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पुराना हो या नया: हर बार बॉस के साथ ऐसे बिठाएं तालमेल, ना करें गलतियां
अगर पुराने बॉस के समय आप कॉन्फिडेंस में भी लापरवाही करते थे तो चल जाता होगा, लेकिन नए बॉस के आने के बाद लापरवाही या कोई गड़बड़ी करने से बचें।
लखनऊ: प्राइवेट जॉब करने वाले हर इंसान का सपना होता है कि ऑफिस में उसकी न केवल पोस्ट अच्छी हो बल्कि बॉस की नजरों में भी उसकी इमेज अच्छी रहे। उनके अच्छे काम पर सराहा जाए। इन सब चीजों के लिए कुछ लोग बॉस की चमचागिरी करते रहते हैं।
किसी भी ऑफिस में कर्मचारी के लिए उसका बॉस काफी अहम होता है। जिस तरह नई नौकरी एक चुनौती होती है, उसी तरह वर्कप्लेस पर नया बॉस भी चुनौती से कम नहीं। अगर वर्कप्लेस पर नए बॉस के साथ तालमेल बैठाकर काम करते हैं तो किसी तरह की परेशानी नहीं आती है और तेजी से आगे बढ़ते हैं। इसके लिए कुछ बातों का ध्यान रखना पड़ता है।
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किसी भी ऑफिस में कोई तय नहीं कर सकता कि वर्कप्लेस पर कब नया बॉस आ जाए। यह बात केवल मैनेजमेंट के लोगों को पता होती है। इसलिए आप न ही इससे बच सकते हैं। नया बॉस आने के बाद आपके लिए काम की स्थितियों में सुधार होगा या तनाव से घिर जाएंगे। तीन स्थितियों में आपको नया बॉस मिलता है- आप जॉब बदलते हैं या आपको प्रमोशन मिलता है या आपका मौजूदा बॉस बदल जाता है। अगर आपके नए बॉस के पास एक मैनेजर के रूप में अनुभव नहीं है या वह कंपनी में नया है तो आपका जीवन काफी मजेदार होता है।
इन गलतियों से बचें
*किसी भी कंपनी में गैंग बनाने का सबसे अधिक खतरा आपकी नौकरी पर रहता है। इसलिए इससे बचें और बॉस को समझकर उसको सहयोग दें।
* अपने नए बॉस के बारे में गॉसिप करने से बचना चाहिए। आपके नए बॉस को उस बात का पता लग जाएगा कि आप उसके बारे में गॉसिप कर रहे हैं तो वह आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है।
अगर पुराने बॉस के समय आप कॉन्फिडेंस में भी लापरवाही करते थे तो चल जाता होगा, लेकिन नए बॉस के आने के बाद लापरवाही या कोई गड़बड़ी करने से बचें।
*चापलूसी न करें। यह हमेशा काम को साबित करे। अगर आपका नया बॉस समझदार है तो वह सिर्फ आपका काम देखेगा, न कि आपकी चापलूसी। वह ईमानदार राय चाहता है, ताकि वह नए वर्कप्लेस पर अच्छी तरह से सेट हो जाए।
फाइल
ऐसे करें सहयोग जब आएं नया बॉस
*किसी की किसी के साथ तुलना हमेशा गलत होती है। नए बॉस के आने के बाद कर्मचारी पुराने बॉस से तुलना करते हैं। पुराने बॉस से नए बॉस की तुलना बिल्कुल ही नहीं करनी चाहिए।
*बॉस के ऑफिस ज्वाइन करते समय केवल कर्मचारियों के मन में ही उत्सुकता नहीं होती है बल्कि यह बात बॉस के मन भी चलती है। इस बात को समझ लें कि आपका बॉस प्रेशर में है। उसे नए ऑफिस में कई लोगों को समझना है। उसे हर प्रक्रिया की बारीकी को जानना है।
*अगर बॉस के शुरू के दिनों में आपने सहयोग कर दिया तो आपके लिए आगे भी फायदेमंद रहता है। बॉस का विश्वास भी बना रहता है।
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*नया बॉस ऑफिस में बैठने लगे तो उससे मिलने और बात करने का सही समय तय करें। इस अवसर पर खुद का परिचय दें। अपने रोल, जिम्मेदारियों और मौजूदा प्रोजेक्ट्स के बारे में बताएं। बॉस की अपेक्षाओं को समझने का प्रयास करें। बॉस का आपके प्रति सकारात्मक रवैया बनेगा।
*नए बॉस के साथ पहले कुछ दिनों में काम करेंगे तो कई बार चीजें अच्छी तो कुछ फेल होंगी। शुरुआती बातचीत का इस्तेमाल रिकवरी प्रोसेस सेटअप के लिए करें। इसमें फीडबैक और करेक्शन की मदद लें। शुरुआती महीनों में हर 2 या 3 दिनों में संवाद करना एक अच्छा आइडिया है।
पहले समझें...
*नए बॉस के हर काम का पूरा सपोर्ट करें। इस बात को अच्छी तरह से समझ लें कि हालांकि आपका नया बॉस चीजों को समझने की कोशिश कर रहा है, पर वह आप पर भी पूरी निगाह रखे हुए है। इसलिए यदि आपको लगता है कि कोई प्रोजेक्ट कंपनी के हित में है तो उसे बॉस से शेयर कर सकते हैं।
फाइल
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*जब भी बॉस ऑफिस आए तो उसकी एक्टिविटी पर ध्यान दें क्योंकि वह भी एक इंसान है। उसकी काम की टाइमिंग क्या है, वह कब लोगों से मिलता है, वह ईमेल का जवाब कब देता है, वह जटिल मुद्दों को कब सुलझाता है, क्या वह तुरंत निर्णय लेता है, क्या उसे नियमित रूप से फीडबैक पसंद है।
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