×

एक जंग कोरोना के खिलाफ

आश्चर्य होता है कि लॉकडाउन के समय में भी जब सारी गतिविधियां थम गयी थी, एक सौ बत्तीस करोड़ की आबादी वाले इस भारत देश में कोई भूखा नहीं सोया।

Shivani
Published on: 6 Oct 2020 4:26 PM GMT
एक जंग कोरोना के खिलाफ
X

डॉ॰ श्रीकांत श्रीवास्तव

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व में देश कोरोना के खिलाफ पूरी मजबूती से जंग लड़ रहा है। दुनियां के अन्य देशों की अपेक्षा भारत में लड़ी जा रही जंग कहीं ज्यादा मजबूत साबित हो रही है। भारत में सक्रिय मामलों के प्रतिशत मे तेजी से गिरावट दर्ज की गयी है। कुल पॉजीटिव मामलों में एक्टिव केस लोड मात्र 13 दशमलव 75 प्रतिशत है। नये मामलों में से 74 प्रतिशत केवल 10 राज्यों या केन्द्र शासित प्रदेशों से हैं।

भारत में कोरोना वायरस

कोरोना से ठीक होने वाले लोगों के प्रतिशत में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। कुल ठीक हुए मरीजों की संख्या 56 लाख 62 हजार 490 तक पहुंच गयी है। ठीक हुए मामलों और सक्रिय मामलों के बीच का अंतर 47 लाख की संख्या को पार कर गया है। ठीक होने वाले लोगों का प्रतिशत बढ़कर 84 दशमलव 70 हो गया है। निश्चित रूप से यह सराहनीय है क्योंकि यह नेतृत्व के दृढ़ संकल्प शक्ति का प्रतीक है। ठीक हुए मामलों में 74 प्रतिशत मामले उत्तर प्रदेश सहित 10 राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों से हैं।

Corona Test

चीन के वुहान शहर से फैला संक्रमण

जिस समय चीन के वुहान शहर में कोरोना वायरस के फैलने की खबर आयी थी उसी समय भारत सरकार ने इससे निपटने की तैयारी शुरू कर दी थी। प्रधानमंत्री ने स्वयं पूरे मामले की कमान अपने हाथों मे ली और प्रत्येक निर्णय पर नजर रखी। प्रधानमंत्री के कुशल और चुम्बकीय नेतृत्व ने पूरे देश को एक जुट किया। लोगों ने प्रधानमंत्री के एक आह्वान पर थाली और ताली बजा कर और दिए जला कर अपनी एकजुटता प्रदर्शित की।

ये भी पढ़ेंः दुनिया कोरोना से तंग: बरप रहा संक्रमण, आखिर चीन में सबकुछ नॉर्मल कैसे…

स्वतंत्रता आंदोलन जैसा दृष्य था जब महात्मा गांधी के आह्वान पर पूरा देश एकजुट हो जाता था। जो कर्मचारी और समाजसेवी कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे थे यानी जो फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर थे उनके लिए वायुसेना ने अस्पतालों पर फूल बरसाये। प्रधानमंत्री ने जब लॉकडाउन की घोषणा की, पूरे देश ने उसे माना। वह भी एक बहुत बड़ी एकजुटता थी। प्रधानमंत्री ने नारा दिया था- जान है तो जहान है। देश के लोग एक दूसरे की मदद के लिए सामने आये। जो संपन्न थे, उन्होंने गरीबों की दोनों हाथ से मदद की।

ये भी पढ़ेंःबिगड़ा यूपी का हाल: इन जिलों में कोरोना का तांडव, इतने लोगों की हालत हुई खराब

आश्चर्य होता है कि लॉकडाउन के समय में भी जब सारी गतिविधियां थम गयी थी, एक सौ बत्तीस करोड़ की आबादी वाले इस भारत देश में कोई भूखा नहीं सोया। पड़ोसी ने पड़ोसी की मदद की। जिनसे कोई जान-पहचान नहीं, उनकी मदद के लिए भी कोटि-कोटि हाथ उठे। भारत की आत्मा साकार हो रही थी। रिषियों का दर्शन दुनियां के सामने था।

अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गयी

लॉक डाउन के बाद प्रधानमंत्री जी ने नारा दिया-जान भी जहान भी। यानी अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गयी और जन जीवन पटरी पर लौटना शुरू हो गया। आर्थिक गतिविधियां भी बढ़ी। सरकार ने पी.एम.जी.के.वाई. के तहत पौने दो लाख रूपए का पैकेज दिया। बाद में विभिन्न सेक्टरों के लिए 20 लाख करोड़ रूपए का पैकेज दिया गया। इसके बाद गतिविधियों ने और जोर पकड़ा लेकिन यह समय काफी महत्वपूर्ण है क्योकि अभी तक कोरोना वासरस की न तो कोई दवा आ सकी है और न ही कोई टीका विकसित हो सका है । इस समय जागरूकता ही वैक्सीन मानी जा रही है।

