TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

अब इस मुसीबत में फंस गए डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अजीब मुसीबत में फंस गए हैं। अमेरिका के लगभग सभी बड़े शहरों में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। वाशिंगटन डी.सी. में तो व्हाइट हाउस को हजारों लोगों ने ऐसा घेरा कि ट्रंप डर के मारे अभेद्य बंकर में जा छुपे।

Ashiki
Published on: 3 Jun 2020 11:27 AM IST
अब इस मुसीबत में फंस गए डोनाल्ड ट्रंप
X

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

डॉ. वेदप्रताप वैदिक

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अजीब मुसीबत में फंस गए हैं। अमेरिका के लगभग सभी बड़े शहरों में उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं। वाशिंगटन डी.सी. में तो व्हाइट हाउस को हजारों लोगों ने ऐसा घेरा कि ट्रंप डर के मारे अभेद्य बंकर में जा छुपे। दर्जनों लोग इन प्रदर्शनों में मारे जा चुके हैं। सैकड़ों भवनों और दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया है। लोगों ने दुकानों और घरों में घुसकर सामान लूट लिया है। ट्रंप ने प्रदर्शनकारियों को 10 साल की गिरफ्तारी, लाठियों और गोलियों का डर भी दिखा दिया है। विभिन्न राज्यों के राज्यपालों को इस अराजकता के लिए वे दोषी ठहरा रहे हैं।

ये भी पढ़ें: अभी-अभी आया जोरदार भूकंप, कांप उठी धरती, जान बचाने के लिए घरों से भागे लोग

पुलिस अफसर द्वारा एक अश्वेत नागरिक की हत्या

अमेरिका-जैसे संपन्न और सुशिक्षित देश में यह सब क्यों हो रहा है ? खास तौर से तब जबकि कोरोना से हताहत होनेवालों की संख्या दुनिया में वहीं सबसे ज्यादा है ? इसका कारण वैसे तो मामूली दिखाई पड़ता है लेकिन है, वह बहुत गहरा। अभी तो हुआ यह कि मिनियापाॅलिस के एक गोरे पुलिस अफसर ने एक अश्वेत नागरिक जाॅर्ज फ्लाएड को जमीन पर पटककर उसके गले को घुटने से इतनी देर तक दबाए रखा कि उसने दम तोड़ दिया।

वह चिल्लाता रहा कि उसका दम घुट रहा है लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। इस जानलेवा दुर्घटना का वाीडियो जैसे ही सारी दुनिया में फैला, प्रदर्शन भड़क उठे। उनमें गोरे और काले सभी शामिल हैं। ये प्रदर्शन सिर्फ अमेरिका में ही नहीं हो रहे हैं, आस्ट्रेलिया, ईरान, यूरोपीय और इस्लामी देशों में भी हो रहे हैं। जार्ज का दोष यह बताया जाता है कि वह 20 डाॅलर का नकली नोट चलाने की कोशिश कर रहा था।

ये भी पढ़ें: Cyclone alart: मौसम विभाग की चेतावनी, आंधी के साथ हो सकती है भारी बारिश

अमेरिका में 4 करोड़ के करीब अश्वेतों की संख्या

अमेरिका के 33 करोड़ लोगों में अश्वेतों की संख्या 4 करोड़ के करीब है। ये लोग विपन्न, वंचित और उपेक्षित हैं। ज्यादातर हाड़तोड़ काम यही लोग करते हैं। गरीबी के साथ-साथ ये लोग अशिक्षा और गंदगी के भी शिकार होते हैं। अभी कोरोना से हताहत होनेवालों में भी ज्यादा संख्या इन्हीं की है। अमेरिका में हो रही कोरोना मौतों का 50 प्रतिशत अश्वेतों का है जबकि गोरों का प्रतिशत सिर्फ 20 प्रतिशत है। अमेरिका की जेलें भी अश्वेतों से भरी रहती हैं।

ये भी पढ़ें: बॉर्डर सील करने के मुद्दे पर दिल्ली-हरियाणा में तनातनी बढ़ी, खट्टर ने बोला बड़ा हमला

पहली बार हुआ इतना व्यापक हिंसक प्रदर्शन

अब से 51 साल पहले जब मैं न्यूयार्क की कोलंबिया युनिवर्सिटी में पढ़ता था, तब मेरी कक्षा में एक भी छात्र या एक भी शिक्षक अश्वेत नहीं होता था। बराक ओबामा अश्वेत होते हुए अमेरिका के राष्ट्रपति जरुर बन गए लेकिन मार्टिन लूथर किंग के बलिदान के बावजूद अमेरिका में आज तक अश्वेतों को बराबरी का दर्जा नहीं मिला है।

ट्रंप को अश्वेत लोगों की खास परवाह नहीं है। वे गोरों के थोक वोट के दम पर जीते हैं। इस घटना को वे अपने पक्ष में भुनाने से बाज नहीं आएंगे। वे इन प्रदर्शनों को भड़काने का दोष ‘अंतिफा’ नामक वामपंथी संगठन के मत्थे मढ़ रहे हैं। लेकिन इतने व्यापक अश्वेत हिंसक प्रदर्शन अमेरिका में पहली बार हो रहे हैं।

ये भी पढ़ें: इस देश में कोरोना ने मचाया तांडव, 24 घंटे में 29 हजार मामले, इतनी मौतें कि…



\
Ashiki

Ashiki

Next Story