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सौभाग्य की प्रतीक चूड़ियां: हरतालिका तीज के दिन जरूर पहनें, जानें महत्व

कल हरितालिका तीज का व्रत है इस व्रत के दिन महिलाएं सोलह  श्रृंगार करती है  सिंदूर बिंदी के साथ चूड़ी की खनक भी जरूरी होती है।हिंदू धर्म शास्त्रों में नारी के लिए बहुत सारे नियम बने हैं जिसका हर पतिव्रता नारी पालन करती  है और उसी पर उसके वजूद की पहचान होती

Suman  Mishra | Astrologer
Published on: 20 Aug 2020 1:07 PM GMT
सौभाग्य की प्रतीक चूड़ियां: हरतालिका तीज के दिन जरूर पहनें, जानें महत्व
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हरतालिका तीज पर पहने जाने वाली चूड़ियों का महत्व

जयपुर: कल हरितालिका तीज का व्रत है इस व्रत के दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती है सिंदूर बिंदी के साथ चूड़ी की खनक भी जरूरी होती है।हिंदू धर्म शास्त्रों में नारी के लिए बहुत सारे नियम बने हैं जिसका हर पतिव्रता नारी पालन करती है और उसी पर उसके वजूद की पहचान होती है। इसी के अनुसार महिलाओं का जीवन शादी के बाद बदल जाता है। उन्हें शादी के बाद कई नियमों का पालन करना पड़ता है । खासकर हिंदू धर्मावलंबी महिलाओं के लिए सोलह श्रृंगार का खास महत्व है। जो हर विवाहित महिला का आइना होता है। सौभाग्य की प्रतीक चूड़ियों का दौर कभी भी कम नहीं होता है। महिलाओं के सोलह श्रृंगार में से एक है हाथों में पहनने वाली चूड़ियां। जानते हैं क्या बोलती है हाथों की चूड़ियां....

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चूड़ी मोहे सब मन

वैसे तो चूड़ी शादीशुदा को पहनना अनिवार्य होता है ,लेकिन बदलते फैशन ने चूड़ियों के महत्व और अधिक बढ़ा दिया है। अब तो कुंवारी लड़कियां भी चूड़ियां पहनना पंसद करती है। प्राचीन समय की इस परंपरा को आज की मार्डन नारी भी अमल करती है।

तीज-त्योहारों पर भी चूड़ी की खनक बरकरार

किसी भी तीज त्योहार या फिर सामान्य दिनों में महत्व और अधिक बढ़ जाता है। जहां नव-विवाहितों के हाथ हरी-हरी चूड़ियों से भर जाते है। वहीं कॉलेज गोइंग गर्ल भी फैशनेबल दिखने के लिए एक दो-चूड़िया डाल ही लेती है। चूड़ी पहनना केवल हमारी परंपरा नहीं, बल्कि इसके पीछे कई सारे धार्मिक और वैज्ञानिक कारण भी है। हर धर्म में चूड़ियां पहनने का क्या रिवाज़ है और इसके पीछे कारण भी बताए गए।

हर धर्म में जरूरी है चूड़ी

हिंदू धर्म में शादीशुदा महिलाओं को चूड़ियां पहनना जरुरी होता है और ज्यादतर महिलाएं सोने से बने कंगनों के साथ कांच की चूड़ियां पहनती है। वहीं मुस्लिम महिलाओं के लिए शादी के बाद और पहले दोनों समय चूड़ी पहनना जरूरी होता है कहा जाता है कि खाली हाथ किसी को पानी देना गलत होता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार महिला के चूड़ी पहनने का संबंध उसके पति और बच्चे से होता है। कहते है कि इससे इनका स्वास्थ्य अच्छा रहता है। कुछ धर्मों में तो चूड़ियों के संबंध में इतनी गहरी आस्था है कि महिलाएं चूड़ी बदलने में भी सावधानी बरतती है।कम से कम एक चूड़ी अवश्य ही हो।

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सृष्टि के आरंभ से चूड़ी का चलन

