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RIP Arun Jaitley: नहीं पूरा हो पाया ये सपना, पूरे देश शोक में डूबा
अरूण जेटली एक ऐसी शख्सियत एक ऐसा नाम है जिनके परिचय से कोई अज्ञात नहीं है। अरूण जेटली अपनी पूरी जिंदगी में हमेशा चमकते सितारे की तरह ही रहे है। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 66 की उम्र में आज दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल मेें निधन हो गया।
नई दिल्ली : अरूण जेटली एक ऐसी शख्सियत एक ऐसा नाम है जिनके परिचय से कोई अज्ञात नहीं है। अरूण जेटली अपनी पूरी जिंदगी में हमेशा चमकते सितारे की तरह ही रहे है। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 66 की उम्र में आज दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल मेें निधन हो गया। अरूण जेटली करीब दो हफ्ते से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे। और आज दोपहर 12:07 पर अरूण जेटली ने आखिरी सांस लीं और दुनिया को अलविदा कह दिया।
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देश के पूर्व वित्त मंत्री अरूण जेटली भाजपा के प्रमुख नेता होने के साथ ही प्रसिध्द अधिवक्ता भी थे। इसके अलावा भी ये केन्द्रीय न्याय मंत्री और भी कई पदों पर रहे हैं। लेकिन आज इस खास शख्सियत में पूरी दुनिया को अलविदा कह दिया।
आपको बता दें कि अरूण जेटली का बीती 9 अगस्त से दिल्ली के एम्स हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था। उनकी हालत गंभीर बनी हुई थी और डॉक्टरों की टीम उनके उपचार पर नजर रख रही थी। इनके फेफड़ों में पानी जमा हो रहा था, जिसकी वजह से उन्हें सांस लेने में दिक्कत आ रही था।
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यही वजह है कि डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रखा था। उन्हें सॉफ्ट टिशू सरकोमा था, जो एक प्रकार का कैंसर होता है। अरूण जेटली पहले से डायबिटीज के मरीज थे। उनका किडनी ट्रांसप्लांट हो चुका था। सॉफ्ट टिशू कैंसर की भी बीमारी का पता चलने के बाद वह इलाज के लिए अमेरिका भी गए थे। उन्होंने मोटापे से छुटकारा पाने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी भी करा रखी थी।
अरूण जेटली का ये सपना
अरुण जेटली राजनीति से लेकर व्यक्तिगत जिदगी तक हर जगह बेहद गंभीर स्वभाव के माने जाते हैं। इन सब में खास बात तो यह है कि उनका तंज कसने का तरीका भी थोड़ा अलग होता है। 28 दिसंबर साल 1952 को नई दिल्ली में जन्में अरुण जेटली बचपन से ही कुछ अलग करने का सपना था। वह सीए बनना चाहते थे। पढ़ने में काफी तेज अरुण जेटली ने दिल्ली के श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स में स्नातक की पढ़ाई की। इतना ही नहीं इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री भी ली है।
सबसे पहले बने छात्र संघ के अध्यक्ष
जब दिल्ली विश्वविद्यालय में ये पढ़ रहे थे तभी से राजनीतिक सफर शुरू हो गया था। यह सबसे पहले छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। वे अखिल भारती विद्यार्थी परिषद में दिल्ली ईकाई और अखिल भारतीय अध्यक्ष भी बने थे। देश में आपातकाल के समय इन्होंने एक खास भूमिका निभाई थी। इन्हें जेल भी जाना पड़ा था। तिहाड़ जेल में गुजरे उनके 19 महीने कई अध्यायों के लिए तीखा मसाला हैं।
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पीएम मोदी से दोस्तानां
उनके जीवन के कई अन्य मोड़ भी हैं। जैसे गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी काफी पहले हुई दोस्ती, जिसकी वजह से उन्हें भाजपा में ऊपर पहुंचने में मदद मिली। 2002 के दंगों के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के पक्ष में खुलकर राजनैतिक और कानूनी रूप से बचाव करने की वजह से जेटली उदारवादियों की लानत-मलानत के केंद्र बिंदु बन गए। लेकिन वे मोदी के साथ रहे और इसका फायदा दोनों को मिला।
जेटली को ये था शौक
आपको बता दें कि आलोचकों का कहना है कि अरूण जेटली को दरबार पसंद था। दिल्ली के लोधी गार्डन में मॉर्निग वॉक के दौरान इसका एक चलता-फिरता संस्करण होता है। वास्तव में सत्ता की मलाई चाहने वालों, लॉबिइंग करने वालों और सामान्य दोस्तों के लिए भी यह अच्छा मौका होता है। कोई भी यहां उनके साथ हो सकता है। कई लोग पहुंच भी जाते हैं। वे लोग भी जो कथित रूप से भाजपा नेता को भारत में लड़ाकू विमान बेचने की इच्छुक अपनी कंपनी की खासियत को बताने की कोशिश करते हैं।
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गम्भीर स्वभाव के अरून जेटली
अरुण जेटली बेहद गंभीर स्वभाव के व्यक्ति माने जाते थे। अरुण जेटली ने 24 मई 1982 को संगीता जेटली से शादी की थी। संगीता जेटली स्वर्गीय गिरधारी लाल डोगरा की बेटी हैं। आज अरुण जेटली के एक बेटी सोनाली और एक बेटा रोहन हैं। इनके बच्चों ने भी अपने पिता की तरह ही वकालत के पेशे को अपनाया।
बजट पेश करते निराला अंदाज
इसके साथ ही अरुण जेटली को शेरो शायरी का बहुत शौक था। उनका ये अंदाज बजट पेश करते समय देखने को मिला है। कई बार उन्होंने शायरियों के बल पर ही विपक्ष पर काफी अच्छे से तंज कसा है। अपनी इन शायरियों को लेकर अरुण जेटली काफी चर्चा में भी रह चुके हैं।
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ये है बजट में जेटली ने पढ़ा ये शेर
वर्ष 2017 में अरूण जेटली की शायरी
इस मोड़ पर घबरा कर न थम जाइए आप,
जो बात नई है अपनाइए आप,
डरते हैं क्यों नई राह पर चलने से आप,
हम आगे आगे चलते हैं आइए आप।
वर्ष 2016 में ये पढ़ी थी ये शायरी
कश्ती चलाने वालों ने जब हार कर दी पतवार हमें,
लहर लहर तूफान मिलें और मौज-मौज मझधार हमें,
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको,
इन हालातों में आता है दरिया करना पार हमें
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वर्ष 2015 जेटली की शायरी
कुछ तो फूल खिलाये हमने
और कुछ फूल खिलाने हैं,
मुश्किल ये है बाग में
अब तक कांटें कई पुराने हैं।
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