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प्रणब दा से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद, जानिए किस तरह सबको चौंका दिया था

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को नई दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में निधन हो गया। 84 वर्षीय प्रणब दा को 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

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Published on: 31 Aug 2020 3:47 PM GMT
प्रणब दा से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद, जानिए किस तरह सबको चौंका दिया था
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प्रणब दा से जुड़ा सबसे बड़ा विवाद, जानिए किस तरह सबको चौंका दिया था

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का सोमवार को नई दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल में निधन हो गया। 84 वर्षीय प्रणब दा को 10 अगस्त को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व राष्ट्रपति के लंबे राजनीतिक जीवन के दौरान सबसे बड़ा विवाद 2018 में उनके नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यक्रम उनके भाग लेने पर पैदा हुआ था। कांग्रेसी नेताओं ने प्रणव दा के इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने पर कड़ी आपत्ति जताई थी मगर अपने फैसलों को लेकर अटल रहने वाले पूर्व राष्ट्रपति ने सारे विरोधियों को दरकिनार करते हुए कार्यक्रम में हिस्सा लिया था।

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संघ के कार्यक्रम में लिया था हिस्सा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से इस कार्यक्रम का आयोजन 2 साल पहले 2018 में 7 जून को नागपुर में किया गया था। इस बात की जानकारी मिलते ही कि प्रणब मुखर्जी इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने वाले हैं, कई कांग्रेसी नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया था।

Pranab Mukherjee file photo

कांग्रेसी नेताओं ने किया था जोरदार विरोध

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने मुखर्जी को पत्र लिखकर उनसे कार्यक्रम में हिस्सा न लेने की अपील की थी। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी.चिदंबरम ने भी मुखर्जी को ऐसी ही सलाह दी थी।

चिदंबरम का कहना था कि जब मुखर्जी ने नागपुर जाने का फैसला कर ही लिया है तो उन्हें वहां जाकर यह बताना चाहिए कि संघ की विचारधारा में क्या गलत है। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने भी मुखर्जी के फैसले पर गहरी आपत्ति जताई थी। कांग्रेस के कई अन्य नेताओं ने भी मुखर्जी के संघ के कार्यक्रम में जाने का कड़ा विरोध किया था।

चौधरी ने जताई थी हैरानी

पश्चिम बंगाल में काफी समय तक प्रणव मुखर्जी के साथ काम कर चुके कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने प्रणब दा के फैसले पर हैरानी जताई थी। उनका कहना था कि प्रणव दा भगवा संगठन के खिलाफ पूर्व में काफी टिप्पणियां करते रहे हैं और इसलिए उन्हें आरएसएस के कार्यक्रम में भाग लेने का फैसला वापस ले लेना चाहिए।

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विरोध पर प्रणब दा ने कही थी यह बात

हालांकि कांग्रेस नेताओं के प्रबल विरोध के बावजूद अपने फैसले पर अडिग रहे। उनका कहना था कि मुझे इस बारे में जो कुछ भी कहना है, वह मैं नागपुर में ही कहूंगा। प्रणव दा ने खुद कहा था कि कई लोगों ने पत्र लिखकर और फोन करके मुझे इस कार्यक्रम में हिस्सा न लेने को कहा है, लेकिन मैंने किसी को भी कोई जवाब नहीं दिया है।

प्रणव दा को संघ शिक्षा वर्ग के तृतीय वर्ष के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया गया था और संघ प्रमुख के निवेदन पर ही प्रणव दा ने इस कार्यक्रम में जाने का फैसला किया था।

संविधान में आस्था ही असली देशभक्ति

बाद में संघ के कार्यक्रम में हिस्सा लेते हुए प्रणब दा ने कहा था कि मैं यहां पर राष्ट्र, राष्ट्रवाद और देशभक्ति समझाने आया हूं। भारत ऐसा देश है जहां संविधान में आस्था ही असली देशभक्ति है। उन्होंने कहा कि विविधता हमारी सबसे बड़ी ताकत है और हम सबकी पहचान भारतीयता ही है।

Pranab Mukherjee file photo

इस कार्यक्रम में 707 स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया था और कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संघ प्रमुख मोहन भागवत थे। प्रणब दा के नागपुर पहुंचने पर संघ के सह सरकार्यवाह भैयाजी जोशी ने प्रणब दा का हवाई अड्डे पर स्वागत किया था।

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फर्जी तस्वीर पर विवाद

बाद में इस कार्यक्रम से जुड़ी फर्जी तस्वीरें सोशल मीडिया पर जारी हो गई थीं जिसे लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से स्पष्टीकरण भी दिया गया था। संघ का कहना था कि यह जानबूझकर संघ को बदनाम करने वाली राजनीतिक ताकतों की चाल है।

संघ के सरकार्यवाह डॉ मनमोहन वैद्य का कहना था कि संघ के खिलाफ साजिश रचने वालों ने समारोह से जुड़ी एक झूठी तस्वीर पोस्ट की जिसमें पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को प्रार्थना की मुद्रा में दिखाया गया है। उनका कहना था कि तस्वीर में की गई छेड़छाड़ से संघ का कोई लेना देना नहीं है।

बेटी शर्मिष्ठा ने संघ को घेरा था

संघ की ओर से यह बयान प्रणव दा की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी के ट्विटर पर किए गए पोस्ट के बाद आया था। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा था कि उनके पिता ने नागपुर जाकर भाजपा और संघ को फर्जी खबरें गढ़ने और अफवाह फैलाने का मौका मुहैया करा दिया। शर्मिष्ठा का कहना था कि उनके पिता का भाषण तो भुला दिया जाएगा मगर तस्वीरें तो हमेशा बनी रहेंगी। हालांकि बाद में संघ की ओर से स्पष्टीकरण दिए जाने के बाद इसे लेकर संघ को नहीं घेरा जा सका।

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