TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

नागरिकता बिल पर लोकसभा में बोले शाह- कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा

 गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल 2019 पेश किया, उन्होंने विपक्ष के ऐतराजों का जवाब देते हुए कहा कि इस बिल से किसी के भी अधिकार का हनन नहीं हो रहा है, किसी के साथ भी अन्याय नहीं हो रहा है|

Dharmendra kumar
Published on: 9 Dec 2019 1:00 PM IST
नागरिकता बिल पर लोकसभा में बोले शाह- कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा
X

नई दिल्ली: गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल 2019 पेश किया, उन्होंने विपक्ष के ऐतराजों का जवाब देते हुए कहा कि इस बिल से किसी के भी अधिकार का हनन नहीं हो रहा है, किसी के साथ भी अन्याय नहीं हो रहा है|

इसके साथ ही उन्होंने कहा कि 1947 में जो भी रिफ्यूजी भारत आए उनको संविधान ने स्वीकार किया, गृह मंत्री ने कहा कि मनमोहन सिंह और लालकृष्ण आडवाणी उसी कैटेगरी में आते हैं जो बाहर से आए हैं, उनको नागरिकता दी गई| वे बड़े-बड़े पदों पर पहुंचे| मनमोहन सिंह देश के प्रधानमंत्री बने| देश का शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र होगा जहां पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान के शरणार्थी नहीं बसते, तो आइए जानते हैं सदन में अमित शाह के भाषण की बड़ी बातें....

Updates...

इस बिल को किसी राजनीतिक पार्टी के आधार पर ना देखें, बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान जिनसे हमारी जमीनी सीमा लगी है, जो धार्मिक अल्पसंख्यक वहां से आए हैं उनको नागरिकता देने का प्रावधान है, यह बिल लाखों लोगों की नारकीय जिंदगी से मुक्ति दिलाने वाला है|

पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है|

किसी के साथ दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए. किसी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए, हम धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार करते हैं, हम संविधान का सम्मान करते हैं|

असम अकॉर्ड राजीव गांधी और असम के छात्रों के बीच में हुआ, 1971 से लोगों को नागरिकता दी गई और हमने समर्थन किया|

बंगाल और नॉर्थ ईस्ट के भीतर जो शरणार्थी जिस तारीख से आए हैं, उन्हें उसी तारीख से नागरिकता दी जाएगी, राशन कार्ड तक की जरूरत नहीं होगी|

अल्पसंख्यक प्रवासी के खिलाफ जो भी कार्यवाही चल रही होगी, वह भारत की नागरिकता मिलने के साथ ही खत्म हो जाएगी|

मणिपुर को हम इनर लाइन परमिट सिस्टम में मिला रहे हैं, बिल में नॉर्थ-ईस्ट की चिंताओं का निराकरण समाहित है| लोगों को आंदोलन करने की जरूरत नहीं है, किसी के उकसावे में नहीं आना है, यह देश शांति की राह में आगे बढ़ना चाहता है|

यह बिल हम अपने मन से नहीं लाए हैं. 119 घंटे हमने राजनीतिक दल, गैर सरकारी संगठन से चर्चा की है|

नागरिकता बिल बीजेपी के 2014 और 2019 के घोषणापत्र में था| किसी भी देश की सरकार का ये कर्तव्य है कि सीमाओं की रक्षा करे, घुसपैठियों को रोके, शरणार्थियों और घुसपैठियों की पहचान करे, कौन सा ऐसा देश है जिसने बाहर के लोगों को नागरिकता देने के लिए कानून न बनाया हो, हमने भी ऐसा कानून बनाया है, हमने एकल नागरिकता का प्रावधान किया है|

क्या बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए, पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों को स्पेशल ट्रीटमेंट नहीं मिलनी चाहिए| देश की सीमाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी सरकार की है. मुझे बताइए दुनिया में कौन सा देश ऐसा है जो अपने सीमाओं और देश की सुरक्षा के लिए नागरिकता का कानून नहीं बनाता है|

