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CAA पर BJP को झटका: मुस्लिम नेता छोड़ रहे साथ, ताबड़तोड़ इस्तीफे से हड़कंप
CAA पर भाजपा डोर टू डोर अभियान चला कर नागरिकता कानून के समर्थन में लोगों को जागरूक कर रही है, लेकिन पार्टी के भीतर ही नेता एक मत नहीं दिख रहे हैं।
दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद सबसे बड़ा झटका भारतीय जनता पार्टी को लगा है। दरअसल भाजपा सीएए को लेकर डोर टू डोर अभियान चला कर इसके समर्थन में लोगों को जागरूक कर रही है लेकिन पार्टी के बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ता ही सीएए के विरोध में है। आलम ये हैं कि पिछले कुछ हफ्तों में 100 से ज्यादा भाजपा पदाधिकारियों और 500 से अधिक कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। बताया जा रहा है कि इनके इस्तीफे की वजह सीएए और एनआरसी है।
500 से ज्यादा इस्तीफे:
केंद्र सरकार द्वारा नागरिकता कानून लागू करने के बाद से पूरे देश में इसका विरोध हो रहा है। वहीं भाजपा डोर टू डोर अभियान चला कर नागरिकता कानून के समर्थन में लोगों को जागरूक कर रही है, लेकिन पार्टी के भीतर ही नेताओं में एक मत नहीं दिख रहा है। जानकारी में मुताबिक, मध्य प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के नेता CAA और NRC को लेकर नाराज हैं। यही वजह है कि पिछले कुछ दिनों में पार्टी के अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के दो वरिष्ठ पदाधिकारियों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है।
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मध्य प्रदेश भाजपा में बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने दिया इस्तीफा:
प्रदेश के खंडवा और खरगोन जिले में सबसे ज्यादा भाजपा नेता और कार्यकर्ताओं ने पार्टी छोड़ी है। सीएए को लेकर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं की नाराजगी के बाद उठाये गये कदम का परिणाम ये हुआ कि पार्टी ने अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के प्रदेश प्रवक्ता जावेद बेग को बर्खास्त कर दिया।
दरअसल, पिछले दिनों भाजपा ने CAA और NRC पर बैठक की। अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रशीद अंसारी, राज्य प्रभारी सनव्वर पटेल और जिलाध्यक्ष मो. एजाज जैसे बड़े पदाधिकारी बैठक में शामिल नहीं हुए। जिसके बाद सनव्वर पटेल ने प्रदेश प्रवक्ता जावेद बेग को पार्टी की गाइडलाइन न मानने को लेकर बर्खास्त कर दिया। बता दें, बेग ने जब जामिया मिलिया इस्लामिया और JNU की घटना को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर की थी, जिसे लेकर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया।
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मामले में जावेद बेग ने बताया, 'हम भाजपा के अनुशासित कार्यकर्ता रहे हैं। तीन तलाक का मसला हो या बाबरी मस्जिद-राम मंदिर का मामला, हम लोगों ने हमेशा पार्टी के निर्देशों का पालन किया।'
भाजपा के अल्पसंख्यक नेता सीएए पर कर रहे विरोधी बयानबाजी:
पार्टी के कई अल्पसंख्यक नेता तो खुल कर इसका विरोध कर रहे हैं। इसी कड़ी में अल्पसंख्यक मोर्चा के उपाध्यक्ष आदिल खान ने नागरिकता कानून को सीधे तौर पर गलत करार दिया है। उन्होंने कहा, 'इस कानून से शरणार्थियों को पहले ही नागरिकता दी जाती रही है, फिर इसमें जानबूझकर धर्म को क्यों जोड़ा जा रहा है।'
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अल्पसंख्यक नेता ने CAA पर सरकार की मंशा पर उठाये सवाल:
उन्होंने सवाल किया, 'मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं हमारे देश में भी हुई हैं। ऐसे में जब पड़ोसी देशों के अल्पसंख्यकों पर जुल्म की बात उठती हैं, तो हम कैसे कह सकते हैं कि अपने देश में अल्पसंख्यक समुदाय के साथ ऐसा नहीं हो रहा है।' उन्होंने आरोप लगाया कि CAA और NRC सिर्फ मुस्लिमों के खिलाफ ही नहीं है, बल्कि यह गरीब लोगों के खिलाफ लाया गया है।
भाजपा नेता तस्लीम ने कहा, हम अपने समुदाय से नजरे नहीं मिला पा रहे:
वहीं खरगोन जिले से भाजपा नेता तस्लीम खान ने कहा, 'हम CAA और NRC को लेकर अपने समुदाय के लोगों के साथ नजरें नहीं मिला पा रहे हैं। हम भाजपा के साथ देशसेवा की भावना से जुड़े थे, लेकिन इस तरह का कानून लाए जाने के बाद हमारे पास कोई जवाब नहीं है।' उन्होंने कहा कि हमारे समुदाय को लेकर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं की आपत्तिजनक और कई बार निजी टिप्पणियों को हम लोगों ने नजरअंदाज किया, लेकिन CAA और NRC जैसे कानून हमारी सहनशीलता की सीमा से परे हैं। खान ने बताया कि हरदा और देवास जिले में भी पार्टी के कई नेता व कार्यकर्ता इस्तीफा देने वाले हैं।
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कहां से कितने पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने दिया भाजपा से इस्तीफा:
भाजपा पदाधिकारियों के अलावा पार्टी छोड़ने वालों में कार्यकर्ताओं का आंकड़ा तो सैकड़ों की संख्या में है। बताया जा रहा है कि खरगोन जिले में सबसे ज्यादा पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने भाजपा से इस्तीफा दिया है। खरगोन जिले में 173 पदाधिकारियों और 500 कार्यकर्ताओं ने बीती 9 जनवरी को अल्पसंख्यक मोर्चा से इस्तीफा दे दिया।
वहीं अकेले भोपाल में सीएए को लेकर 50 से अधिक ऐसे पार्टी पदाधिकारियों ने भाजपा से इस्तीफा दिया है, जो पिछले 15-20 साल से पार्टी की सेवा कर रहे थे।
इस्तीफे से भाजपा को बड़ा झटका:
बड़ी संख्या में इतने इस्तीफों से भाजपा सकते में हैं। पार्टी पदाधिकारी अल्पसंख्यक नेताओं और कार्यकर्ताओं के इस्तीफे की बात को छुपाने में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि कुछ गिने-चुने पदाधिकारियों ने ही पार्टी छोड़ी है। निचले स्तर के कुछ कार्यकर्ता और फर्जी नाम के आधार पर जुड़े लोग हमारी पार्टी को बदनाम करने के लिए इसे इस्तीफा बता रहे हैं।