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मचेगी भयानक तबाही: आ रही कोरोना की दूसरी लहर, यहां जानें कौन जिम्मेदार

जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 10 लाख के पार पहुंच गई है जबकि महामारी की शुरुआत से अब तक दुनिया भर में संक्रमित लोगों की संख्या 3.32 करोड़ के पार पहुंच गयी है।

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Published on: 3 Oct 2020 4:35 PM IST
मचेगी भयानक तबाही: आ रही कोरोना की दूसरी लहर, यहां जानें कौन जिम्मेदार
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मचेगी भयानक तबाही: आ रही कोरोना की दूसरी लहर, यहां जानें कौन जिम्मेदार

नील मणि लाल

नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर की आशंका जताई जा रही है। फ्रांस, नीदरलैंड्स और कुछ अन्य यूरोपीय देशों ने तो संक्रमण को दोबारा फैलने से रोकने के लिए पाबंदी सख्त कर दी है। भारत में केरल ने भी कोरोना की दूसरी लहर देखी जा रही है और यहाँ फिर लॉक डाउन की चेतावनी दी गयी है। महाराष्ट्र में भी दूसरी लहर की आशंका है। दूसरी लहर के पीछे लोगों का बेपरवाही भरा व्यवहार जिम्मेदार है। जैसे जैसे सब कुछ खुलता जा रहा है वैसे वैसे लाग मास्किंग, फिजिकल डिसस्टेंसिंग, साफ़ सफाई के प्रति लापरवाह होते जा रहे हैं और इसी से संक्रमण नए लोगों में फैलने लगा है।

जॉन्स हॉप्किंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक दुनियाभर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 10 लाख के पार पहुंच गई है जबकि महामारी की शुरुआत से अब तक दुनिया भर में संक्रमित लोगों की संख्या 3.32 करोड़ के पार पहुंच गयी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संक्रमितों की संख्या और अधिक हो सकती है क्योंकि कई मामले जांच के दायरे में नहीं आ रहे हैं।

अमेरिका में इस बीमारी ने सबसे ज्यादा लोगों की जान ली है। इसके बाद ब्राजील है जहाँ 1,42,000 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण और मौत के मामले में भारत भी शीर्ष तीन देशों में शामिल है। दुनिया भर में कोरोना वायरस से मौतों का आंकड़ा दस लाख पार होने पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा है कि यह ‘दिमाग सुन्न’ करने देने वाला आंकड़ा है। उन्होंने कहा कि हमें गलतियों से सीखने की जरूरत है।

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यूरोप में फिर बढ़ रहे मामले

यूरोप के जिन देशों ने कोविड-19 के प्रसार को काफी नियंत्रित कर लिया था वहां अब संक्रमण फिर से बढ़ने लगे हैं। अल्बानिया, बुल्गारिया, चेक रिपब्लिक, मॉन्टेंगरो, नार्थ मेसेडोनिया में अगस्त के मुकाबले अब बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं। दूसरी ओर फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, पोलैंड और नीदरलैंड में तो कोरोना की दूसरी लहर आ भी चुकी है और वहां सख्त पाबंदियां लगाई जा रहीं हैं। लन्दन के दक्षिणी इलाकों में फिर दो हफ्ते का पूर्ण लॉक डाउन लगाया जा रहा है।

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वुहान में हुई थी पहली मौत

इसी साल जनवरी के शुरुआती हफ्ते में कोविड-19 के कारण वुहान में 61 साल के व्यक्ति की मौत हुई थी। चीन के वुहान से शुरू हुआ कोविड-19 दुनिया भर में तेजी से पैर पसारता गया और लाखों लोग दम तोड़ते गए। नौ महीने बाद आंकड़ा 10 लाख को पार कर गया। अब तो हाल यह है कि हर 16वें सेकंड में एक कोरोना मरीज की मौत हो रही है। हर 24 घंटे में दुनिया भर में 5,400 मरीज दम तोड़ रहे हैं।

तीन देशों में आधी मौतें

विश्व में कोविड-19 से जितनी मौतें दर्ज हुईं हैं उनमें अमेरिका, ब्राजील और भारत का हिस्सा 45 फीसदी है। वहीं लातिन अमेरिकी क्षेत्र एक तिहाई से ज्यादा मौतों के लिए जिम्मेदार है। संकट सिर्फ कोरोना से होने वाली मौत का ही नहीं है बल्कि अंतिम संस्कार को लेकर भी है। कोरोना के कारण मृतकों का अंतिम संस्कार कराना भी स्वास्थ्य कर्मियों और परिवार के लिए बड़ी चुनौती है।