अमित शाह ने कहा कि इस बिल की जरूरत कांग्रेस की वजह से पड़ी। इस बिल की जरूरत नहीं पड़ती, अगर कांग्रेस ऐसा नहीं करती, कांग्रेस ने धर्म के आधार पर देश को बांटा। अमित शाह ने कहा कि हर किसी ने आर्टिकल 14 के बारे में बात कही है, लेकिन ये आर्टिकल कानून बनाने से नहीं रोक सकता है।

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि पहली बार नागरिकता के लिए इसका निर्णय हो रहा है, 1971 में इंदिरा गांधी ने निर्णय लिया कि बांग्लादेश से जितने लोग आए हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी, तो फिर पाकिस्तान को लेकर क्यों नहीं दी जाएगी।

गृह मंत्री ने कहा कि 1971 के बाद भी आज बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है, युगांडा से आए हुए लोगों को कांग्रेस शासन में जगह दी गई, तो इंग्लैंड वाले लोगों को क्यों नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर आर्टिकल 14 के आधार से चलें तो अल्पसंख्यकों के लिए स्पेशल एक्ट क्यों होगा। वहां पर क्यों नहीं नियम लागू करते हैं।

यह भी पढ़ें...जन्मदिन विशेष: सोनिया गांधी के बारे में ये दिलचस्प बातें नहीं जानते होंगे आप

लोकसभा में विपक्ष ने हंगामे अमित शाह ने नराज होते हुए कहा कि आप मुझे नहीं रोक सकते, हमारी सरकार चुनकर आई है उसके बारे में सुनना ही होगा। अमित शाह ने कहा कि हमारे देश की सीमा अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से सटी है, ऐसे में इसलिए बिल में इनके बारे में जिक्र किया गया है। अमित शाह ने कहा कि मैं भूगोल का जानता हूं, मैं यहीं का हूं और फिर कहता हूं कि पीओके भी हमारा हिस्सा है।

इसी दौरान विपक्षी सीटों की तरफ से अखिलेश यादव ने कुछ कहा तो इस पर अमित शाह ने कहा कि अखिलेश जी जल्दी समझ में नहीं आएगा।

इस दौरान अमित शाह ने अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश के संविधान के बारे में बताया और कहा कि ये तीनों इस्लामिक देश हैं। बंटवारे के वक्त कई लोग इधर आए गए, तब नेहरु-लियाकत समझौता हुआ उसमें दोनों देशों ने अपने यहां अल्पसंख्यकों के अधिकार की बात हुई। भारत में तो अधिकार मिले लेकिन इन तीनों जगह नहीं हुआ।

अमित शाह ने कहा कि हमारे देश की 106 किमी. सीमा अफगानिस्तान से सटी है, ऐसे में उसे शामिल करना जरूरी था। मैं इसी देश का हूं और भूगोल जानता हूं। शायद ये लोग PoK को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।

यह भी पढ़ें...अभी-अभी भीषण विस्फोट: सैकड़ों लोगों की जान खतरे में, चल रहा रेस्क्यू

विपक्षी नेताओं ने आर्टिकल 14 पर जो सवाल खड़े किए गए, उसपर अमित शाह ने जवाब दिया। अमित शाह ने कहा कि इस बिल में संविधान का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।

लोकसभा में नागरिकता बिल पेश होने के लिए जो वोटिंग हुई उसमें 293 हां के पक्ष में और 82 विरोध में वोट पड़े। लोकसभा में इस दौरान कुल 375 सांसदों ने वोट किया।

गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के आरोप का जवाब दिया और कहा कि इस बिल के आने से अल्पसंख्यकों पर कोई असर नहीं होगा। ये बिल अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। अमित शाह ने कहा कि जब चर्चा होगी तो वह सदन में बिल पर हर सवाल का जवाब देंगे।

इस बिल का कांग्रेस सासंद अधीर रंजन चौधरी ने विरोध किया इस पर अमित शाह ने जवाब देते हुए कहा कि ये बिल कहीं पर भी इस देश के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं है। कांग्रेस ने कहा कि इस बिल का पेश होना ही संविधान के खिलाफ है। कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि इस बिल के पेश होने से संविधान के आर्टिकल 14 का उल्लंघन किया गया है।

