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भुखमरी में 70 करोड़ लोग, कूड़े में फेंक दिया गया करोड़ो टन खाना
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और वेस्ट रिसोर्स एक्शन प्रोग्राम (डब्ल्यूआरएपी) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि अमीर और गरीब देशों में उपभोक्ता समान रूप से खाने की बर्बादी करते हैं।
नीलमणि लाल
नई दिल्ली। एक ओर जहाँ दुनिया में बड़ी संख्या में लोगों को भरपेट भोजन नहीं मिल पाता, वहीं हालत ये है कि बेशुमार भोजन फेंक दिया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से प्रकाशित एक स्टडी के मुताबिक 2019 में घरों, खुदरा दुकानों और रेस्तरांओं में उपलब्ध खाने का 17 प्रतिशत बर्बाद हो गया। ये बहुत बड़ा आंकड़ा है जो खाने के प्रति हमारी सोच को व्यक्त करता है।
2019 में खाने का 17 प्रतिशत बर्बाद
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम और वेस्ट रिसोर्स एक्शन प्रोग्राम (डब्ल्यूआरएपी) द्वारा संयुक्त रूप से तैयार रिपोर्ट में कहा गया कि अमीर और गरीब देशों में उपभोक्ता समान रूप से खाने की बर्बादी करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया भर में 2019 में अनुमानित 93 करोड़, 10 लाख टन खाना बर्बाद हो गया जो कुल उपलब्ध खाने का 17 प्रतिशत है। इसमें भारत में घरों में बर्बाद हुए भोजन की मात्रा छह करोड़ 87 लाख टन है।
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घर घर में बर्बादी
रिपोर्ट के मुताबिक औसतन हर घर में सालाना 74 किलो प्रति व्यक्ति भोजन बर्बाद होता है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का कहना है कि यह ऐसी समस्या है जिसका समाधान ढूंढने में सबको अपनी अपनी भूमिका निभानी की जरूरत है।
खाने की बर्बादी के सूचकांक की रिपोर्ट पर डब्ल्यूआरएपी के सीईओ मार्कस गुवर कहते हैं कि लंबे समय से यह माना जाता था कि घर में भोजन की बर्बादी सिर्फ विकसित देशों में एक अहम समस्या है। फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद हम देखते हैं कि स्थिति कुछ और ही है।
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विश्व की 14 प्रतिशत पैदावार नुकसान में
संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने 2011 में अनुमान लगाया गया था कि दुनिया का एक तिहाई खाना बर्बाद हो जाता है या उसका नुकसान होता है। उसके मुताबिक विश्व की 14 प्रतिशत पैदावार नुकसान में चली जाती है।
सबसे ज्यादा खाने की बर्बादी यानी करीब 61 प्रतिशत घरों में होती है। सर्विस क्षेत्र में 26 प्रतिशत और खुदरा दुकानों में 13 प्रतिशत बर्बादी होती है। संयुक्त राष्ट्र वैश्विक स्तर पर खाने की बर्बादी को कम करने पर जोर दे रहा है। शोधकर्ता कचरे के आकलन पर भी काम कर रहे हैं, जिसमें उपभोक्ताओं तक पहुंचने से पहले बेकार हुआ भोजन भी शामिल है।
दुनिया भर में करीब 70 करोड़ लोग बिना भोजन के
संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि 2019 में दुनिया भर में करीब 70 करोड़ लोग बिना भोजन के रहे। फूड वेस्ट इंडेक्स रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना महामारी के कारण भूखे रहने वालों की संख्या और बढ़ी है। कोरोना वायरस महामारी के चलते इस संख्या में बढ़ोतरी होने की आशंका है। माना जा रहा है कि महामारी के चलते तीन अरब लोग एक स्वस्थ डाइट हासिल नहीं कर पाएंगे। इस कारण उपभोक्ताओं को भोजन की बर्बादी को कम करने में सहयोग करना चाहिए।
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भारत, चीन और अमेरिका में खाने की बर्बादी का आंकड़ा
भारत में घरों में बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थ की मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 50 किलोग्राम होने का अनुमान है। अमेरिका में घरों में बर्बाद होने वाले खाद्य पदार्थ की मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 59 किलोग्राम अथवा एक वर्ष में 19,359,951 टन है। चीन में यह मात्रा प्रति वर्ष प्रति व्यक्ति 64 किलोग्राम अथवा एक वर्ष में 91,646,213 टन है। यूएनईपी की कार्यकारी निदेशक इंगर एडंरसन का कहना है कि अगर हमें जलवायु परिवर्तन ,प्रकृति और जैव विविधता के क्षरण तथा प्रदूषण और बर्बादी जैसे संकटों से निपटने के लिए गंभीर होना है तो कारोबारों, सरकारों और दुनिया भर में लोगों को खाद्यान्न की बर्बादी को रोकने में अपनी भूमिका निभानी होगी।