान अपने घर पर किसी बीमारी से मरे
उन्होंने सोचा कि दवा शुरू करने के तुरंत बाद उन्हें वापस नहीं जाना चाहिए। लिहाजा इन्होंने पास के पुटपाथ पर एक हफ्ते के लिए लिए रहने का फैसला किया। लेकिन 24 मार्च को पीएम ने लॉकडाउन की घोषणा कर दी।
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तो इन हालातों में ये अपने गांव नहीं लौट पाए। उन्होंने कहा, 'हमे अगर दो दिन पहले लॉकडाउन के बारे में पता चल जाता तो हम वापस गांव लौट जाते। फुटपाथ पर मरने से अच्छा है कि इंसान अपने घर पर किसी बीमारी से मरे'।
सैकड़ों लोग भूख से मर रहे
मान सिंह कहते हैं कि एक सिख व्यक्ति हर दिन सुबह 4 बजे आता था और भोजन बांटता था। उन्होंने कहा, 'वो हमें जगाता था और हमें खाना इकट्ठा करने के लिए कहता था। छोटे बच्चों वाले माता-पिता के लिए वो दूध, बोर्नविटा देता था। लेकिन अब पुलिस उसे यहां भोजन वितरित करने की अनुमति नहीं दे रही है। इसलिए सैकड़ों लोग भूख से मर रहे हैं।
'हमने तीन चार दिनों से कुछ नहीं खाया
मान सिंह की तरह कई और लोग भी इलाज कराने के लिए एम्स आए थे। लेकिन वो सब फंस गए हैं। इनकी तरह बिहार के बांका जिले के दिहाड़ी मजदूरी करने वाली जया देवी, उनके पति और बच्चा भी फंसा है। यहां वो अपने बच्चे का इलाज कराने के लिए पहुंचे हैं। उनके बच्चे के दिल में छेद है। उन्होंने कहा, 'हमने तीन चार दिनों से कुछ नहीं खाया है। कैंटीन में 40 रुपये का खाना मिलता है। और अब हमारे सारे पैसे खत्म हो गए हैं।'
बता दें कि इस तरह का हाल एम्स में इलाज कराने आए एक-दो लोगों का हाल नहीं है। बल्कि कई लोग खाने के लिए दर-दर भटक रहे हैं। लेकिन ठीक तरीके से दो वक्त का खाना इन्हें नसीब नहीं हो रहा है।