यह भी पढ़ें...बड़ी खबर: यहां सेना के जवान ने कम्पनी कमांडर को मारी गोली, फिर कर ली खुदकुशी

ओवैसी ने जताया विरोध

AIMIM के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि सेक्युलिरिज्म इस मुल्क का हिस्सा है, ये एक्ट फंडामेंटल राइट का उल्लंघन करता है। ये बिल लाकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन हो रहा है। इस मुल्क को इस कानून से बचा ले लीजिए, गृह मंत्री को बचा लीजिए।

-केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता बिल को पेश किया।

-AIADMK नागरिकता संशोधन बिल के समर्थन में आ गई है। बता दें कि AIADMK के राज्यसभा में 11 सांसद हैं।

-संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि केंद्र सरकार आज ही नागरिकता बिल को लोकसभा में पास कराएगी।

-बदरुद्दीन अजमल की पार्टी AIUDF ने जंतर मंतर पर नागरिकता संशोधन बिल के खिलाफ जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर रही है।

यह भी पढ़ें...कर्नाटक विधानसभा उपचुनाव में BJP की बंपर जीत, ये नए विधायक बनेंगे मंत्री

शिया वक्फ बोर्ड ने की बड़ी माग

शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिज़वी ने गृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखी है। इसमें लिखा गया है कि नागरिकता संशोधन बिल में शियाओं को भी शामिल किया जाए।

वोटिंग का अधिकार नहीं देना चाहिए: संजय राउत

शिवसेना नेता संजय राउत ने सोमवार को कहा कि अवैध नागरिकों को बाहर करना चाहिए, हिंदुओं को भारत की नागरिकता देनी चाहिए, लेकिन उन्हें कुछ समय के लिए वोटिंग का अधिकार नहीं देना चाहिए। क्या कहते हो अमित शाह? और कश्मीरि पंडितों का क्या हुआ, क्या 370 हटने के बाद वो वापस जम्मू-कश्मीर में पहुंच गए।

यह भी पढ़ें...योगी कैबिनेट ने 33 अहम फैसलों को दी मंजूरी, फास्ट ट्रैक कोर्ट समेत किए ये बड़े ऐलान

बेंगलुरु IIM ने लिखी चिट्ठी

संसद में नागरिकता संशोधन बिल को लेकर बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट (IIM) के टीचर, छात्र और कर्मचारियों ने सांसदों के नाम एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में सांसदों से अपील की है कि वो इस बिल का विरोध करें। इसके लिए आने वाली पीढ़ियां उन्हें सलाम करेंगी। इसमें कहा गया है कि नागरिकता संशोधन बिल हमारे मूल अधिकार के खिलाफ है, जो हमें संविधान से मिले हैं।

असम में बंद

असम में इस बिल के विरोध में सोमवार को 16 संगठनों ने 12 घंटे का बंद है। इनके अलावा आदिवासी छात्रों ने भी इस बंद का समर्थन किया है, असम के अलावा अन्य राज्यों में भी बिल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहा है। नागरिकता कानून से पहले एनआरसी का भी विरोध किया गया था।

यह भी पढ़ें...फांसी की डेट: निर्भया के दोषियों को इस दिन लटकाया जाएगा सूली पर

सीपीआई (एम) ने नागरिकता कानून में दो बदलाव करने की मांग की है। इसमें चिन्हित देशों की जगह सभी पड़ोसी देशों का नाम जोड़ने की बात कही है। इसके अलावा भारत सभी नागरिकों के लिए है और वसुधैव कुटुम्बकम की नीति पर चलने की मांग की गई है।

मोदी सरकार ने जो संशोधित बिल लोकसभा में पेश किया है। उस बिल के मुताबिक अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से आने वाले हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख यानी गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारत की नागरिकता मिलने में आसानी होगी। पहले नागरिकता हासिल करने के लिए 11 साल का समय था, लेकिन अब इसे घटाकर 6 साल करने की तैयारी है। विपक्ष इसी को लेकर विरोध जता रहा है और मोदी सरकार पर धर्म के आधार पर लोगों को बांटने का आरोप लगाया है।



\
Dharmendra kumar

Dharmendra kumar

Next Story