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राजस्थान पंचायत चुनाव: BJP ने मारी बाजी, कांग्रेस के ये मुद्दे हुए फेल
इस बार राजस्थान के पंचायत चुनाव में कृषि कानून और किसानों से जुड़ा मुद्दा कारगर साबित नहीं हुआ और फेल हो गया है। जिला परिषद की 636 सीटों में से 606 का चुनाव परिणाम भी सामने आ चुका है। बीजेपी को 326 सीटों पर जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस के हिस्से में 250 सीटें गई हैं।
जयपुर: इस बार राजस्थान के पंचायत चुनाव में कृषि कानून और किसानों से जुड़ा मुद्दा कारगर साबित नहीं हुआ और फेल हो गया है। बता दें कि पंचायत समिति और जिला परिषद चुनाव के परिणाम बीजेपी के पक्ष में रहा है। राज्य चुनाव आयोग ने बताया कि बीजेपी ने पंचायत समिति की 1,836 सीटों पर जीत हासिल की है। वहीं, सत्ताधारी दल कांग्रेस ने 1718 सीटों पर कब्जा जमाया है। जिला परिषद की 636 सीटों में से 606 का चुनाव परिणाम भी सामने आ चुका है। बीजेपी को 326 सीटों पर जीत मिली है। वहीं, कांग्रेस के हिस्से में 250 सीटें गई हैं।
गांव में विवाद के बाद एक शख्स की मौत
इस बीच खबर है कि फतेहपुर शेखावाटी के बलोद बड़ी गांव में विवाद के बाद एक शख्स की मौत हो गई। बताया जाता है कि भाजपा प्रत्याशी की जीत के बाद झगड़ा हुआ। बीजेपी और कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच विवाद इतना बढ़ गया कि एक शख्स की जान चली गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए गांव में पुलिस बल को तैनात कर दिया गया है। हालात का जायजा लेने एस पी गगनदीप सिंगला भी बलोद गांव पहुंच गए हैं।
ट्यूबवैल के लिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी
इधर, देशभर में चल रहे किसान आंदोलन के बीच गहलोत सरकार ने अन्न दाता को बड़ी राहत देने का ऐलान किया है। किसान संगठनों की ओर से मंगलवार को बुलाये गये भारत बंद की पूर्व संध्या पर गहलोत सरकार ने अहम फैसला करते हुये प्रदेश में डार्क जोन में 2011 से ट्यूबवैल और कुंए खोदने पर लगी रोक को हटाने का फैसला किया है।
अब प्रदेशभर में किसान और आम लोग सहित पांच कैटेगरी में ट्यूबवैल के लिए किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। सीएम अशोक गहलोत की अध्यक्षता में सोमवार शाम को हुई कैबिनेट और मंत्रिपरिषद की बैठक में यह निर्णय लिया गया है।
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भू-जल निकासी के लिए एनओसी नहीं लेनी होगी
प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सीएम के पास डार्क जोन में ट्यूबवेल पर रोक हटाने तथा डार्क जोन में कृषि कनेक्शन जारी करने और ब्लॉक स्तर तक प्रभावी जनसुनवाई का तंत्र विकसित करने के प्रस्ताव भिजवाए थे। कैबिनेट की बैठक में दोनों प्रस्तावों पर फैसला हो गया।
इसके बाद अब पेयजल और घरेलू उपयोग के लिए ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्योक्तिगत घरेलू उपभोक्ता, ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजनाओं, सशस्त्र बलों के प्रतिष्ठानों, कृषि कार्यकलापों और 10 घन मीटर प्रतिदिन से कम भू-जल निकासी करने वाले सूक्ष्म और लघु उद्योगों को भू-जल निकासी के लिए एनओसी नहीं लेनी होगी। इस बाबत जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे।
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विधायक, प्रधान और स्थानीय अफसर जनसुनवाई करेंगे
कैबिनेट में जिला, ब्लॉक और क्लस्टर स्तर पर जनसुनवाई का थ्री टीयर सिस्टम विकसित करने का फैसला किया गया है। इसके तहत पहले और तीसरे बुधवार को 10-10 गांवों के क्लस्टर में विधायक, प्रधान और स्थानीय अफसर जनसुनवाई करेंगे। हर क्लस्टर में 2 माह में सुनवाई अनिवार्य होगी। उपखंड स्तर पर हर माह के चौथे गुरुवार को जनसुनवाई होगी। जिला स्तर पर महीने के दूसरे गुरुवार को जनसुनवाई होगी। जिला स्तर की जनसुनवाई में सम्भगीय आयुक्त, विधायक और मंत्री रहेंगे।
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