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इतना घातक कोरोना: ये 12 बातें अभी तक नहीं जानते हम, तो रहें सावधान

चीन से फैलने वाले इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में निमोनिया के लक्षण दिखते थे। फिर इसके बाद से धीरे-धीरे वैज्ञानिकों को इस वायरस के बारे में कई और बातें पता चलीं, लेकिन अब भी बहुत कुछ है जो उन्हें नहीं पता।

Vidushi Mishra
Published on: 30 March 2020 3:16 PM IST
इतना घातक कोरोना: ये 12 बातें अभी तक नहीं जानते हम, तो रहें सावधान
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नई दिल्ली : चीन से फैलने वाले इस वायरस से संक्रमित व्यक्ति में निमोनिया के लक्षण दिखते थे। फिर इसके बाद से धीरे-धीरे वैज्ञानिकों को इस वायरस के बारे में कई और बातें पता चलीं, लेकिन अब भी बहुत कुछ है जो उन्हें नहीं पता। अब जैसे-जैसे कोरोना वायरस दुनियाभर में फैल रहा है, वैज्ञानिक, डॉक्टर और यहां तक पॉलिसी बनाने वाले और अर्थशास्त्री भी कई तरह के सवालों के जवाब खोज रहे हैं।

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कितना खतरनाक है ये वायरस

डब्ल्यू एच ओ के मुताबिक, ये संक्रमित शख्स के खांसने या छींकने पर हवा के जरिए फैलता है और संपर्क में आने वाले दूसरे लोगों को भी बीमार बना देता है। कई सतहों पर ये कई-कई दिनों तक रह पाता है। जिससे खतरा और बढ़ जाता है।

इस वायरस से इंफेक्टेड सतह को स्वस्थ लोग छुएं और उसके बाद अपना हाथ मुंह, आंखों या नाक तक ले जाएं तो बीमार हो सकते हैं। ये भी माना जा रहा है कि कोरोना पॉजिटिव से मल-मूत्र से भी वायरस फैलता है लेकिन अब तक इसके प्रमाण नहीं मिले हैं।

इतने लोग संक्रमित, इतनों में नहीं पाए गए लक्षण

दुनियाभर में 7 लाख से ज्यादा मामले आ चुके हैं, जिनमें से 127,000 लोग ठीक हो गए और 33,000 से ज्यादा की मौत हो गई। कुछ शोधकर्ता अनुमान लगाते हैं कि लगभग 80% तक संक्रमित लोगों में बीमारी के लक्षण हल्के होते हैं या कई-कई बार होते ही नहीं हैं।

युवाओं पर असर

इस वायरस का कम उम्र के लोगों के चपेट में आने का डर कम रहता है हालांकि उन्हें भी हो सकता है। और ये इतना गंभीर भी हो सकता है कि उन्हें अस्पताल में भर्ती कराने की नौबत आ जाए। मतलब युवा इससे कितने सुरक्षित हैं, ये अभी साफ नहीं।

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डब्ल्यू एच ओ की मानें तो अधिक उम्र के लोग, खासकर जिन्हें पल्मोनरी डिसीज, अस्थमा, हाई ब्लडप्रेशर, डायबिटीज और दिल की बीमारी हो, उनमें खतरा बढ़ जाता है। बता दें कि यूएस के स्वास्थ्य अधिकारियों का मानना है कि पुरुषों में इस वायरस के कारण मौत का खतरा महिलाओं से लगभग दोगुना हो सकता है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि कोई भी जो पहले से बीमार हो, या फिर जिसका इम्यून सिस्टम कमजोर हो, उसे खतरा बढ़ जाता है।

एक बार होने के दोबारा भी है खतरा संक्रमण का

अभी ये पता नहीं चल सका है, लेकिन ठीक हुए लोगों में दोबारा संक्रमण के कई मामले आए हैं। हालांकि कई वैज्ञानिकों का कहना है कि ऐसा होने का बहुत डर रहता है। मरीज के रिकवर होने पर उसकी दोबारा जांच होती है, तब नाक और गले से सैंपल लेते हैं, जबकि हो सकता है कि वायरस कहीं और छिपा हो। ऐसे में रिजल्ट निगेटिव आ जाता है।

