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रेलवे ने तोड़े रिकॉर्ड: फिर रचा इतिहास, शेषनाग की रफ्तार ने बनाई मिसाल
भारतीय रेलवे लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। इस बीच गुरुवार को पटरियों पर 2.8 किलोमीटर लंबे शेषनाग ट्रेन के दौड़ने के साथ ही रेलवे ने एक रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है।
नई दिल्ली: भारतीय रेलवे लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। इस बीच गुरुवार को पटरियों पर 2.8 किलोमीटर लंबे शेषनाग ट्रेन के दौड़ने के साथ ही रेलवे ने एक रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया है। गुरुवार को 2.8 किलोमीटर लंबी शेषनाग ट्रेन को नागपुर डिवीजन से कोरबा के बीच चलाया गया। इस ट्रेन को चलाने के लिए रेलवे ने चार इंजनों का इस्तेमाल किया और इसमें 251 वैगन थे। बता दें कि 'शेषनाग’ भारतीय रेल पर चलने वाली अब तक की सबसे लंबी ट्रेन है।
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छह घंटे में पूरा किया 260 किलोमीटर का सफर
भारतीय रेलवे की सबसे लंबी ट्रेन शेषनाग ने 260 किलोमीटर के सफर को करीब छह घंटे में पूरा किया। मालगाड़ियों के Transit टाइम को कम करने के लिए भारतीय रेलवे ने यह अनोखा प्रयोग किया है। इस ट्रेन को पटरी पर दौड़ाने के लिए इसमें छह हजार हॉर्स पावर की क्षमता वाले चार इलेक्ट्रिक इंजन लाए गए थे।
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तीन इलेक्ट्रिक इंजन के साथ पटरी पर दौड़ी थी सुपर एनाकोंडा
जबकि सुपर एनाकोंड़ा में छह हजार हॉर्स पावर वाले तीन इलेक्ट्रिक इंजन लगाए गए थे। बता दें कि यह ट्रेन दो किलोमीटर लंबी थी। शेषनाग ट्रेन में 251 वैगन थे, जबकि सुपर एनाकोंडा ट्रेन में 177 लोडेड वैगन थे। इसी के साथ रेलवे ने एक ही दिन में सुपर एनाकोंडा का रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिया। बता दें कि सुपर एनाकोंडा बुधवार को पटरियों पर उतरी थी।
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15 हजार टन का वजन किया गया था लोड
बुधवार को रेलवे ने तीन इंजन और मालगाड़ियों को जोड़कर सुपर एनाकोंडा ट्रेन बनाया, जिसकी लंबाई दो किलोमीटर रही। सुपर एनाकोंडा को एनाकोंडा फॉर्मेशन में ओडिशा के लाजकुरा और राउरकेला के बीच चलाई गई थी। इसकी अधिकतम स्पीड 60 किलोमीटर प्रति घंटा रही। इसमें ये सफर करीब सवा दो घंटे में पूरा किया था। इस ट्रेन में 15 हजार टन का वजन लोड था और इससे एक करोड़ रुपये से ज्यादा के सामान को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाया गया था।
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इससे पहले बुधवार को रचा था ये कीर्तिमान
बता दें कि बुधवार को रेलवे ने एक और कीर्तिमान रचा था। दरअसल, एक जुलाई को देश में चली 201 ट्रेनें अपने तय समय के अनुसार स्टेशनों पर पहुंची और ऐसा रेलवे के 167 साल के इतिहास में पहली बार हुआ था कि सभी ट्रेनें अपने निर्धारित समय पर स्टेशन पर पहुंची हो। पहली बार सभी ट्रेनें 100 फीसदी समय की पंचुअल्टी से चली और अपने गंतव्य स्थान पर तय समय पर पहुंची।
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