×

वो साहित्यकार जिसने पद्मश्री को पापश्री कह लौटा दिया था अवार्ड, जानिए इनके बारे में

रेणु की भाषा-शैली में मानो एक जादुई असर है, जो पाठकों को अपने साध बांधे रखने में कामयाब होता है। साहित्कार रेणु को अंग्रेजी साहित्य के कथाकार विलियम वर्ड्सवर्थ की लेखनी के समतुल्य माना जाता है। 

Shreya
Published on: 4 March 2021 9:17 AM GMT
वो साहित्यकार जिसने पद्मश्री को पापश्री कह लौटा दिया था अवार्ड, जानिए इनके बारे में
X
वो साहित्यकार जिसने पद्मश्री को पापश्री कह लौटा दिया था अवार्ड, जानिए इनके बारे में

लखनऊ: हिन्दी साहित्य में आंचलिक विधा को जन्म देने वाले फणीश्वर नाथ रेणु (Fanishwar Nath Renu) की आज जन्म शताब्दी है। 04 मार्च 1921 बिहार के अररिया जिले में फॉरबिसगंज के पास औराही हिंगना गांव में जन्म लेने वाले रेणु ने अपनी लेखनी के जरिए लोगों के दिलों पर अपनी छाप छोड़ी। उनके जन्म दिवस के मौके पर आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं।

आजादी के बाद का प्रेमचंद

फणीश्वर नाथ रेणु को आजादी के बाद का प्रेमचंद की संज्ञा भी जाती है। क्योंकि इनका लेखन मुंशी प्रेमचन्द की सामाजिक यथार्थवादी परंपरा को आगे बढाता है। रेणु की भाषा-शैली में मानो एक जादुई असर है, जो पाठकों को अपने साध बांधे रखने में कामयाब होता है। साहित्कार रेणु को अंग्रेजी साहित्य के कथाकार विलियम वर्ड्सवर्थ की लेखनी के समतुल्य माना जाता है।

यह भी पढ़ें: किसान नेता राकेश टिकैत ने इस बार किया ऐसा दावा, बीजेपी नेताओं की उड़ गई नींद

देशप्रेम का जज्बा

रेणु में देशप्रेम का जज्बा कूट-कूटकर भरा हुआ था। इसी वजह से 1942 में गांधी के आह्वान पर वो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े और अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। यही नहीं उन्होंने नेपाल में राणाशाही के खिलाफ जारी जंग में अपनी बखूबी भागीदारी निभाई। साथ ही सीमाई इलाकों में भारत-नेपाल मैत्री को भी प्रगाढ़ता प्रदान की। यहां तक उन्होंने आपातकाल के खिलाफ भी अपनी आवाज बुलंद की।

Fanishwar Nath (फोटो- सोशल मीडिया)

पद्मश्री अवार्ड को पापश्री कह लौटाया

उनसे जुडा एक किस्सा बेहद मशहूर है। दरअसल, 21 अप्रैल 1970 को तत्कालीन राष्ट्रपति वराहगिरी वेंकटगिरी द्वारा उन्हें पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया था। लेकिन चार नवंबर को पटना में लोकनायक जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में प्रदर्शन के दौरान जब पुलिस ने निहत्थे लोगों पर लाठियों से प्रहार किया तो उन्होंने अपना पद्मश्री अवार्ड वापस कर दिया।

यह भी पढ़ें: इन राज्यों में कोरोना से मचा हाहाकार: सरकार ने जारी की एडवाइजरी, भेजी गईं टीमें

आपातकाल के विरोध में उन्होंने ना केवल पद्मश्री अवार्ड को पापश्री का अवार्ड कह वापस कर दिया, बल्कि बिहार सरकार की ओर से मिलने वाली तीन सौ रूपये की पेंशन को भी लौटा दिया। फणीश्वर नाथ रेणु के बारे में कहा जाता है कि वो एक अदम्य जीवटता और कर्मठता वाली शख्सियत थे। वो ना तो झुकना पसंद करते थे और ना ही रूकना।

मैला आँचल से मिली ख्याति

रेणु ने वैसे तो कई कहानियों की रचना की, लेकिन उनको जितनी ख्याति हिंदी साहित्य में अपने उपन्यास मैला आँचल से मिली, उसकी मिसाल मिलना दुर्लभ है। 1954 में उनकी महान कृति मैला आंचल का प्रकाशन हुआ। इसके अलावा उन्होंने परती परिकथा, भित्तिचित्र की मयूरी, आदिम रात्रि की महक, ठुमरी, अग्निखोर, अच्छे आदमी, कितने चौराहे, नेपाली क्रांतिकथा सहित कई कहानियां और संस्मरण लिखे।

यह भी पढ़ें: मंत्रियों के Sex Scandal: ये बड़े नाम रहे शामिल, इन राजनीतिक दलों की हुई किरकिरी

दोस्तों देश और दुनिया की खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।

Shreya

Shreya

Next Story