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जब शहीद की ये कहानी सुनकर पीएम मोदी और सेना प्रमुख के साथ रो पड़े सभी

करगिल विजय दिवस के मौके पर इंदिरा गांधी स्टेडियम में शनिवार को भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कैबिनेट मंत्री और सेना प्रमुख मौजूद रहे। कार्यक्रम में कुछ ऐसे पल आए जब वहां बैठे सभी लोग भावुक हो गए और आंखों से आंसू निकल पड़े।

Dharmendra kumar
Published on: 27 July 2019 8:47 PM IST
जब शहीद की ये कहानी सुनकर पीएम मोदी और सेना प्रमुख के साथ रो पड़े सभी
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नई दिल्ली: करगिल विजय दिवस के मौके पर इंदिरा गांधी स्टेडियम में शनिवार को भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ कैबिनेट मंत्री और सेना प्रमुख मौजूद रहे। कार्यक्रम में कुछ ऐसे पल आए जब वहां बैठे सभी लोग भावुक हो गए और आंखों से आंसू निकल पड़े।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बेहद भावुक हो गए और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े। सेना प्रमुख भी अपने आंसुओं को रोक नहीं सके और सभागार में मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं।

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दरअसल युवाओं की एक टीम ने अपने शारीरिक भंगिमाओं के जरिए एक शहीद की कहानी सुनाई। यह कहानी करगिल युद्ध में शहीद हुए लांस नायक बच्चन सिंह की थी। लांस नायक बच्चन सिंह की पत्नी श्रीमती कमलेश बाला को स्टेज पर बुलाया गया और सम्मानित किया गया। साथ में उनके बेटे लेफ्टिनेट हितेश भी मौजूद थे। लेफ्टिनेंट हितेश अपने पिता की ही बटालियन में अधिकारी हैं।

ऐसी है कहानी

शहीद बेटे का शव जब दरवाजे पर आया तो मां ने कहा कि आज मेरा बेटा पहली बार चैन से सोया। मां को देखकर पिता भी बाहर आएंगे। तब जाकर कहना उनसे कि मैंने ऐसा इसलिए किया ताकि देश मेरा जवान रहे। मेरे भाई से कहना कि एक मां यहां आंसू बहा रही है और दूसरी मां सरहद पर बुला रही है। उसे एक मां का कर्ज उतारना है और दूसरी मां का फर्ज भी निभाना है।

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मेरी बीवी सहमी सी बैठी होगी। बीवी से कहना कि करवा चौथ हर साल रखे और तब तक रखे जब तक आसमान में चंदा है। क्या हुआ उसका पति जिंदा नहीं, उसका देश तो जिंदा है। हो सके तो मेरे पड़ोसियों को भी बुला लेना वो देख लें मुझे फिर जला देना। मेरे जलने के बाद कोई आंसू न बहाए, क्योंकि मैं जलने के बाद इस देश की मिट्टी में मिल जाऊंगा और एक फूल बनकर फिर खिल जाऊंगा।

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शहीद की पत्नी की आवाज

जब मैने लिपटे तिरंगे में उनको देखा तो बिखरने लगी मेरी दुनिया पूरी की पूरी हिल गई, मैंने अपना पति खोया और वतन ने अपना बेटा। तभी उनका लिखा एक खत मिला और आंसुओं ने नया मोड़ लिया। खत में लिखा था, अगर यह खत तुम पढ़ रही हो तो इसका मतलब अब मैं नहीं रहा। लेकिन तुम यह न समझना कि तुम अकेली हो। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं। मैं देश की ढाल बना और मेरे परिवार की ढाल तुम बनो। हमेशा तुमने मेरा साथ दिया। अब बस एक सपना और पूरा कर दो। वादा करो मुझसे, हमारे बेटे को तुम फौजी बनाओगी। जय हिंद!



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Dharmendra kumar

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