बता दें कि पूरी तरह से रिकवर हुए लोगों के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है लेकिन ये पता नहीं चल सका है कि एंटीबॉडी कब तक सुरक्षा कर सकती है। कई बार एंटीबॉडीज कई विषाणुओं के आगे कमजोर हो जाती हैं। जैसा कि फ्लू के वायरस के साथ होता है।

दवाई के क्या हैं हाल

कोरोनवायरस के लिए कोई टीका या एंटीवायरल दवाएं नहीं हैं। अभी के लिए उपचार सांस लेने में सहायता जैसे लक्षणों से राहत देने पर केंद्रित है। कंपनियां टीका तैयार करने की कोशिश में लगी हैं। कुछ ने ट्रायल भी शुरू कर दिए हैं। लेकिन माना जा रहा है कि टीका तैयार होने में 1 साल या ज्यादा वक्त भी लग सकता है।

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गर्म स्थानों में धीरे-धीरे फैलता है

इस पर कुछ एक्सपर्ट्स को लगा था कि गर्मी की शुरुआत वायरस की रफ्तार कम करेगी लेकिन रोग नियंत्रण के लिए यूरोपीय केंद्र ने हाल ही में कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। डब्ल्यू एच ओ की माने तो कोरोना वायरस गर्म और नमीदार सारी जगहों पर फैल सकता है।

अब होगा इस वायरस का खात्मा

इस बारे में कुछ बोला नहीं जा सकता। ये कई बातों पर निर्भर करता है जैसे लोग कितने वक्त तक आइसोलेट रहेंगे और सोशल डिस्टेंसिंग बना सकेंगे। और कब तक इसकी दवा या वैक्सीन आएगी।

वायरस से लोगों की संख्या का आकड़ा

वायरस शरीर में प्रवेश कर कोशिकाओं को संक्रमित करते हैं, यहीं पर वे लाखों की संख्या में बढ़ते जाते हैं। इससे पहले प्रवेश किए वायरसों का असर शरीर पर उतना नहीं पड़ता।

अर्थव्यवस्था का क्या

इंटरनेशनल मैनैटरी फंड को चिंता है कि इस महामारी के कारण पूरी दुनिया में 2020 में मंदी आ जाएगी जो साल 2008 की मंदी से भी भयानक होगी। मंदी कितनी डरावनी होगी, कितना लंबा वक्त लेगी और कैसे रिकवर होगी, ये पता नहीं चल सकता है।

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खर्च हो डॉलर क्या मदद कर रहे

बता दें कि केंद्रीय बैंक कोशिश कर रहे हैं कि वित्तीय बाजार चलते रहें। खासकर वे एरिया जो अर्थव्यवस्था को सुचारू रखने के लिए जरूरी हैं। जैसे कि मार्केट जहां कंपनियां अपने कर्मचारी को तनख्वाह देने के लिए पैसे ले सकें या फिर शहरों में जहां सड़कें और स्कूल बनाने के लिए पैसे लिए जा सकें।

निवेश के लिए कैसा है समय

इस समय कुछ निवेशक यह समझने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या लोगों को स्टॉक मार्केट में पैसे लगाने चाहिए, जिनमें फरवरी के बाद से 25% की गिरावट आ चुकी है। यूएस में राहत फंड के मैनेजर बिल एकमेैन ने पाया कि इस हफ्ते स्टॉक और क्रेडिट में कई सकारात्मक चीजें देखने को मिलीं। लेकिन इतनी सारी अनिश्चितताओं के साथ ज्यादातर विश्लेषक और इनवेस्टर इस बारे में कुछ भी कहने या लोगों से निवेश के लिए कहने से बच रहे हैं। सब कुछ इस महामारी के जितनी जल्दी खत्म होगी उस पर निर्भर करता है।

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Vidushi Mishra

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