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बहुत महंगी सब्जी: 30 हजार रुपये KG, गरीब है तो कभी नहीं खा पाएंगे

प्रकृति से मिलने वाली और उर्वरक जैसी भूमि में उगने वाली गुच्छी नाम का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसका औषधीय नाम मार्कुला एस्क्यूपलेटा है। यह स्पंज मशरूम के नाम से देश भर में मशहूर है। यह गुच्छी स्वाद में बेजोड़ और कई औषधियों गुणों से भरपूर हैं। स्थानीय भाषा में इसे छतरी, टटमोर या डुंघरू कहा जाता है।

SK Gautam
Published on: 20 April 2023 9:44 PM IST
बहुत महंगी सब्जी: 30 हजार रुपये KG, गरीब है तो कभी नहीं खा पाएंगे
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नई दिल्‍ली: सेहत का खयाल रखना हमारा प्रथम लक्ष्य होना चाहिए जिसके लिए हम अच्छा और विटामिन से भरपूर चीजों को अपने भोजन में शामिल करते हैं । लेकिन इस मिलावट के दौर में बाजार में ओरिजिनल चीजें कभी-कभी मिलना मुश्किल हो जाता है। इस लिए हम प्रकृति से मिलने वाली साग सब्जियों और खाने की वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं ।

औषधीय नाम मार्कुला एस्क्यूपलेटा है

प्रकृति से मिलने वाली और उर्वरक जैसी भूमि में उगने वाली गुच्छी नाम का पौधा औषधीय गुणों से भरपूर होती है। इसका औषधीय नाम मार्कुला एस्क्यूपलेटा है। यह स्पंज मशरूम के नाम से देश भर में मशहूर है। यह गुच्छी स्वाद में बेजोड़ और कई औषधियों गुणों से भरपूर हैं। स्थानीय भाषा में इसे छतरी, टटमोर या डुंघरू कहा जाता है।

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गुच्छी चंबा, कुल्लू, शिमला, मनाली सहित प्रदेश के कई जिलों के जंगलों में पाई जाती है। आज के दौर में अधिकतर लोग गुच्छी के गुणों से अनजान हैं। इसलिए इसका पूरा फायदा नहीं उठाया जा रहा है। गुच्छी ऊंचे पहाड़ी इलाके के घने जंगलों में कुदरती रूप से पाई जाती है। यह सबसे महंगी सब्जी है। इसका सेवन सब्जी के रूप में किया जाता है। हिमाचल से बड़े होटलों में ही इसकी सप्लाई होती है।

प्रधानमंत्री मोदी की सेहत का राज है गुच्छी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने एक बार कुछ पत्रकारों को बताया था कि उनकी सेहत का राज हिमाचल प्रदेश का मशरूम है। प्रधानमंत्री इसे बहुत पसंद करते हैं। दरअसल पीएम मोदी ने कई साल तक एक पार्टी कार्यकर्ता के रूप में हिमाचल में रह चुके हैं, वहां उनके कई मित्र हैं।

मोदी जी को ये खास मशरूम इसलिये भी पसंद है क्योंकि पहाड़ों पर शाकाहारी लोगों को काफी प्रोटीन और गर्म तासीर वाले खाद्य पदार्थों की जरूरत होती है। वैसे तो पीएम इसे रोज इसका सेवन नहीं करते, लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकार किया है कि गुच्छी उन्हें काफी पसंद है। इसमें बी कॉम्प्लैक्ट विटामिन, विटामिन डी और कुछ जरूरी एमीनो एसिड पाए जाते हैं। इसे लगातार खाने से दिल का दौरा पडऩे की संभावनाएं बहुत ही कम हो जाती हैं।

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इसकी मांग सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप, अमेरिका, फ्रांस, इटली और स्विटरलैंड जैसे देशों में भी है।

30,000 रुपये किलो बिकती है गुच्छी

30,000 रुपये प्रति किलो बिकने वाली गुच्छी को स्पंज मशरूम भी कहा जाता है। यह सब्जी हिमाचल, कश्मीर और हिमालय के ऊंचे पर्वतीय इलाकों में ही होती है। यह गुच्छी बर्फ पिघलने के कुछ दिन बाद ही उगती है। इस सब्जी का उत्पादन पहाड़ों पर बिजली की गडग़ड़ाहट और चमक से निकलने वाली बर्फ से होता है। प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी शिमला जिले के लगभग सभी जंगलों में फरवरी से लेकर अप्रैल माह के बीच तक ही मिलती है।

गुच्छी की तलाश में हिमाचल के कई के ग्रामीण इन जंगलों में आ जाते हैं। झाडिय़ों और घनी घास में पैदा होने वाली इस गुच्छी को ढूंढने के लिए पैनी नजर के साथ ही कड़ी मेहनत की जरूरत होती है। आलम यह है कि गुच्छी से मिलने वाले अधिक मुनाफे के लिए कई ग्रामीण इस सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और सीजन के दौरान बेरोजगार लोग भी अधिक से अधिक गुच्छियां ढ़ूढकर मुनाफा कमा लेते हैं।

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जानें क्‍यों हाथों-हाथ बिक जाती हैं गुच्छी

गुच्छी बड़ी कंपनियां 10 से 15 हजार रुपये प्रति किलो में खरीद लेते हैं, जबकि बाजार में इस गुच्छी की कीमत 25 से 30 हजार रुपये प्रति किलो तक है। यह सब्जी केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, फ्रांस, इटली और स्विजरलैंड जैसे देशों में भी गुच्छी की भारी मांग है।

गुच्छी के नियमित सेवन से दिल की बीमारियां नहीं होती हैं

ऐसा माना जाता है कि यह सब्जी औषधीय गुणों से भरपूर है और इसको नियमित सेवन से दिल की बीमारियां नहीं होती हैं। यहां तक कि हृदय रोगियों को भी इसके उपयोग से लाभ मिलता है। गुच्छी में विटामिन बी और डी के अलावा सी और के प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इस गुच्छी को बनाने की विधि में सूखे मेवा, और घी का इस्तेमाल किया जाता है। गुच्छी की सब्जी बेहद लजीज पकवानों में गिनी जाती है।

गुच्छी के लाभ

औषधीय गुणों से भरपूर गुच्छी के नियमित सेवन से हृदयरोग नहीं होता है। हृदयरोगियों को भी गुच्‍छी के सेवन से लाभ होता है।

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-गुच्छी के सेवन से कई घातक बीमारियां दूर होती हैं।

-विटामिन बी, सी, डी व के की प्रचुर मात्रा

-मोटापा, सर्दी, जुकाम से लडऩे की क्षमता बढ़ाने में सहायक

-प्रोस्टेट व स्तन कैंसर की आशंका को कम करना

-ट्यूमर बनने से रोकना

-कीमोथेरेपी से आने वाली कमजारी दूर करने में सहायक

-सूजन दूर करने में लाभदायक

रेबिसन इलेक्ट्रो होम्योपैथी के सीएमडी डॉ. संजीव शर्मा ने बताया कि गुच्छी विटामिन से भरपूर होती है। इसके सेवन से कई बीमारियों से दूर रहा जा सकता है।

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किस मौसम में पायी जाती है गुच्छी

फरवरी से मार्च के महीने में प्राकृतिक रूप से पैदा होने वाली इस गुच्छी की जहां पैदावार कम होने से इसके ग्रामीणों को अच्छे दाम मिलते हैं। वहीं कई बीमारियों की दवाइयों के लिए भी इसकी काफी मांग है इसे कई बड़े-बड़े होटलों में खास ऑर्डर पर स्पेशल डिश के रूप में भी पेश किया जाता है।



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