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आवाज से भी फैलता है कोरोना

हिमाचल प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष ने हाल ही में जब कहा कि तेज बोलने से भी कोरोना वायरस फैलता है तो इस बात का मजाक बनाया गया था लेकिन एक नई रिसर्च यह संकेत दे रही है कि यह मजाक की बात नहीं है।

कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में हुई इस रिसर्च में सामने आया है कि धीमे बोलने से कोविड-19 के प्रसार को कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि इसे देखते हुए अस्पताल और रेस्तरां जैसी ज्यादा जोखिम वाली बंद जगहों के अंदर अगर ज्यादा शांत इलाके बना दिए जाएं तो संक्रमण के फैलने के जोखिम को कम किया जा सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि आवाज के औसत स्तरों में अगर छह डेसिबेल की कमी की जाए, तो उससे वैसा ही असर होगा जैसा किसी कमरे की वेंटिलेशन को दोगुना करने से होता है।

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ऊंचा बोलने पर ज्यादा खतरा

अध्ययन में पाया गया कि आवाज 35 डेसिबेल बढ़ा देने से हवा में मौजूद वायरस वाले कण 50 गुना ज्यादा तेज दर से फैलते हैं। 35 डेसिबेल यानी फुसफुसाने और चिल्लाने के बीच का फासला। बोलते समय मुंह से बहुत ही छोटी बूंदें निकलती हैं जिनके वाष्प बन कर उड़ जाने के बाद हवा में एयरोसोल कण रह जाते हैं जो इतने बड़े होते हैं कि उनमें वायरस रह सके।

विश्व स्वास्थ्य संगठन पहले ही मान चुका है कि समूह में गाते समय, या रेस्तरां में खाते समय, या व्यायाम की क्लासों में एयरोसोल के जरिए कोरोना वायरस का प्रसार हो सकता है। इस देखते हुए जुलाई में संगठन ने अपने दिशा निर्देश भी बदले थे।

सार्वजनिक स्थलों पर ज्यादा शोर

आम तौर पर बातचीत के दौरान आवाज का स्तर 10 डेसिबेल से थोड़ा ज्यादा होता है, जबकि रेस्तरां में आस पास की आवाज 70 डेसिबेल के करीब होती है।

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चीन का एक और वायरस भारत में फैला सकता है बीमारी

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद यानी आईसीएमआर के वैज्ञानिकों में देश में चीन से आए एक और वायरस की खोज किए जाने का खुलासा किया है। वैज्ञानिकों ने कहा है कि यह वायरस कोरोना महामारी के बीच देश में दूसरी बीमारी फैलाने की भी क्षमता रखता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि खोजा गया नया वायरस कैट क्यू वायरस है। यह आर्थ्रोपोड-जनित वायरस की श्रेणी में आता है और सूअर और क्यूलेक्स मच्छरों में पाया जाता है। इस वायरस की चीन और वियतनाम में बड़े पैमाने पर मौजूदगी मिली है। वैज्ञानिकों ने कहा कि भारत में सुअर और जंगली मैना पक्षी की बड़ी संख्या में मौजूदगी इस वायरस के भारत में बड़े स्तर पर फैलने की आशंका जताती है।

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दो लोगों में मिली वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी और आईसीएमआर, पुणे के वैज्ञानिकों ने बताया कि देश के विभिन्न राज्यों में लिए गए 883 मानव सीरम नमूनों में से दो में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी मिली है। जांच में सामने आया कि दोनों लोग किसी समय वायरस से संक्रमित थे। कर्नाटक के इन नमूनों को 2014 और 2017 में एंटी-सीक्यू वी एंटीबॉडी की उपस्थिति के लिए सकारात्मक पाया गया था। मच्छरों में इस वायरस की उपस्थिति भारत में बीमारी का संकेत है।

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वैज्ञानिकों के अध्ययन में एजिप्टी सहित तीन मच्छरों की प्रजातियों में कैट क्यू वायरस की मौजूदगी पाई गई। पक्षियों में इसकी उपस्थिति और उनके जरिए मनुष्य तक इसके संक्रमण पहुंचने की रिपोर्ट अभी सामने नहीं आई है। घरेलू सुअरों में इस वायरस की उपस्थिति पाई गई है और यह मनुष्यों तक संक्रमण पहुंचा जा सकता है। चीन में बड़ी संख्या में पालतू सुअरों में इस वायरस की उपस्थिति पाई गई है। ऐसे में यह चिंता का विषय है।

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