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चीन की पीपुल्सलिबरेशन आर्मी की विभिन्न देशों की आर्थिक घेराबंदी

लेकिन अपने विस्तारवादी नीति के कारण बदनाम हो चुके चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) सेना का जो पारंपरिक कार्य है उसे ही केवल नहीं करती।

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Published on: 21 July 2020 5:24 PM IST
चीन की पीपुल्सलिबरेशन आर्मी की विभिन्न देशों की आर्थिक घेराबंदी
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किसी भी देश की सेना की एक निश्चित पारंपारिक भूमिका होती है। शत्रु देश के खिलाफ आवश्यक होने पर युद्ध लड़ना, अपने देश की संप्रभुता की रक्षा करना आदि इसमें शामिल है। लेकिन अपने विस्तारवादी नीति के कारण बदनाम हो चुके चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) सेना का जो पारंपरिक कार्य है उसे ही केवल नहीं करती। वह केवल शत्रु के खिलाफ लड़ाई लड़ने तथा अपने विस्तारवादी नीति को आगे ही नहीं बढ़ाती बल्कि विभिन्न देशों का विभिन्न उपायों से घेराबंदी करने के काम में भी लगी रहती है।

चीनी सेना पीएलए अपनी चीनी कंपनियों के जरिये विभिन्न देशों में भारी मात्रा में आर्थिक निवेश करती है तथा उस देश के अर्थव्यवस्था में कुछ सीमा तक नियंत्रण करने का प्रयास करती है। केवल इतना होता तो शायद कोई बात नहीं है क्योंकि बडे़-बडे़ बहुराष्ट्रीय कंपनियां यह काम तो करते ही हैं। चीनी सेना इन कंपनियों के जरिये उन देशों के खुफिया जानकारी व डैटा हासिल करती है।

कई कंपनियों में निवेश करती है पीपुल्स लीबरेशन आर्मी

पीपुल्स लीबरेशन आर्मी चीन के बडे़ कंपनियों में भारी निवेश करती है। ये कंपनियां अन्य देशों में पूंजी निवेश करते हैं। विशेष कर टेलिकाम व अन्य स्ट्रैटेजिक क्षेत्रों में ये चीनी कंपनियां निवेश करती हैं। फिर इन कंपनियों के कर्मचारी व अधिकारी खुफिया जानकारी व डैटा चीनी सेना के लिए चोरी करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसका यह मतलब हुआ कि ये कंपनियां प्रकारांतर में व्यवसाय के नाम पर चीन के पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए कार्य करती हैं। लेकिन जिन देशों में यह चीनी कंपनियां काम करती हैं वहां के लोग व वहां की सरकार इन कंपनियों व चीनी सेना के भितरी संबंधों के बारे में अंधेरे में रहते हैं।

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वियेतनाम के फुल ब्राइट विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर क्रिस्टोफोर बाल्डिंग व लंदन के एक थिंक टैंक हैनरी जैकसन सोसयटी की ओर से इस संबंध में एक स्टडी की गई थी। इस स्टडी में अन्य देशों में काम कर रहे चीनी कंपनियो के अधिकारियों व कर्मचारियों के सीवी का अध्ययन किया गया था। इस अध्ययन में जो निष्कर्ष आए हैं वह चौंकाने वाले थे। इस अध्ययन के अनुसार चीन के सबसे बडे़ टेलिकाम कंपनी हुआई के अधिकारी व कर्मचारियों के चीन की सेना व खुफिया संस्थाओं के साथ गहरे संबंध हैं। इस अध्ययन में यह भी कहा गया है कि हुआई कंपनी के कुछ कर्मचारी के पुराना पृष्ठभूमि चीनी सेना व खुफिया एजेंसियों के साथ रहा है। अध्ययन में यह बताया गया है ये कर्मचारी व अधिकारी अन्य देशों के डैटा चोरी करने की प्रबल संभावना है।

