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राहुल गांधी ने की एक्सपर्ट से बात, जानिए गर्मी से कोरोना खत्म होगा या नहीं
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना और लॉक डाउन के मुद्दे पर हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा से बात की जिसमें उन्होंने कहा कि जो परिवार एक साथ रहते हैं उनपर खतरा ज्यादा है। कोरोना गर्मी से ये रुक जाएगा, ऐसा तर्क देना पूरी तरह सही नहीं है।
नई दिल्ली: कोरोना के कारण फैलते संक्रमण को रोकने के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गए लॉक डाउन का यह चौथा चरण है। इसकी समाप्ति 30 मई को यह लॉक डाउन समाप्त हो रहा है लेकीन जब चौथे लॉक डाउन को लागू किया गया तो रेड जोन एरिया को छोड़ कर बहुत कुछ छूट भी दी गई। अब इस लॉक डाउन के कारण देश की अर्थव्यवस्था और समाज पर पड़ने वाले असर, कोरोना के इलाज के तरीकों के बारे में कांग्रेस पार्टी के नेता कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एक्सपर्ट से बात-चीत की एक सीरिज शुरू हुई है। आज इसी कड़ी में राहुल गांधी ने दो एक्सपर्ट से बात की और स्वास्थ्य से जुड़े मसलों पर चर्चा की।
आईये जानते हैं की क्या बातें हुई।
हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा से बात-चीत
बता दें कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बुधवार को हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा और स्वीडन के प्रोफेसर जोहान से बात की। जिसमें राहुल गांधी ने पूछा-
राहुल गांधी ने पूछा : लॉकडाउन पर क्या विचार? इससे मनोविज्ञान पर फर्क पड़ता है, ये कितना मुश्किल है?
प्रोफेसर झा ने जवाब दिया : लॉकडाउन को लेकर कई तरह के विचार हैं, लॉकडाउन की वजह से आप वायरस को धीमा कर सकते हैं। अगर वायरस को रोकना है तो सिर्फ जो पीड़ित हैं, उनको समाज से अलग कर सकते हैं। उसके लिए टेस्टिंग जरूरी है, लॉकडाउन आपको अपनी क्षमता बढ़ाने का वक्त देता है। क्योंकि लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर बहुत बड़ी चोट मिल सकती है। अगर लॉकडाउन का इस्तेमाल अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए नहीं किया गया, तो काफी नुकसान होगा।
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राहुल गांधी: लॉकडाउन की वजह से मजदूरों पर काफी असर पड़ा है, क्योंकि मजदूरों को पता नहीं है कि ये कब ठीक होगा और काम कब मिलेगा?
प्रोफेसर झा: कोरोना वायरस एक-दो महीने में नहीं जाएगा, ये 2021 तक रहने वाला है। रोजाना कमाने वाले मजदूरों के पास मदद पहुंचाने की जरूरत है, ताकि उन्हें भरोसा हो सके कि कल अच्छा होगा। लॉकडाउन से क्या नुकसान होगा इसका किसी को नहीं पता, लेकिन आप नुकसान को कम करने की कोशिश कर सकते हैं।
राहुल गांधी: टेस्टिंग को लेकर किस तरह की रणनीति अपनानी चाहिए?
प्रोफेसर झा: ताइवान-साउथ कोरिया जैसे देशों ने टेस्टिंग के मामले बढ़िया काम किया है। टेस्टिंग के मामले में अधिक टेस्ट जरूरी है और उसके बाद ऐसे इलाकों को पहचानना होगा जहां पर केस ज्यादा हैं। कोई भी व्यक्ति जो अस्पताल आता है, उसका टेस्ट होना जरूरी है फिर चाहे वो किसी भी कारण से आया हो। इसके अलावा स्वास्थ्यकर्मियों को लेकर आक्रमकता से टेस्टिंग जरूरी है।
राहुल गांधी: भारत में ऐसे कई युवा हैं, जिन्हें सांस, डायबिटीज जैसी बीमारी है तो युवा इससे कैसे निपटें?
प्रोफेसर झा: अगर कोई पूरी तरह से स्वस्थ है, उसे कोरोना वायरस नहीं होगा ऐसा किसी को नहीं सोचना चाहिए। ऐसे में युवाओं और खुले में काम करने वाले लोगों को लेकर खास तैयारी होनी चाहिए।
राहुल गांधी: गर्मी से कोरोना वायरस खत्म हो जाएगा, इस तरह के तर्कों को लेकर आप क्या कहेंगे?
प्रोफेसर झा: इस तरह की बात कही जा रही है कि BCG वैक्सीन से कोरोना वायरस ठीक हो सकता है, लेकिन मेरे हिसाब से ये खतरनाक होगा। क्योंकि अभी कई तरह का मंथन चल रहा है और रिसर्च के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। कोरोना को लेकर कई तरह के सबूत हैं कि मौसम फर्क डालता है, अगर लोग बाहर अधिक रहते हैं तो कोरोना अधिक फैलता है। लेकिन गर्मी से ये रुक जाएगा, ऐसा तर्क देना पूरी तरह सही नहीं है।
राहुल गांधी: टेस्टिंग की रफ्तार कैसे बढ़ेगी, क्या ज्वाइंट फैमिली में किसी तरह का कोई खतरा है?
