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राजभवन के घेराव वाले बयान पर गवर्नर भड़के, गहलोत को लिखी कड़ी चिट्ठी

राजस्थान के सियासी संकट का अभी तक समाधान नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधानसभा में बहुमत साबित करने पर अड़े हुए हैं

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Published on: 25 July 2020 4:27 AM GMT
राजभवन के घेराव वाले बयान पर गवर्नर भड़के, गहलोत को लिखी कड़ी चिट्ठी
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अंशुमान तिवारी

जयपुर: राजस्थान के सियासी संकट का अभी तक समाधान नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधानसभा में बहुमत साबित करने पर अड़े हुए हैं जबकि राज्यपाल कलराज मिश्र ने अभी तक सत्र बुलाने की अनुमति नहीं दी है। इस बीच सीएम गहलोत के राजभवन के घेराव वाले बयान पर राज्यपाल ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र में सवाल किया है कि अगर राज्यपाल की सुरक्षा सीएम नहीं करेगा तो फिर यह किसकी जिम्मेदारी है?

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राज्य की कानून व्यवस्था का क्या होगा

राज्यपाल ने अपनी चिट्ठी में कहा कि अगर सीएम और गृह मंत्री राज्यपाल की सुरक्षा नहीं सुनिश्चित कर सकते तो राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का क्या होगा? उन्होंने सवाल किया कि राज्यपाल को अपनी सुरक्षा के लिए किस सुरक्षा एजेंसी से संपर्क करना होगा? उन्होंने कहा कि विधानसभा सत्र के लिए मेरे विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के पहले ही सीएम ने सार्वजनिक तौर पर राजभवन का घेराव होने पर अपनी जिम्मेदारी न होने का बयान दे दिया। उन्होंने कहा कि आज तक किसी मुख्यमंत्री ने ऐसा बयान नहीं दिया। राजभवन में विधायकों का प्रदर्शन क्या गलत ट्रेंड की शुरुआत नहीं है?

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गहलोत के इस बयान पर भड़के गवर्नर

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधायकों के साथ राजभवन जाने से ठीक पहले कहा था कि हम अभी राज्यपाल से विधानसभा का सत्र बुलाने का अनुरोध करने के लिए राजभवन जा रहे हैं। राज्यपाल का संवैधानिक पद है। उन्हें अपनी अंतरात्मा के आधार पर फैसला करना चाहिए। अगर उन्होंने विधानसभा में बहुमत साबित करने का मौका नहीं दिया और लोकतंत्र की आवाज दबाने की कोशिश की गई तो प्रदेश की जनता राजभवन का घेराव करने आ सकती है और ऐसी स्थिति में हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।

गहलोत ने दिया शेखावत का उदाहरण

अपने इस बयान पर विवाद बढ़ने के बाद अशोक गहलोत ने इस मुद्दे पर अपनी सफाई भी दी है। उन्होंने कहा कि भैरों सिंह शेखावत ने 1993 में चेतावनी दी थी कि मेरे पास बहुमत है और हमें नहीं बुलाया गया तो राजभवन का घेराव किया जाएगा। उन्होंने कहा कि राजभवन के घेराव की बात करना एक राजनीतिक भाषा है। ऐसा जनता को समझाने और उसे संदेश देने के लिए कहा जाता है।

उन्होंने कहा कि कभी भैरों सिंह शेखावत भी राजभवन में धरना दे चुके हैं मगर भाजपा के नए नेताओं को इस बाबत कोई जानकारी नहीं है। भाजपा के नए नेताओं को हम जैसे वरिष्ठ नेताओं से बातचीत कर अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए।

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प्रदेश में बंद हो दबाव की राजनीति

गहलोत के समर्थक विधायकों ने शुक्रवार को राजभवन में 5 घंटे तक धरना दिया था। पहले यह उम्मीद जताई जा रही थी कि यह धरना बेमियादी चल सकता है मगर आखिरकार रात में करीब आठ बजे धरने को समाप्त कर दिया गया और गहलोत गुट के सभी विधायक फिर होटल लौट गए। उधर राजभवन की ओर से जारी बयान कलराज मिश्र ने कहा कि संवैधानिक मर्यादा से ऊपर कुछ भी नहीं है और प्रदेश में दबाव की राजनीति नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं स्थिति के मूल्यांकन में लगा हुआ हूं और मुझ पर किसी प्रकार का दबाव नहीं डाला जाना चाहिए।

राहुल ने की तत्काल सत्र बुलाने की मांग

राजस्थान हाईकोर्ट के सचिन पायलट और 18 बागी विधायकों की अयोग्यता के नोटिस पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बाद राजस्थान का सियासी संकट एक बार फिर बढ़ गया है। इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने कहा है कि देश में संविधान का शासन है और सरकारें बहुमत से बनती है और चलती हैं। राजस्थान में भाजपा गहलोत सरकार को गिराने की साजिश रच रही है। राज्यपाल को तत्काल विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए प्रदेश और देश के सामने सच्चाई आ सके।

उधर विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने राजभवन में सीआरपीएफ की तैनाती करने की मांग की है। उन्होंने राजभवन में धरने की घटना को कांग्रेस का घटिया कृत्य बताया है।

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