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ये है दिया जलाने का राजः तो आप मानिये पीएम मोदी की बात दीजिए साथ
इसलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 अप्रैल के लिए किये गए आह्वान के मर्म को समझने की जरूरत है। पूरे देश की कोरोना के खिलाफ एकजुट शक्ति की जरूरत है क्योंकि कोरोना किसी जाति या मजहब को देखकर नहीं फैल रहा है। यह सबको निशाना बना रहा है। इसलिए मानी जानी चाहिए मोदी की बात।
रामकृष्ण वाजपेयी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 अप्रैल को रात नौ बजे घरों की बत्तियां बंद करके नौ मिनट तक दिये, मोमबत्ती और मोबाइल फ्लैश लाइट सोशल डिस्टेंसिंग मेनटेन करते हुए घरों के दरवाजों, बालकनी व छतों पर जलाये रखने की अपील क्यों की है, क्या है पहले थाली और ताली बजाने का विज्ञान।
अब क्या है आग या प्रकाश से कोरोना के लिए जंग लड़ रहे योद्धाओं के प्रति 130 करोड़ जनता की एकजुटता का विज्ञान। क्यों मोदी को करनी पड़ी ये अपील। क्या मोदी जी जनता का लिटमस टेस्ट कर रहे हैं। क्यों माननी चाहिए जनता को मोदी की ये अपील।
दहशत से निकालने की पहल
गौरतलब है कि हाल के दिनों में तब्लीगी जमात के मरकज के कोरोना बम विस्फोट से पूरे देश में जो दहशत का माहौल बन गया है। विदेशों में भी कोरोना फैलाने में जमात के लोगों की भूमिका सामने आ रही है।
इसके बाद मरकज से निकाले गए मौलानाओं द्वारा अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मियों और डॉक्टरों से दुर्व्यवहार की खबरों से जो माहौल खराब हो रहा है। ऐसे में सभी धर्माचार्यों से कोरोना के खिलाफ जंग में सहयोग मांगा गया है। यदि हम रहे तभी धर्म और जाति को बचा पाएंगे।
पीएम मोदी के आह्वान पर इससे पहले एक सौ तीस करोड़ देशवासियों ने थाली और ताली बजायी थी जिसे बाद में ब्रिटेन सहित कई देशों में अमल में लाया गया। इससे प्रमाणित होता है कि मोदी की ये अपील जायज और सही थी।
इस काम से निकलेगी उम्मीद की प्रकाश किरण
अब एक बार फिर जरूरी हो गया है कि इस कोरोना नामक महामारी के खिलाफ पूरे देश की एकजुटता सामने आए। यह ब्लैकआउट देश को फिर एकसूत्र में बांधने का प्रयास है। जिससे निकलेगी उम्मीद की प्रकाश की किरण।
कोरोना के वायरस का घर में प्रवेश से रोकने के लिए स्वच्छता बनाए रखने के साथ घरेलू उपाय पुरातन काल से ही होते आए हैं। पूरी दुनिया में तेजी से फैलने वाले वायरस को घरों तक आने से रोकने के लिए सभी तरह के उपाय किए जा रहे हैं।
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हम ऋतुओं के संधिकाल में होली और दिवाली मनाते आए हैं। जो कि वायरस को दूर करने में अहम भूमिका निभाते हैं। होलिका की आग वातावरण में नाइट्रोजन गैस के दबाव को दूर धकेलती है। इसी तरह दिवाली में आतिशबाजी से तमाम वायरस खत्म होते हैं।
हमारे यहां औषधीय वस्तुओं की धूनी गाय के गोबर के कंडे पर रखकर घर के आसपास घुमाने से तमाम तरह के वैक्टीरिया से मुक्ति मिलने की बात प्रचलित है। इससे कोरोना सहित अन्य सभी तरह के वायरस को नष्ट करने में काफी हद तक मदद मिल सकती है। यह बात सांख्य योग वेदांताचार्य महामंडलेश्वर स्वामी माधवानंद गिरि महाराज ने भी कही है।
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कंडे की आग में हवन सामग्री को रखकर घर के अंदर तथा आंगन तक ले जाने, उसका धुआं, सुबह और शाम को फैलाने से कई तरह की बीमारी के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं। किसी कारण यदि कोई वायरस घर में आ गया है तो वह भी नष्ट हो जाएगा। दीपक जलाने के पीछे यह वैज्ञानिक तर्क दिया जाता है कि इससे सारे रोगाणु भाग जाते हैं। दीपक जलाने से आसपास प्रदूषण मुक्त का भी वातावरण बना रहता है।
आग में है बहुत ताकत
प्रज्जवलित आग में बहुत शक्ति है। प्रज्जवलित अग्नि के गुण को पाश्चात्य देश अमेरिका, इंग्लैंड, रशिया, फ्रांस, जर्मनी आदि देशों के वैज्ञानिकों ने भी परीक्षण करके स्वीकार किया है।
सामान्य ताप कम करने से उच्चवर्गीय पौधों और प्राणियों पर अच्छा प्रभाव नहीं पड़ता परंतु बहुत से जीवाणु कम ताप पर जीवित रहते हैं। अधिकतम जीवाणुओं की वृद्धि 5o-6o सें. के बीच समाप्त हो जाती है। कुछ समुद्री और कुछ भूमि में रहनेवाले जीवाणु 0. सें. से नीचे के ताप पर सक्रिय रहते हैं। अनुकूलतम ताप सामान्यत: जीव के प्राकृतिक वास पर निर्भर रहता है, जो भूमि में रहनेवालों के लिये 25. सें. और पराश्रयी जीवाणुओं के लिये 37. सें. है।
ऐसे हो जाता है अंत
अधिकतम ताप जिसके ऊपर बहुत से जीवों की वृद्धि संभव नहीं है 38.-48. सें. के बीच है। किसी जीव की मृत्यु साधारणत: अधिकतम ताप से 10.-15 सें. ऊपर के ताप पर होती है। ताप से होनेवाली मृत्यु ताप के समय पर निर्भर है। इसी तरह अंधकार में सारे जीवाणु प्रकाश के इर्द गिर्द आ जाते हैं और इस तरह उनका अंत हो जाता है।
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