प्रोफेसर झा: जो परिवार एक साथ रहते हैं उनपर खतरा ज्यादा है, क्योंकि न्यूयॉर्क में ऐसा देखा गया है कि जहां युवा लोग बाहर जाते हैं और घर वापस आते हैं तो घर के बुजुर्ग लोग खतरे में आ जाते हैं। भारत में टेस्टिंग और भी अधिक बढ़ाई जा सकती है, सिर्फ टेस्टिंग से ही इसे पहचाना जा सकता है।
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राहुल गांधी: कोरोना वायरस को एक जगह नहीं रोक सकते, ऐसे में केंद्र से राज्य को ताकत देनी चाहिए ताकि जमीन पर लड़ाई हो सके। वायरस की वजह से आर्थिक, स्वास्थ्य और दुनिया के सिस्टम पर सीधा असर पड़ा है। लोग कहते हैं 9/11 नया अध्याय था, लेकिन कोरोना के बाद की दुनिया नई किताब होगी।
प्रोफेसर झा: कोरोना की वजह से दुनिया का ऑर्डर बदल ही गया है, यूरोप के बड़े देश और अमेरिका जैसे देश आज कोरोना के खिलाफ लड़ाई को हार रहे हैं।
राहुल: भैया, ये बताइए वैक्सीन कब आएगी?
प्रोफेसर झा: तीन देशों में उम्मीद है कि जल्द आएगी, लेकिन पूरी तरह से उम्मीद है कि अगले साल तक वैक्सीन आ पाएगी। भारत को इसके लिए प्लान बनाना पड़ेगा, क्योंकि भारत को 50 करोड़ से अधिक वैक्सीन बनानी है।
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प्रोफेसर आशीष झा ने कहा- भारत को 50 करोड़ से अधिक वैक्सीन बनानी है
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कोरोना और लॉक डाउन के मुद्दे पर हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आशीष झा से बात की जिसमें उन्होंने कहा कि जो परिवार एक साथ रहते हैं उनपर खतरा ज्यादा है। कोरोना गर्मी से ये रुक जाएगा, ऐसा तर्क देना पूरी तरह सही नहीं है। भारत को 50 करोड़ से अधिक वैक्सीन बनानी है।
राहुल गांधी: कोरोना वायरस यूरोप में कैसे असर कर रही है और आगे इसका क्या होगा।
प्रोफेसर जोहान: ये बीमारी तेजी से फैल रही है, लेकिन ये काफी हल्की बीमारी है। क्योंकि 99 फीसदी लोगों को काफी कम लक्षण होते हैं और सिर्फ एक फीसदी पर ही इसका गहरा असर पड़ रहा है।
राहुल गांधी: लॉकडाउन के बाद कैसे दुनिया चलेगी, देश क्या रणनीति से काम करेंगे?>
प्रोफेसर जोहान: किसी देश के पास भी लॉकडाउन से बाहर निकलने की रणनीति नहीं है, लेकिन हर किसी को विचार करना होगा। इसका एक ही तरीका है कि चरणबद्ध तरीके से इससे निपटा जाएं, पहले एक ढील दें उसे परखें अगर मामला बिगड़ता है तो कदम पीछे लें।
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स्वीडन के प्रोफेसर जोहान से बात-चीत
राहुल गांधी: टेस्टिंग की क्या रफ्तार होनी चाहिए?
प्रोफेसर जोहान: टेस्टिंग को लेकर रणनीति बनानी होगी, जिसमें जगह, उम्र के हिसाब से टेस्ट करने होंगे। जगह-जगह कोरोना की रफ्तार से टेस्टिंग को करना होगा।
राहुल गांधी: आर्थिक मोर्चे पर क्या फर्क पड़ेगा?
प्रोफेसर जोहान: स्वीडन में हमने पहले देश को पूरा शटडाउन कर दिया, लेकिन अब हमने धीरे-धीरे ये हटा दिया है। लेकिन भारत जैसे देश में लॉकडाउन के करने से अर्थव्यवस्था पर बहुत गहरी चोट पड़ सकती है।
राहुल गांधी: कोरोना की वजह से अस्पताल भरे हुए हैं और लोगों को काफी दिक्कतें आ रही हैं।
प्रोफेसर जोहान: लॉकडाउन को हटा दीजिए, सिर्फ बुजुर्गों का ख्याल रखिए और बाकी को बाहर आने दीजिए। क्योंकि कोई युवा अगर कोरोना की चपेट में आता है, तो वह जल्द ठीक हो सकता है।
राहुल गांधी: केंद्र और राज्य में अलग-अलग विचार हैं? मजदूरों को लेकर काफी दिक्कतें हैं, लॉकडाउन की वजह से इन्हें रोजगार की चिंता हुई।
प्रोफेसर जोहान: भारत को जितना हो सके, उतनी अधिक लॉकडाउन में ढील देनी चाहिए।
दोनों ही प्रोफेसर दुनिया के जाने माने स्वास्थ्य मामले के एक्सपर्ट हैं, ऐसे में कोरोना वायरस का असर क्या है, किस तरह ये बढ़ रहा है और कबतक इसके ढलान पर आने की संभावना है। इसको लेकर चर्चा हो सकती है।
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इनसे भी कर चुके हैं बात-चीत राहुल गांधी
इससे पहले की बातचीत में राहुल गांधी ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी से चर्चा की थी। तब राहुल गांधी ने कोरोना संकट काल की वजह से अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर, नौकरी, गरीबों की मुश्किलों को लेकर बात की थी।
इन चर्चाओं के अलावा राहुल गांधी लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कर रहे हैं, बीते दिनों उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश में लगे चारों लॉकडाउन को फेल बताया था।