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राम मंदिर पर बढ़ेंगी ओवैसी की मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका

अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयानबाजी करना एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी को महंगा पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में ओवैसी के बयानों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई है।

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Published on: 7 Aug 2020 6:01 PM GMT
राम मंदिर पर बढ़ेंगी ओवैसी की मुश्किलें, सुप्रीम कोर्ट में दायर हुई याचिका
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Asaduddin Owaisi

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर बयानबाजी करना एआईएमआईएम के चीफ असदुद्दीन ओवैसी को महंगा पड़ सकता है। सुप्रीम कोर्ट में ओवैसी के बयानों के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की गई है। ‌इसमें कहा गया है कि ओवैसी ने कोर्ट की प्रतिष्ठा को कम करने और उसका अपमान करने वाले बयान दिए हैं। इसके साथ ही याचिका में यह भी कहा गया है कि ओवैसी के बयान हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाले और मुस्लिमों को भड़काने वाले हैं। ऐसे बयानों के लिए ओवैसी के खिलाफ याचिका में कार्रवाई की मांग की गई है।

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याचिका में बताया यह कारण

यह याचिका एंटी टेररिस्ट फ्रंट इंडिया के प्रेसिडेंट वीरेश शांडिल्य और एक वकील की ओर से दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि अयोध्या में 5 अगस्त को भूमि पूजन से पहले ओवैसी ने एक न्यूज़ चैनल से बातचीत में कोर्ट की पवित्रता और बुद्धिमत्ता को लेकर अपमानजनक बयान दिए थे। याचिका में यह भी कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाने से पहले राम मंदिर का विवाद लंबे समय से लंबित था।

सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुनाए जाने के बाद इस विवाद को लेकर झूठे और निराधार बयान दिए जा रहे हैं। यह भी परवाह नहीं की जा रही कि इससे करोड़ों हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है। साथ ही मुस्लिमों को भड़काने की कोशिश भी की जा रही है।

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रामभक्तों की भावनाओं को ठेस

याचिका में कहा गया है कि ‌ओवैसी के बयानों से ऐसे करोड़ों भारतीयों की भावनाओं को ठेस पहुंची है जो कि रामभक्त हैं। नेशनल टीवी पर ओवैसी के बयानों से सर्वोच्च अदालत का अनादर हुआ है। उनके बयानों से साफ है कि उनका भारत की न्यायिक व्यवस्था में कोई विश्वास नहीं है। ओवैसी ने अदालती फैसले पर टिप्पणी करने के साथ ही यह भी कहा था कि अयोध्या में मस्जिद थी, है और रहेगी।

अवमानना की कार्रवाई की मांग

याचिका में शीर्ष अदालत से ओवैसी के खिलाफ अवमानना प्रक्रिया शुरू करने की मांग भी की गई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ओवैसी के बयानों से कोर्ट की गरिमा को धक्का लगा है। सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल 9 नवंबर को लंबे समय से विवाद का कारण बने अयोध्या विवाद का निपटारा किया था। अदालत ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाया था। इसके बाद से ही ओवैसी समेत कुछ मुस्लिम नेता फैसले को लेकर टीका टिप्पणी करते रहे हैं।

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पांच अगस्त को हुआ था भूमि पूजन

अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत 5 अगस्त को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। ऐसे में मुस्लिम नेता एक बार फिर राम मंदिर विवाद को हवा देने में लगे हुए हैं। वे अदालती फैसले पर भी तरह-तरह की टिप्पणियां कर रहे हैं। माना जा रहा है कि इस मामले में ओवैसी समेत कुछ मुस्लिम नेताओं की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

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