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अर्थव्यवस्था को लेकर पीएम मोदी ने की अहम बैठक, कही ये बात
मोदी ने अर्थशास्त्री के साथ बैठक की
नई दिल्ली। 2020 से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मैराथन बैठक की। इसके बाद अर्थशास्त्री चरण सिंह का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में खर्च बढ़ाए जाने की जरुरत है। ना कि इनकम टैक्स में रियायत दी जाए।
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ने बैठक में कहा है कि अगर सरकार की नीति में कोई खामी है तो अर्थशास्त्री हमें बताये हम सुधार करने के लिए तैयार है। इसका सभी अर्थशास्त्रियों ने स्वागत किया है।
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आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए चर्चा की
आपको बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आर्थिक वृद्धि को गति देने के लिए उपायों और अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा के लिए नीति आयोग में अर्थशास्त्रियों और विशेषज्ञों के साथ बैठक की है। यह बैठक ऐसे समय हुई, जब मौजूदा वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर के पांच प्रतिशत से नीचे रहने की आशंका जताई जा रही है।
बैठक में क्या हुआ- बैठक के बाद उद्योगपति अरविंद मेलिगिरी ने बताया कि विभिन्न सेक्टर के लोगों ने अलग -अलग सुझाव दिए है। प्रधानमंत्री ने हम सभी के सुझाव को बहुत सकारात्मक तरीके से सुने। मैंने भी प्रोजेक्ट के मंजूरी को और सरल बनाने पर सुझाव दिया है।
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टॉप बिजनेसमैन के साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की
इससे पहले, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को देश के टॉप बिजनेसमैन के साथ अर्थव्यवस्था की स्थिति पर चर्चा की थी। बैठक में रतन टाटा, मुकेश अंबानी और गौतम अडानी समेत 11 बिजनेस शामिल थे। इस दौरान आर्थिक विकास दर और रोजगार के मौके बढ़ाने के उपायों पर चर्चा हुई।
जीडीपी पांच फीसदी होने का अनुमान जाहिर किया गया
इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्रियों के अलावा नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार , मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत भी शामिल हुए। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन बिबेक देबरॉय भी इस बैठक में मौजूद हैं।सरकार 2020-21 के लिए बजट प्रस्ताव तैयार करने में जुटी है।
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को अपना दूसरा आम बजट पेश करेंगी जिसमें देश की आर्थिक वृद्धि को फिर से पटरी पर लाने की बड़ी चुनौती होगी।बता दें कि वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के पांच फीसदी होने का अनुमान जाहिर किया गया है।
यह 2018-19 के दौरान 6।8 फीसदी थी। सरकार ने मंगलवार को यह जानकारी दी थी। आंकड़े वृद्धि दर में भारी गिरावट प्रदर्शित करते हैं। उद्योग व कोर सेक्टर में भी मंदी है। दूसरी तिमाही में वृद्धि दर घटकर 4.5 फीसदी हो गई थी।