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GST दरों में बढ़ोत्तरी, मेरे कार्यालय को छोड़ हर जगह चर्चा- निर्मला सीतारमण
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इकोनॉमी की चिंता हर किसी को है। राजस्व के लिए जीएसटी दरों को बढ़ाने की बात पर वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे कार्यालय को छोड़ हर जगह इसकी चर्चा है। बता दें कि 18 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है। ऐसी खबरें थीं कि काउंसिल कमाई बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में बदलाव कर सकती है।
नयी दिल्ली: प्रेस कांफ्रेंस के दौरान पत्रकारों से बात-चीत करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सुस्ती को लेकर उन्होंने देश की इकोनॉमी की स्थिति पर भी बयान दिया। उन्होंने कहा कि इकोनॉमी की स्थिति क्या है, मैं इस बहस में नहीं पड़ना चाहती हूं। मैं सिर्फ अपना काम कर रही हूं।
जीएसटी दरों को बढ़ाने की बात पर वित्त मंत्री ने कहा
कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इकोनॉमी की चिंता हर किसी को है। राजस्व के लिए जीएसटी दरों को बढ़ाने की बात पर वित्त मंत्री ने कहा कि मेरे कार्यालय को छोड़ हर जगह इसकी चर्चा है। बता दें कि 18 दिसंबर को जीएसटी काउंसिल की बैठक होने वाली है। ऐसी खबरें थीं कि काउंसिल कमाई बढ़ाने के लिए जीएसटी दरों में बदलाव कर सकती है। वित्त मंत्री ने प्याज की बढ़ रही कीमतों पर कहा कि कई जगह दाम कम होने लगे हैं, सरकार प्याज आयात कर रही है।
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इकोनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर की ओर आगे बढ़ रही है- सुब्रमण्यन
प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने किया उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए किये गए फैसलों और उपलब्धियों का भी जिक्र किया। सुब्रमण्यन के मुताबिक इकोनॉमी 5 ट्रिलियन डॉलर की ओर आगे बढ़ रही है। इसके लिए हमारे पास एक सुनियोजित रणनीति है।
बीते जुलाई महीने में आम बजट पेश होने के बाद सरकार के फैसलों का जिक्र करते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार ने बताया कि क्रेडिट गांरटी स्कीम के तहत 17 प्रस्तावों को मंजूरी दी जा चुकी है। जबकि 2 महीने में PSUs के 61 हजार करोड़ का बकाया चुकाया जा चुका है। वहीं 7657 करोड़ के 17 प्रस्तावों को मंजूरी मिल चुकी है।
टैक्स कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है-रेवेन्यू सेक्रेटरी अजय भूषण पांडे
इसके अलावा रेल, सड़क आदि पर 9 महीने में 2।5 लाख करोड़ खर्च हुए हैं। NBFCs/HFCs को 4।47 लाख करोड़ दिए गए। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट को 2।2 लाख करोड़ का लोन दिया गया है। जबकि बैंक फ्रॉड पर रोक के लिए बोर्ड का गठन हुआ है। वहीं रेवेन्यू सेक्रेटरी अजय भूषण पांडे ने बताया कि टैक्स कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि 2018 में इंटीग्रेटेड गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (IGST) 38988 करोड़ रुपये था जो 2019-2020 में अब तक 56057 करोड़ रुपये हो चुका है।
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अब तक सरकार के अहम बूस्टर डोज
- सरकार ने इकोनॉमी को बूस्ट देने के लिए बीते सितंबर महीने में कॉरपोरेट टैक्स में कटौती की थी। इसके तहत घरेलू कंपनियों पर बिना किसी छूट के इनकम टैक्स 22 फीसदी लगेगा। वहीं इसमें सरचार्ज और सेस जोड़ने के बाद कंपनी को 25।17 फीसदी टैक्स देना होगा। इसका फायदा देश की उन बड़ी कंपनियों को मिलने की उम्मीद है जो 30 फीसदी के कॉरपोरेट टैक्स स्लैब में आती हैं।
- सरकार ने नए निवेश करने वाली घरेलू कंपनियों को राहत देते हुए कहा कि 1 अक्टूबर से मैन्युफैक्चरिंग कंपनी स्थापित करने वाले कारोबारियों को 15 फीसदी की दर से टैक्स देना होगा। वहीं सरचार्ज और सेस के बाद टैक्स की दर 17।10 फीसदी हो जाएगी।
- बीते सितंबर महीने में सरकार ने देश के अलग-अलग शहरों में बैंक 'लोन मेला' लगाने का ऐलान किया। इसके जरिए बैंक के कर्मचारी अलग-अलग इलाकों में कैंप लगाकर कर्ज वितरित करते हैं। इसका मकसद उद्यमियों, किसानों और दूसरे जरूरतमंदों को लोन उपलब्ध कराना है।
- इसके साथ ही सरकार ने रियल एस्टेट को बूस्ट देने के लिए 10 हजार करोड़ रुपये का फंड देने की बात कही। यह फंड उन अधूरे प्रोजेक्ट को देने की घोषणा की है, जिनमें 60 फीसदी काम हो चुका है। इसके साथ ही घर खरीदने के लिए जरूरी फंड को स्पेशल विंडो बनाया जाएगा।
- सरकार ने पीएनबी समेत 10 बैंकों के विलय का ऐलान किया। सरकार का कहना है कि इससे बैंक और मज़बूत होंगे और उनकी कर्ज देने की क्षमता बढ़ेगी। वर्तमान में बैंकों की कर्ज देने की स्थिति कमजोर होने से कंपनियों का निवेश प्रभावित हो रहा है। इसके अलावा बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपये देने की भी बात कही गई।
- केंद्र सरकार विनिवेश पर जोर दे रही है। इसी के तहत हाल ही में सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि। (बीपीसीएल) समेत 5 सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने को मंजूरी दे दी है। इसके अलावा सरकार कई कंपनियों में हिस्सेदारी कम करने वाली है।
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आर्थिक हालत ठीक नहीं, लगातार लग रहे हैं झटके
देश के आर्थिक हालात की बात करें तो लगातार झटके लग रहे हैं। बीते दिनों चालू वित्त वर्ष (2019-20) की दूसरी तिमाही के जीडीपी आंकड़े जारी किए गए। इसके मुताबिक दूसरी तिमाही में जीडीपी का आंकड़ा 4।5 फीसदी पहुंच गया है। यह करीब 6 साल में किसी एक तिमाही की सबसे बड़ी गिरावट है। वहीं कोर सेक्टर, इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन, महंगाई दर समेत अन्य आंकड़े भी अर्थव्यवस्था के लिहाज से ठीक नहीं है।