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भारत के इस कदम से बौखला उठा नेपाल, दे दी ये बड़ी धमकी

उत्तराखंड के लिपुलेख इलाके को लेकर नेपाल और भारत के बीच तनाव बढ़ गया गया है। उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख पर नेपाल अपना दावा पेश करता रहा है और अब उसने भारत द्वारा सड़क निर्माण के कदम पर आपत्ति दर्ज कराई है।

Aditya Mishra
Published on: 11 May 2020 6:22 AM GMT
भारत के इस कदम से बौखला उठा नेपाल, दे दी ये बड़ी धमकी
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नई दिल्ली: उत्तराखंड के लिपुलेख इलाके को लेकर नेपाल और भारत के बीच तनाव बढ़ गया गया है। उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख पर नेपाल अपना दावा पेश करता रहा है और अब उसने भारत द्वारा सड़क निर्माण के कदम पर आपत्ति दर्ज कराई है।

नेपाल के ऐतराज पर भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सड़क पूरी तरह से भारत के क्षेत्र में स्थित है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प दहल ने कहा है कि अगर भारत कूटनीतिक तरीके से सीमा विवाद के हल को नजरअंदाज करता है तो नेपाल फैसला करे कि उसे किस रास्ते पर आगे बढ़ना है।

शुक्रवार को लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन

भारत ने कैलाश मानसरोवर की यात्रा के लिए शुक्रवार को पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का उद्घाटन किया था।

उत्तराखंड में धारचूला को लिपुलेख दर्रे से जोड़ते हुए जो नई सड़क (कैलास मानसरोवर लिंक) बनाई गई है, वह पूरी तरह उसके क्षेत्र में है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने उत्तराखंड में चीन की सीमा से सटे क्षेत्र में 17,000 फुट की ऊंचाई पर 80 किलोमीटर लंबे रणनीतिक मार्ग का उद्घाटन किया।

नेपाल ने शनिवार को यह कहते हुए ऐतराज जताया कि यह 'एकतरफा कार्रवाई' दोनों देशों के बीच सीमा मुद्दों के समाधान के लिए बनी आपसी समझ के खिलाफ है।

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भारत ने दिया साफ जवाब- सड़क भारत में बनी है

भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, 'उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में हाल में उद्घाटन किया गया मार्गखंड पूरी तरह भारत के क्षेत्र में है।

यह सड़क कैलास मानसरोवर यात्रा के तीर्थयात्रियों के उपयोग में आने वाले वर्तमान मार्ग पर ही है। वर्तमान परियोजना के अंतर्गत उसी रास्ते को तीर्थयात्रियों, स्थानीय लोगों और व्यापारियों की सुविधा के लिए आवागमन लायक बनाया गया है।

भारत और नेपाल ने सभी सीमा मामलों से निपटने के लिए व्यवस्था स्थापित कर रखी है।' बताते चलें कि लिपुलेख दर्रा कालापानी के समीप एक सुदूर पश्चिम स्थान है।

कालापानी भारत और नेपाल के बीच विवादित सीमा क्षेत्र है। भारत और नेपाल दोनों ही उसे अपना हिस्सा बताते हैं। नेपाल ने इस सड़क के निर्माण के बाद भारत से उसकी सीमा के अंदर कोई भी गतिविधि नहीं करने के लिए कहा है।

उसका कहना है कि दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को कूटनीतिक तरीके से निपटाया जाएगा।

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नेपाल का दावा- सड़क उसके क्षेत्र से गुजरती है

नेपाल के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है, 'नेपाल सरकार को पता चला है कि भारत ने कल (शुक्रवार को) लिपु लेख को जोड़ने वाली लिंक रोड का उद्घाटन किया है, जो नेपाल से होकर गुजरती है।'

नेपाल ने कहा कि उसने हमेशा यह साफ किया है कि सुगौली समझौते (1816) के तहत काली नदी के पूर्व का इलाका, लिंपियादुरा, कालापानी और लिपुलेख नेपाल का है।

उसका कहना है, 'नेपाल सरकार ने कई बार पहले और हाल में भी कूटनीतिक तरीके से भारत सरकार को उसके नया राजनीतिक नक्शा जारी करने पर बताया था।

कूटनीतिक समाधान के पक्ष में है नेपाल

नेपाल ने इस कदम को एकपक्षीय बताया है और कहा कि यह इस समझ के खिलाफ है कि दोनों देश बातचीत और सहमति से सीमा विवाद को निपटाएंगे।

नेपाल का दावा है कि वह ऐतिहासिक समझौतों, दस्तावेजों, तथ्यों और नक्शों की बदौलत इसे सुलझाना चाहता है। बता दें कि भारत के बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन ने कैलाश मानसरोवर रूट से लिपुलेख पास को जोड़ा है, जिससे सीमावर्ती गांवों और सुरक्षाबलों को कनेक्टिविटी मिल सके।

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