क्या है कोरोना वायरस

कारोना वासरस (सीओवी) का एक बड़ा वायरस परिवार है जो सामान्य सर्दी से लेकर गंभीर रोगो तक अर्थात् मध्य पूर्व श्वसन तंत्र सिंड्रोम (एसएआरएस-सीओवी) और गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (एसएआरएस-सीओवी) का कारण बनता है। नए कोरोना वायरस रोग (सीओवीआईडी-19) की वुहान, चीन से पहली बार 31 दिसंबर, 2019 में रिपोर्ट की गई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन के तथ्यों के अनुसार दिनांक 03.03.2020 तक 72 देशों ने सीओवीआईडी-19 के 90,870 पुष्ट मामलों और 3112 मौतों की रिपोर्ट की है। दिनांक 03.03.2020 तक भारत के विभिन्न हिस्सों से 05 पुष्ट मामले दर्जे किए गए है।

Corona Sample

ये भी पढ़ेंःभरोसे पर फँसे योगीः अब खुद सम्हालनी होगी कमान, भूलना पड़ेगा नौकरशाही को

संक्रमण के सामान्य संकेतो में बुखार, खांसी, मायलाजिया, थकान और सांस लेने मे कठिनाई शामिल है। अधिक गंभीर मामलो में संक्रमण से निमोनिया, एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम, किडनी फेल होने के साथ मृत्यु भी हो सकती है।

संक्रमण रोग में मानव प्रतिक्रिया में प्रतिरक्षा प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वासरस संक्रमण आॅक्सीडेटिव तनाव को प्ररित करते है और वायुमार्ग एपेथीलियल कोशिकाओं को क्षति पहुंचाते है। परिणामस्वरूप बढ़ते हुए तनाव के कारण शरीर में अतिसंवेदनशील संक्रामक रोग होने के कारण तनाव, पोषण और प्रतिरक्षा की पहचान होती है। कोरोना वायरल संक्रमण के प्रंबधन के मुख्य आधार में सहायक परिचर्या, पोषण और किसी वायरलरोधी कारक अथवा वैक्सीन की अनुपस्थिति में रोग को फैलने से रोकना शामिल है।

ये भी पढ़ेंःसरकार का कोरोना बहाना: रोजगार में अड़चन बनी महामारी, धरने पर बैठे लोग

विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेषज्ञ समूहों ने 2014 में इबोला के प्रकोप के दौरान सिफारिश की थी कि कोई वैक्सीन अथवा वासरलरोधी उपचार उपलब्ध नहीं होने की बात को ध्यान में रखते हुए ‘‘संभावित उपचार या रोकथाम के रूप में अभी तक अज्ञात प्रभाविकता और प्रतिकूल प्रभावों के रूप में अप्रमाणित हस्तक्षेपो की पेशकश करना नैतिक है।’’

Fight From Coronavirus crisis by Dr Shrikant Srivastava

7 अक्टूबर 2020 से भारत व्यापी प्रचार अभियान की शुरूआत

केन्द्र सरकार के विशेष निर्देश पर 7 अक्टूबर 2020 से भारत व्यापी प्रचार अभियान की शुरूआत हो रही है। राज्य सरकारे भी इसमे शामिल होगी। सूचना और प्रसारण मंत्रालय की लगभग सभी इकाइयां - पत्र सूचना कार्यालय, आउटरीच ब्यूरों, दूरदर्शन और आकाशवाणी इस अभियान में शामिल है। मूल उद्देश्य लोगो को आगाह करना है कि वे गतिविधियों को संचालित करते हुए भी कोरोना वायरस के प्रति सचित रहे और प्रधानमंत्री जी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करे।

महामारी से बचने का एक मात्र उपाय है जागरूकता

जागरूकता ही इस महामारी से बचने का एक मात्र उपाय है भारत सरकार के आयुष मंत्रालय ने कुछ खास बाते बतायी है जिस पर अमल करके करोना जैसी महामारी से बचा जा सकता है। ये है - व्यक्तिगत स्वच्छता का भलि-भांति ध्यान रखे, साबुन से लगातार हाथ धोने का अभ्यास करे, श्वसन शिष्टाचार का पालन करें- खांसने या छींकने पर अपना मुंह ढक लें, ऐसे लोगो के साथ निकट संपर्क से बचें जो अस्वस्थ है या जिनमें बीमारी के लक्षण दिख रहे है-जैसे कि खांसी, बहती नाक आदि, जीवित पशुओं के संपर्क में आने से बचे और कच्चे/अधपके मांस का सेवन न करे, फार्मो, जीवित पशु बाजारों में या पशु बधघरों में जाने से बचे, अगर आपको श्वसन संबंधी लक्षण जैसे खांसी या बहती नाक है तो मास्क पहने।

(लेखक भारतीय सूचना सेवा के अधिकारी है। लेख मे व्यक्त विचार उनके अपने निजी है।)

Shivani

Shivani

Next Story