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पश्चिम बंगाल में ममता का खेल बिगाड़ने को तैयार ओवैसी, आंकड़ों से समझें

पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटों की बहुतायत संख्या को देखते हुए गैर-भाजपा दलों को इसका बड़ा नुकसान होने की संभावना अभी से जताई जा रही है। यह भी तय है कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे का सीधा लाभ भाजपा को मिल सकता है।

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Published on: 21 Nov 2020 3:35 AM GMT
पश्चिम बंगाल में ममता का खेल बिगाड़ने को तैयार ओवैसी, आंकड़ों से समझें
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पश्चिम बंगाल में ममता का खेल बिगाड़ने को तैयार ओवैसी

नई दिल्ली: बिहार में मिली बड़ी सफलता के बाद अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में उतरने का मन बना लिया है। पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटों की बहुतायत संख्या को देखते हुए गैर-भाजपा दलों को इसका बड़ा नुकसान होने की संभावना अभी से जताई जा रही है। यह भी तय है कि मुस्लिम वोटों के बंटवारे का सीधा लाभ भाजपा को मिल सकता है। पर इस बात के अब तक संकेत साफ नहीं है कि ओवेसी की पार्टी कितनी सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारेगी।

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बंगाल में लगभग 32 से 35 प्रतिशत मुस्लिम वोटर्स

एक अनुमान के अनुसार पश्चिम बंगाल में मुस्लिम वोटों की सख्या लगभग 32 से 35 प्रतिशत है। इनमें से कुछ जिले मालदा मुर्शिदाबाद तथा चौबीस परगना आदि में मुसलमानों की बड़ी आबादी है। राज्य की कुल 294 विधानसभा सीटों में से 98 विधानसभा क्षेत्रों में 30 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। जो किसी भी दल का राजनीतिक गणित बिगाडने की ताकत रखते हैं।

सभी दलों का गणित बिगाड़ सकती है एआईएमआईएम

पश्चिम बंगाल में कांग्रेस वामदलों और तृणमूल कांग्रेस मुस्लिम वोटों को हथियाने में करने के लिए काफी दिनों से प्रयास कर रही है। मुर्शिदाबाद में तो करीब 66.3 प्रतिशत मुस्लिम आबादी है। इसी तरह मालदा जिले में 12 विधानसभा सीटें आती हैं और यहां मुस्लिम आबादी 51.3 प्रतिशत है। उत्तर दिनाजपुर जिले में मुस्लिम आबादी 49.9 प्रतिशत है। इस रीजन में 9 विधानसभा सीटें आती हैं। बीरभूमि में मुस्लिम आबादी 37.1 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में 11 विधानसभा सीटें हैं। दक्षिण 24 परगना जिले में मुस्लिम आबादी 35.6 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में 31 विधानसभा सीटें हैं। जिन पर गैरभाजपा दलों की निगाह जमी हुई है। लेकिन ओवेसी की पार्टी के अपने प्रत्याशी उतारने से इन सभी दलों का गणित बिगड़ सकता है।

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...तो क्या भाजपा को होगा लाभ??

भाजपा की रणनीति हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण पर टिकी हुई है। उसे लग रहा है कि ओवेसी अगर मुस्लिम वोटों का बिखराव कर देते हैं तो इसका सीधा लाभ उसको ही मिलेगा। वहीं ममता बनर्जी की रणनीति मुस्लिम वोटों के साथ ही हिन्दू वोटों को भी हथियाने की है इसलिए वह साफ्ट हिन्दुत्व का फार्मूला अपना रही है। लेकिन ऐसे में कटटरवादी मुस्लिम वोट ओवेसी की तरफ मुड़ सकता है।

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गैरभाजपा दलों की उड़ी नींद

बंगाल में 2011 में वाम मोर्चे को हराने के बाद से ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी को ही अल्पसंख्यक मतों का फायदा मिलता रहा है लेकिन एआईएमआईएम के 100 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की घोषणा से गैरभाजपा दलों की नींद उड़ गयी है। अब यह दल ओवेसी पर भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगा रहे हैं।

श्रीधर अग्निहोत्री

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