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Mughal Badshah: रंगीला न हुआ कोई मुहम्मद शाह रंगीला जैसा
Muhammad Shah Rangeela: मुहम्मद शाह ने इंटेलेक्चुअल अभिजात वर्ग का निर्माण किया। मुहम्मद शाह ने कविता लिखने या सुनने में समय बिताने की संस्कृति की स्थापना की जो बाद में भारतीय मुस्लिम समाज का प्रतीक बन गई। उन्होंने एक ऐसी दिल्ली का निर्माण किया, जो संस्कृति का शहर था, जिसमें शिष्टाचार का सहज रवैया था। इस काल में उर्दू भाषा का विकास हुआ और इसने फ़ारसी का स्थान ले लिया।
Mughal Badshah: रोशन अख्तर उर्फ मिर्जा नासिर-उद-दीन मुहम्मद शाह उर्फ मुहम्मद शाह "रंगीला" 13वें मुग़ल बादशाह थे। मुगल बादशाहों में इनके जैसा कलरफुल बादशाह कोई और नहीं हुआ। जैसा इनका नाम था वैसी इनकी जिंदगी थी। राजनीति और कट्टरपंथ से चिढ़ने वाले मुहम्मद शाह मात्र 16 साल की उम्र में 1719 में तख्त - ए - ताउस पर बिठाए गए थे और 1748 तक उन्होंने शासन किया। मुहम्मद शाह, बहादुर शाह प्रथम यानी शाहआलम के चौथे पुत्र खुजिस्ता अख्तर के पुत्र थे। यानी मुहम्मद शाह, औरंगज़ेब के परपोते थे।
रंगीन लाइफस्टाइल
मुहम्मद शाह रंगीला बहुत सुन्दर, बुद्धिमान और हाजिरजवाब भी थे। उसने अपने शासनकाल में न तो रईसों पर भरोसा किया और न ही धार्मिक अभिजात वर्ग पर, जिन्होंने औरंगजेब के शासनकाल के दौरान कुलीन वर्ग का स्थान ले लिया था। मुहम्मद शाह के नाम के साथ रंगीला तखल्लुस इसलिए जुड़ा क्योंकि उसकी लाइफस्टाइल बेहद रंगीन थी। उसे शराब, संगीत और शेर शायरी बहुत पसंद थी। इसलिए, धार्मिक अभिजात वर्ग उनको नापसंद करता था। औरंगजेब के शासनकाल में कूड़ेदान में फेंक दिए गए संगीत, नाटक, नृत्य, कला, कविता, साहित्य के लोगों और कलाकारों को मुहम्मद शाह ने इज्जत दी, अपने दरबार में जगह दी और आम अवाम में भी रंगीन मिजाजी वाली लाइफस्टाइल का पैगाम दिया।
मुहम्मद शाह ने इंटेलेक्चुअल अभिजात वर्ग का निर्माण किया। मुहम्मद शाह ने कविता लिखने या सुनने में समय बिताने की संस्कृति की स्थापना की जो बाद में भारतीय मुस्लिम समाज का प्रतीक बन गई। उन्होंने एक ऐसी दिल्ली का निर्माण किया, जो संस्कृति का शहर था, जिसमें शिष्टाचार का सहज रवैया था। इस काल में उर्दू भाषा का विकास हुआ और इसने फ़ारसी का स्थान ले लिया। उर्दू पहले आम लोगों की भाषा थी लेकिन अब यह अभिजात वर्ग की भाषा बन गयी।
रंगीला और सेक्स
मुहम्मद शाह अपनी लाइफस्टाइल के लिए प्रसिद्ध थे : सुबह उनके मनोरंजन के लिए तीतर और हाथियों की लड़ाई आयोजित की जाती थी; शाम के समय, बाजीगर और माइम कलाकार प्रदर्शन करते थे। सम्राट अक्सर महिलाओं का लंबा अंगरखा (पेशवाज़) और मोती की कढ़ाई वाले जूते पहनकर बैठते थे। मुहम्मद शाह ने उत्कृष्ट कलाकारों को नियुक्त किया, जिनकी कृतियाँ दरबारी जीवन के जीवंत और गूढ़ दृश्य दिखाती हैं जैसे कि होली उत्सव, शिकार करना, और यहां तक कि सम्राट का प्रेम करना। मुहम्मद शाह की एक पेंटिंग काफी दिलचस्प है। इसमें बादशाह को एक स्त्री के साथ सेक्स करते दिखाया गया है।
ऐसी पेंटिंग क्यों बनाई या बनवाई गई, इसका कोई निश्चित जवाब नहीं है। कुछ इतिहासकारों द्वारा ये माना जाता है की बादशाह ने अपनी मर्दानगी साबित करने के लिए ऐसी पेंटिंग बनवाई थी। हालांकि मुहम्मद शाह की छह बेगमें थीं और बच्चे चार थे। उनकी पत्नियों के नाम थे - साहिबा महल, क़ुदसिया बेगम, फ़तेहपुरी महल, रोशनबाड़ी महल, रूप बाई और नूर बाई। उनके बच्चों के नाम थे - अहमद शाह बहादुर, ताज महमूद मिर्ज़ा, शहरयार मिर्जा और हजरत बेगम।