अब बिना FIR बंद हुई भ्रष्टाचार की प्रारंभिक जांचों का होगा खुलासा, जानें पूरा मामला

करप्शन से जुड़े केस को सामने लाने वाले नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी की ओर से दाखिल एक केस की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने कहा कि मांगी गई सूचना की प्रकृति का आकलन किए बगैर बिना किसी उचित तरीके के आरटीआई की धारा 24 की आड़ लेकर सीबीआई ने सरासर गलती की है।

Aditya Mishra
Published on: 7 Jun 2020 1:20 PM GMT
अब बिना FIR बंद हुई भ्रष्टाचार की प्रारंभिक जांचों का होगा खुलासा, जानें पूरा मामला
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नई दिल्ली: करप्शन से जुड़े केस को सामने लाने वाले नौकरशाह संजीव चतुर्वेदी की ओर से दाखिल एक केस की सुनवाई करते हुए सूचना आयुक्त दिव्य प्रकाश सिन्हा ने कहा कि मांगी गई सूचना की प्रकृति का आकलन किए बगैर बिना किसी उचित तरीके के आरटीआई की धारा 24 की आड़ लेकर सीबीआई ने सरासर गलती की है।

सीबीआई में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नया निर्णय लिया है। जिसके मुताबिक अब आदेश में सीबीआई से साल 2014 से 2018 के बीच हुई भ्रष्टाचार की सभी ऐसी प्रारंभिक जांचों के बारे में बताने के लिए कहा है जिन्हें बिना एफआईआर दर्ज किए बंद कर दिया गया था।

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सीबीआई आरटीआई की धारा 24 का सहारा नहीं ले सकती

इस केस में सिन्हा ने दिल्ली हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला देते कहा कि आयोग भ्रष्टाचार के आरोपों के संबंध में सहमत है और सीबीआई सूचना देने से इनकार करने के लिए आरटीआई की धारा 24 का सहारा नहीं ले सकती है। आयोग सीपीआईओ को इस आदेश के मिलने की तारीख से 15 दिन के भीतर मांगी गई सूचना मुहैया कराने का निर्देश देता है।

बता दें कि संजीव चतुर्वेदी ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भ्रष्टाचार की शिकायतों के आधार पर सीबीआई की ओर से की गई जांच पड़ताल को लेकर सभी फाइल नोटिंग, दस्तावेज, पत्राचार की सत्यापित प्रतियों को मुहैया कराने की मांग की थी।

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यहां बता दें कि केंद्रीय सूचना आयोग ने यह आदेश सुनाते हुए हुए एक आरटीआई आवेदक से सहमति जताई, जिसके अनुसार आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून के दायरे से छूट पाने वाली सीबीआई के पास भ्रष्टाचार के आरोपों व इससे होने वाले मानवाधिकारों के उल्लंघन से संबंधित रिकॉर्ड का खुलासा करने से मना नहीं कर सकती।

गौरतलब है कि सूचना के अधिकार की धारा 24 के तहत भ्रष्टाचार और मानवाधिकार के आरोपों से जुड़ी सूचना के अपवाद को छोड़कर कुछ खुफिया और सुरक्षा संगठनों को आरटीआई के दायरे से बाहर रखा गया है, सीबीआई उन संस्थाओं में से एक है।

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