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इस शख्स के पास है धर्मेन्द्र की अनमोल चीज,करोड़ों में कीमत, पर बेचने को नहीं राजी

केवल अग्रवाल के पास धर्मेंद्र के पुस्तैकनी मकान का मालिकाना अधिकार है और वह इसे किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार नहीं हैं। केवल अग्रवाल शहर के एक चर्चित किराना व्यापारी हैं।

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Published on: 19 Sept 2020 7:08 PM IST
इस शख्स के पास है धर्मेन्द्र की अनमोल चीज,करोड़ों में कीमत, पर बेचने को नहीं राजी
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धर्मेंद्र अपनी पुरानी जमीन का अपने भाइयों को गिफ्ट में दे गए थे। यह जमीन जो गांव डंगो में है। उस जमीन की रजिस्ट्री के लिए वह रायकोट तहसील में आए थे।

रायकोट: किराना व्यापारी केवल अग्रवाल पूरे पंजाब में फेमस हैं। लोग उनसे मिलने और उनके घर को देखने के लिए कई किलोमीटर पैदल चलकर आते हैं।

किराने के व्यवसाय में व्यस्त होने के बावजूद वे किसी को भी निराश नहीं करते। न केवल लोगों से मुलाकात करते हैं बल्कि उन्हें चाय-पानी और नाश्ता के बाद भोजन भी कराते हैं।

उसके बाद अपने घर का कोना –कोना उन्हें दिखाते हैं। अब आप सोच रहे हैं कि भला ये कौन सी बड़ी बात हैं और उनके घर में ऐसा क्या है जिसे लोग देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। तो चलिए आपको बता ही देते हैं।

दरअसल लुधियाना जिले के रायकोट के निवासी केवल अग्रवाल के पास बॉलीवुड के मशहर अभिनेता और हीमैन धर्मेंद्र की एक अनमोल धरोहर है। जिसे उनका परिवार लम्बे समय से सहज कर रखता चला आ रहा है।

केवल अग्रवाल के पास धर्मेंद्र के पुस्तैकनी मकान का मालिकाना अधिकार है और वह इसे किसी भी कीमत पर बेचने को तैयार नहीं हैं।

केवल अग्रवाल शहर के एक चर्चित किराना व्यापारी हैं। उनका 'कुंजी' सरसों का तेल नाम से खुद का कारोबार है। जिसे आज पंजाब भर में हर कोई जानता है।

अग्रवाल की गिनती शहर के करोड़पतियों में होती है। वे धर्मेंद्र के पुस्तैनी मकान में काफी लंबे समय तक अपने परिवार के साथ रहे। यह मकान कुतबा गेट से कुछ ही दूरी पर स्थित है। कई लोगों ने उसे खरीदना चाहा लेकिन वे आज तक इसे बेचने को तैयार नहीं हुए।

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5 हजार रुपए में खरीदा था मकान

केवल अग्रवाल के मुताबिक 22 जुलाई सन् 1959 को धर्मेंद्र सिंह देओल के पिता केवल कृष्ण सिंह देओल ने 5000 रुपये में यह मकान उनके पिता बलजिंदर कुमार को बेच दिया था। इस मकान का क्षेत्रफल तकरीबन डेढ़ सौ गज है। डेढ़ सौ रुपये के स्टॉम पर उर्दू भाषा में 60 साल पहले इसकी रजिस्ट्री की गई गई थी।

Dharmendra फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र के पुस्तैनी मकान की फोटो(सोशल मीडिया)

स्कूल के पास बनवाया था घर

केवल अग्रवाल के अनुसार धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण सिंह देओल एक टीचर थे और उन्होंने यह मकान साथ सटे सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में नौकरी करते समय बनवाया था। पहले वह लालतों कलां सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ाते थे, इसी स्कूल में धर्मेंद्र ने भी बचपन में पढ़ाई की थी।

उन्होंने बताया कि धर्मेंद्र 8 दिसंबर 1935 को नसराली गांव, तहसील खन्ना में पैदा हुए हुआ और उनके पिता ने ये मकान 22 जुलाई 1959 को उनके परिवार को बेच दिया था। तब धर्मेंद्र 24 वर्ष के रहे होंगे और हम यह कह सकते हैं कि उन्हें शहर और इलाके की पूरी समझ रही होगी।

शानदार कोठी में रहने के बाद भी नहीं भूले पुराने मकान को

केवल अग्रवाल इस वक्त संतोख सिंह नगर में एक बड़ी सी कोठी में रहते हैं, लेकिन वह बताते हैं कि उनका मन अभी भी उस पुराने छोटे से मकान में ही बसा है।

वह कहते हैं कि धर्मेंद्र के बहुत बड़े फैन हैं, लिहाजा उस घर में रहते उनको अपने प्रिय अभिनेता के पास रहने का आभास होता था। अब भी वह जब कामकाज से फ्री होते हैं तो अपने पुराने मकान में जरूर कुछ देर व्यतीत कर कर आते हैं।

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बेटे को भी मकान ना बेचने की दी सलाह

केवल अग्रवाल ने बताया कि वह मरते दम तक अपना पुराना मकान नहीं बेचेंगे। यहां तक कि उन्होंने अपने दोनों बेटाें दीपक अग्रवाल व विशाल अग्रवाल को भी यह हिदायत दी है कि वह धर्मेंद्र का मकान किसी भी कीमत पर न बेचें।

उन्होंने अपने बेटों को समझाया कि ऐसी इज्जत और शोहरत बड़ी किस्मत वालों को मिलती है, लिहाजा कैसी भी मुसीबत आए इस मकान को वह कभी भी ना सेल करें।

Dharmendra House फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र के पुस्तैनी मकान की फोटो(सोशल मीडिया)

धर्मेंद्र के आने का आज भी कर रहे इंतजार

केवल अग्रवाल के मुताबिक कुछ साल पहले धर्मेंद्र अपनी पुरानी जमीन का अपने भाइयों को गिफ्ट में दे गए थे। यह जमीन जो गांव डंगो में है। उस जमीन की रजिस्ट्री के लिए वह रायकोट तहसील में आए थे।

वह भी अपने पुराने मकान को देखने के इच्छुक थे। दो दिन पहले उनके कुछ लोग हमारे मकान में आकर जायजा लेकर गए थे और हमें यह बता कर गए थे कि धर्मेंद्र आपके मकान में आएंगे।

उस वक्त हमारी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। हमने 50 से 60 आदमियों के खानपान का इंतजाम किया, लेकिन हमारी बदकिस्मती ही कहिए कि उन्हें इमरजेंसी में कहीं और जाना पड़ गया और हमारी मुलाकात उनसे नहीं हो पाई।

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