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सावधान चीन-पाकिस्तान: भारत करेगा दोनों पर एक साथ हमला, ये है वो जगह
चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार अचानक लेह के नीमू फॉरवर्ड पोस्ट पहुंच गए। उनके सरप्राइज विजिट से पाकिस्तान और चीन समेत पूरी दुनिया को एक बड़ा संदेश मिला है।
नई दिल्ली: चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शुक्रवार अचानक लेह के नीमू फॉरवर्ड पोस्ट पहुंच गए। उनके सरप्राइज विजिट से पाकिस्तान और चीन समेत पूरी दुनिया को एक बड़ा संदेश मिला है। डिफेंस एक्सपर्ट्स का मानना है कि पीएम मोदी के इस आकस्मिक दौरे ने चीन को एक संदेश दे दिया है कि हम पीछे हटने वाले नहीं है। वहीं लेह में जहां PM मोदी पहुंचे हैं यानी नीमू फॉरवर्ड से भारतीय सेना चीन और पाकिस्तान दोनों को ही एक साथ साध सकती है। बता दें कि यह पोस्ट रणनीतिक तौर पर इंडियन आर्मी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। तो चलिए जानते हैं इस पोस्ट के बारे में।
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11 हजार फीट की ऊंचाई पर है मौजूद
नीमू फॉरवर्ड पोस्ट लेह से 35 किलोमीटर दूर लिकिर तहसील में पड़ता है। यह पोस्ट एक गांव है। नीमू पोस्ट समुद्री तल से 11 हजार फीट की ऊंचाई पर मौजूद है, इसे दुनिया की सबसे ऊंची और खतरनाक पोस्ट में से एक माना जाता है। यहां पर अधिकतम तामपाव 40 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम -29 डिग्री सेल्सियस तक चला जाता है। सर्दियों में ये इलाका बर्फ से ढका रहता है। नीमू गांव से करीब 7.5 किलोमीटर दूर मैग्नेटिक हिल स्थित है, जो अपनी चुंबकीय शक्ति के लिए जाना जाता है। मैग्नेटिक हिल देश-विदेश के पर्यटकों के बीच काफी प्रसिद्ध है।
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यहां की कुल आबादी है 1,134
इस पोस्ट में पेड़-पौधे बहुत कम हैं और यहां चारों ओर सूखी हुई पहाड़ियां दिखाई देते हैं। 2011 की जनगणना के मुताबिक, यहां पर केवल 193 घर हैं और यहां की कुल आबादी एक हजार 134 है। जिनमें 568 पुरुष और 566 महिलाएं हैं। वहीं नीमू में शिक्षा दर 72.51 फीसदी है। इसके अलावा यहां पर तमाम बौद्ध मठ हैं और नीमू में पत्थर साहिब गुरुद्वारा भी है, जो सिख धर्मावलंबियों के बीच काफी प्रसिद्ध है। यहां सेबों के बागान भी हैं। इस इलाके में स्थित सिंधु और जंस्कार नदी में रिवर राफ्टिंग करने के लिए भी लोग आते हैं।
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करगिल युद्ध के बाद नीमू में सेना ने बनाया अपना सैन्य बेस
नीमू सिंधु घाटी और जंस्कार घाटी के बीच स्थित एक मैदानी इलाका है। भारतीय सेना ने 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध के बाद नीमू में अपना सैन्य बेस बनाया। यह सैन्य बेस ऐसी जगह पर स्थित है, जहां से चीन और पाकिस्तान दोनों को ही साधा जा सकता है। यानी इस बेस से दोनों पर हमला किया जा सकता है।
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इस डिफेंस लाइन से इन पर रखी जा सकती है सीधी नजर
1980 के दशक में सेना ने नीमू में मेजर जनरल आरके गौर के नेतृत्व 28 डिविजन सैन्य बेस की स्थापना की थी। उसके बाद यहां पर सैनिकों की संख्या कम की गई थी। लेकिन कारगिल जंग के बाद यहां पर 8वीं डिविजन तैनात की गई। मौजूदा समय में लेह सैन्य मुख्यालय की चौदहवीं कॉर्प्स के तहत यहां पर दो सैन्य बेस हैं। एक लेह और दूसरा नीमू में। यहीं से सियाचिन के ऑपरेशंस चलते हैं। इसी जगह से सेना सियाचिन पर निगरानी रखती है। नीमू में एक बेहतरीन डिफेंस लाइन है, जहां से कारगिल, लद्दाख, द्रास, मुस्कोह, पैंगोंग झील, चुशुल, पाकिस्तान पर आसानी से नजर रखी जा सकती है।
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