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IPS मनोज शर्मा पर आधारित 'ट्वेल्थ फेल' उपन्यास का जल्द होगा विमोचन

हर कोई अपने जीवन में कुछ बनने का सपना देखता है। दिन-रात मेहनत कर अपने सपनों के मुकाम को हांसिल करता है। ऐसी ही संघर्ष की कहानी मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में जन्में आईपीएस मनोज शर्मा की है।

Aditya Mishra
Published on: 28 May 2019 7:19 AM GMT
IPS मनोज शर्मा पर आधारित ट्वेल्थ फेल उपन्यास का जल्द होगा विमोचन
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मध्य-प्रदेश: हर कोई अपने जीवन में कुछ बनने का सपना देखता है। दिन-रात मेहनत कर अपने सपनों के मुकाम को हांसिल करता है। ऐसी ही संघर्ष की कहानी मध्य प्रदेश के मुरैना जिले में जन्में आईपीएस मनोज शर्मा की है। जो इस समय मुंबई पुलिस में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात है। बता दें कि जल्द ही मनोज शर्मा के संघर्ष की कहानी पर आधारित 'ट्वेल्थ फेल' नामक उपन्यास का विमोचन होने वाला है।

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12 वीं फेल के बाद शुरु हुआ संघर्ष-

मध्यप्रदेश के मुरैना जिले की जौरा तहसील के बिलगांव में जन्मे मनोज शर्मा आज मुंबई पुलिस में डिप्टी कमिश्नर के पद पर तैनात हैं। लेकिन मनोज शर्मा का यहां तक पहुंचना उनेक लिए किसी संघर्ष से कम ना था। मनोज शर्मा के संघर्ष की कहानी पर आधारित 'ट्वेल्थ फेल' नामक उपन्यास का विमोचन होने वाला है। जिसमें मनोज के शुरुआती पढ़ाई से लेकर उनेक तमाम संघर्षों की जानकारी इस उपन्यास में है। मनोज पढ़ाई में कमजोर ही थे।

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9 वीं और 10 वीं कक्षा में थर्ड डिविजन से पास हो गए। मनोज के परिजन चाहते थे कि वह क्लर्क बने इसके लिए मनोज ने 12 वीं कक्षा में मैथ को चुना। लेकिन 12 वीं में वह केवल हिंदी को छोड़कर सभी विषयों में वह फेल हो गए। इससे वह काफी टूट गए क्योंकि गांव में अक्सर भैंस चराते समय उपन्यास पढ़ते थे। जिससे गांव के लोगों को लगता था, कि वह पढाई के लिए काफी मेहनत करता है। इसी कारण से उन्हें गांव के लोगों के सामने आने में बेइज्जती भी महसूस होती थी।

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लेकिन मनोज के बचपन के एक दोस्त राकेश ने मनोज का मुश्किल घड़ी में साथ दिया। राकेश ने मनोज की होंसला अफजाई करते हुए कहा की तुम्हें अपने जीवन में कुछ बनकर दिखाना है। मनोज ने अपने दोस्त की बात को गांठ बांधकर अगले ही वर्ष 70 प्रतिशत अंको से हायर सेकेंडरी की परीक्षा पास की। इतना ही नहीं मनोज कॉलेज में भी टॉपर्स में रहे।

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ज़िद बनी सफलता का लक्ष्य-

मनोज के जीवन पर आधारित 'ट्वेल्थ फेल' उपन्यास में सफलता की बुलंदियों को हासिंल करने वाले मनोज के दोस्त राकेश का भी जिक्र है। राकेश के मुताबिक ग्वालियर में 2 साल तैयारी करने के बाद यूपीएससी की कोचिंग के लिए वह दिल्ली गए। इस दौरान तीन चांस में भी उनका सिलेक्शन नहीं हुआ। जौरा आने पर घंटो नहर के किनारे दोस्तों के साथ बैठकर गपशप करते थे। मनोज को कई बार उनके दोस्त कहते थे कि पढ़ते-पढ़ते तुम्हारे चश्मा लग गया। अब तुम्हारा कुछ नहीं होने वाला गांव लौट आओ। लेकिन मनोज ने यूपीएससी परीक्षा में सफल होने की जिद ठान ली थी। यूपीएससी परीक्षा को पास करने की जीद को उनहोंने सफलता का लक्ष्य बना लिया। इसको पास कर उन्होंने अपना सपना पूरा करने के साथ-साथ गांव का भी नाम रोशन किया।

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यूपीएससी के इंटरव्यू में पूछा क्यों करें सिलेक्ट-

मुंबई पुलिस में डिप्टी कमिश्नर मनोज शर्मा के मुताबिक चौथे चांस में प्री और मेन्स के बाद इंटरव्यू आया। जहां चयन समिति में बैठे अफसरों ने बायोडाटा देखकर पहला सवाल पूछा। पहला सवाल भी यह था कि यहां आईआईटी, आईआईएम क्वालिफाई कर चुके लोग आए हैं, उनके सामने हम आपको सिलेक्ट क्यों करें? मनोज का कहना है कि मैंने बेबाकी से उनके सामने कह दिया कि 12वीं में फेल होने के बाद मैं यहां तक पहुंचा हूं तो मेरे अंदर कुछ तो क्वालिटी होगी। बस मेरे इसी सवाल से चयन समिति सदस्य खुश हुए। हालांकि कुछ अन्य सवाल भी पूछे गए। साल 2005 में महाराष्ट्र कैडर में आईपीएस के लिए सिलेक्शन हुआ।

Aditya Mishra

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