अगर अपने देश में कहा जे कि कब से चूड़ियां पहनने का चलन शुरू हुआ तो इसका जवाब देना थोड़ा मुश्किल होगा, लिकन अंदाजतन सृष्टि के प्रारंभ से ही चूड़ियों का चलन है। ऐसा इसलिए कह सकते है कि देवी-देवताओं की फोटोज में उनको चूड़ी पहने देखा जा सकता है।

चुड़ियों से जुड़ा पति का भाग्य

ज्योतिष के अनुसार शुक्र ग्रह ही स्त्री की सुन्दरता को निखरता है। इसलिए धर्मं से महिलाओं और कांच की चूड़ियों का गहरा जुड़ाव है। इसलिए चूड़ियों को महिलाओं के सोलह श्रृंगार का भी हिस्सा माना जाता है। अगर महिलाएं कुछ विशेष दिन भी इसे धारण करें तो उनके जीवन में सुख और समृद्धि आती है।पीली कांच की चूड़ियां गुरुवार को पहनी जाएं, महिला का चंद्रमा और शुक्र शुभ फलदायक होता है। इसके अलावे ये दोनों ग्रह पीले रंग से जुड़े बृहस्पति ग्रह के साथ मिलकर गज केसरी योग बनाते हैं। जिससे महिलाओं को सफलता और सम्मान मिलता है। सोमवार को नीले या सफेद रंग की चूड़ियां पहनना महिलाओं की सृजनात्मक क्षमता को और अधिक मजबूत बनाता है। वे मानसिक रूप से अधिक सबल बनती हैं।साथ ही, पूर्व की तुलना में स्थितियों को लेकर बहुत अधिक भ्रम में नहीं पड़तीं हैं। ऐसी महिलाएं विपरीत परिस्थिति में भी संतुलन बनाने का कोई ना कोई तरीका ढूंढ ही लेती हैं।

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रंगों का महत्व भी

चूड़ी चाहे जिस रंग की हो कलाई की शोभा बढ़ाती है, लेकिन फिर भी इसमें कुछ खास रंगों का महत्व है। नववधु को हरी-लाल चूड़ी पहनना चाहिए। कहते हैं हरे रंग की चूड़ी खुशहाली और सौभाग्य के साथ नई शुरुआत करती है। लाल रंग को नारी शक्ति से जोड़ा जाता है। चूड़ियों के लाल रंग में भी कई रंग होते हैं जैसे कि गहरा लाल, हल्का लाल, खूनी लाल, आदि। इन सभी रंगों का अपना महत्व है। तीज में खासकर महिलाएं चूड़ी पहनती है ।कहते हैं इससे प्यार व सकारात्मकता के साथ खुशहाली बढ़ती है।

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चूड़ियों से हो भरी-भरी कलाई

वैसे तो आजकल फैशन में लोग 2-3 चूड़ी पहनते है, लेकिन चूड़ियों की जितनी संख्या होगी, उतनी ही अच्छी होती है। आमतौर पर 2-3 चूड़ियां एक कुंवारी लड़की पहने तो वो मानसिक और शारीरिक रूप से ताकतवर बनती हैं। लेकिन जब ये चूड़ियां संख्या में हों तो इसका महत्व कई बढ़ जाता है। साइंस का भी मानना है कि अगर महिलाएं दोनों हाथों में बहुत सारी चूड़ियां पहने तो ये खास प्रकार की ऊर्जा देती हैं और नारी को बुरी नजर से बचाती है।

चूड़ी का टूटना होता है अशुभ

चूड़ियों से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। इन्हें पहनने का कितना फायदा है ये तो आपने जाना, लेकिन यही चूड़ियां समय आने पर गलत परिणाम भी देती हैं। इसलिए इन्हें संभलकर पहनना चाहिए। ये बहुत कम लोग जानते हैं। ऐसा तब होता है जब चूड़ियां टूटती हैं या फिर उनमें दरार आ जाती है। ऐसी मान्यता है कि चूड़ियों का टूटना उस महिला या उससे जुड़े लोगों के लिए एक अशुभ संकेत है।

Suman  Mishra | Astrologer

Suman Mishra | Astrologer

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

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