चीन के बड़ी कंपनियों से आर्मी के संबंध

इस अध्ययन के दौरान चौकानें वाली जानकारी मिली। इस बात की जानकारी मिली कि हुआई कंपनी के एक बड़े अधिकारी पूर्व में चीनी मिलटरी विश्वविद्यालय में अनुसंधान के क्षेत्र में कार्य कर रहे थे। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने उन्हें इस पद पर नियुक्ति दिया था। उसी व्यक्ति को हुआई कंपनी में बड़े पद पर नियुक्ति दी गई है। अध्ययन के अनुसार वह व्यक्ति पीएलए के स्पेश, साइबर व इलेक्ट्रोनिक वार फैयर कैपाबिलिटिज के विषय में कार्य कर रहे थे। अध्ययन के निष्कर्ष में कहा गया है कि इस कारण परिस्थितिजन्य प्रमाण से स्पष्ट होता है चीन इस तरह के कंपनियों के जरिये अन्य देशों में प्रवेश कर खुफिया जानकारी व अन्य डैटा हासिल कर रहा है।

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इसी तरह युएस सेक्रेटरी आफ डिफेंस की ओर से “मिलिटरी एंड सिक्युरिटी डेवलपमेंट इनवल्विंग द पीपुल्स रिपब्लिक आफ चाइना-2019 ” के संबंध में एक वार्षि क रिपोर्ट में चीनी कंपनियों से खतरे के संबंध में बताया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में एक ऐसा कानून पारित किया या है जिसमें यह कहा गया है कि अन्य देशों में कार्य करने वाली चीनी कंपनियों को उस देश की जानकारी चीनी सेना को देनी होगी। चीन से निवेश के खतरों के संबंध में इस रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है। उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी चीनी कंपनियों व चीनी एप्प के जरिये न केवेल आर्थिक लाभ हासिल करता है बल्कि महत्वपूर्ण जानकारियां भी हासिल करता है। वह इसे काफी चतुरता के साथ करता है और किसी को संदेह तक नहीं होता।

भारत ने सुरक्षा की दृष्टि से चीनी ऐप्स को किया बैन

लेकिन स्थितियां बदल रही हैं। चीन से कोरोना वाइरस की उत्पत्ति होने के बाद इसके पूरे विश्व में फैलने के बाद विश्व की दृष्टि चीन के प्रति बदली है। उसे संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा में चीन के साथ तनाव के बाद भारत में भी स्थितियां बदली है। भारत सरकार ने भी डैटा चोरी के आरोप में 59 चीनी एप्प को भी प्रतिबंधित कर दिया है। वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नेतृत्व में चलने वाली केन्द्र सरकार ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के लिए काम करने वाली कंपनियों को स्कैन करना शुरु कर दिया है । इसे पीएलए स्कैन कहा जा रहा है। भारत में काम करने वाली चीनी कंपनियां, जिन्हें चीन से फंडिंग मिल रही है वे सभी भारत सरकार के राडार पर हैं ।

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भारत के अर्थ व्यवस्था को चीन के दखल से रोकने तथा देश की सुरक्षा के लिए भी भारत सरकार इस तरह के कदम उठा रही है। इन कंपनियों में चीनी सेना द्वारा किये गये निवेश आगामी दिनों में भारत को आर्थिक रुप से कमजोर करने की तथा सुरक्षा के लिए खतरा बनने की आशंका को ध्यान में रख कर यह कदम उठाये जा रहे हैं। भारत सरकार इस तरह की कंपनियों की सूची तैयार करने में लगी है। अभी तक सरकार ने सात ऐसी कंपनियों की पहचान की है। इन कंपनियों के जरिये चीन ने हजारों कोरोंडों रुपये का निवेश किया है। इसमें अलीबाबा, हुआई जैसी बडी कंपनियां शामिल हैं।

चीन की इस साजिश के खिलाफ लोगों को अवगत कराने की जरूरत

उपरोक्त बातों से स्पष्ट है कि चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी केवल युद्ध के जरिये चीनी विस्तारवाद के लिए काम नहीं करती है बल्कि अन्य देशों में पूंजी निवेश कर उनकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करने तथा वहां से इन कंपनियों के जरिये खुफिया व अन्य जानकारियां हासिल करने के लिए भी षडयंत्रपूर्वक कार्य करता है। लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि भारत के आम लोग चीन की इस भयंकर साजिश के बारे में पूर्ण रूप से अज्ञानता हैं।

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वर्तमान में चीन के खिलाफ माहौल धीरे धीरे बन रहा है और भारत सरकार चीनी कंपनियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई कर रही है। इससे भारतीयों में चीनी सेना के भंयकर साजिश के बारे में अज्ञानता खत्म होना शुरु हो रहा है। चीन के इस साजिश को लेकर सभी भारतीयों को अवगत कराने की आवश्यकता है।



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