गहलोत का लंबा-चौड़ा दावा मगर सीएम फंसे हुए हैं 99 के फेर में

राजस्थान में सियासी संकट शुरू होने के बाद से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार विधानसभा में बहुमत होने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि...

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Published on: 2 Aug 2020 4:10 PM GMT
गहलोत का लंबा-चौड़ा दावा मगर सीएम फंसे हुए हैं 99 के फेर में
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अंशुमान तिवारी

जयपुर: राजस्थान के सियासी संकट में एक-दूसरे को पटखनी देने के लिए सियासी मोर्चेबंदी का दौर जारी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेमा लगातार यह दावा कर रहा है कि सरकार को कोई खतरा नहीं है क्योंकि उनके पास 109 विधायकों का समर्थन है मगर सियासी जानकारों का कहना है कि गहलोत सरकार 99 के फेर में फंसी हुई है। दूसरी ओर भाजपा की ओर से लगातार गहलोत सरकार को चुनौतियां दी जा रही है। सीएम के खिलाफ बगावत करने वाले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट इस पूरे मामले में चुप्पी साधे हुए हैं और खुलकर कुछ भी नहीं बोल रहे हैं।

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109 विधायकों के समर्थन का दावा

राजस्थान में सियासी संकट शुरू होने के बाद से ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लगातार विधानसभा में बहुमत होने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि कांग्रेस के कुछ विधायकों की बगावत के बावजूद उनकी सरकार को कोई खतरा नहीं है। मुख्यमंत्री और उनके खेमे की ओर से लगातार ऐसे बयान दिए जा रहे हैं कि मुख्यमंत्री को 109 विधायकों का समर्थन हासिल है। वैसे सियासी जानकारों को सीएम खेमे के इस दावे में कुछ झोल नजर आ रहा है।

हकीकत में संख्या सिर्फ 99

जानकार सूत्रों के मुताबिक जयपुर से जैसलमेर पहुंचने वाले विधायकों की संख्या सिर्फ 92 है। चार मंत्रियों समेत सात विधायक जयपुर में बताए जा रहे हैं। इन्हें मिलाकर कांग्रेस के पास 99 विधायकों का समर्थन दिख रहा है जो कि मुख्यमंत्री खेमे की ओर से किए जा रहे दावे से 10 कम है।

माकपा विधायक सबसे महत्वपूर्ण

राजस्थान विधानसभा में विधायकों की संख्या 200 है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को विश्वासमत हासिल करने के लिए 101 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है। सीपीएम के विधायक बलवान पूनिया ने कुछ समय पहले मुख्यमंत्री को साथ देने का वादा किया था, लेकिन अब उनके बारे में कुछ भी भरोसे के साथ नहीं कहा जा सकता।

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पूनिया न तो जयपुर के फेयरमॉन्ट होटल की बाड़ेबंदी में थे और न ही वे जैसलमेर गए हैं। पूनिया ने अगर पार्टी व्हिप का पालन करते हुए कांग्रेस के पक्ष में मतदान नहीं किया तो गहलोत सरकार के पास 99 विधायक ही रहेंगे। ऐसे में गहलोत सरकार के लिए बड़ा संकट खड़ा हो सकता है।

स्पीकर तभी कर पाएंगे मतदान

राजस्थान के एक मंत्री भंवरलाल इतने बीमार बताए जा रहे हैं कि वह विधानसभा में मतदान करने की स्थिति में नहीं है। इसलिए उनके मत को नहीं जोड़ा जा रहा है। विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी सिर्फ पक्ष-विपक्ष की समान मत संख्या होने की स्थिति में ही मतदान कर सकते हैं।

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अगर विधानसभा में गहलोत के पास 99 विधायकों का ही समर्थन रहेगा तो जोशी चाहकर भी सरकार बचाने की स्थिति में नहीं होंगे। वे उसी स्थिति में मतदान कर सकते हैं जब गहलोत के पास 100 विधायकों का समर्थन हो। यह स्थिति तभी बनती दिख रही है जब गहलोत सीपीएम के एक विधायक का मत पाने में कामयाब हो सकें।

शेखावत ने कसा गहलोत पर तंज

इस बीच केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गहलोत सरकार पर तंज कसा है। उन्होंने ट्वीट किया कि गहलोत सरकार का सआर मौज मस्ती, सैर सपाटा, खाना-पीना, अंताक्षरी खेलना, फिल्में देखना और दूसरों की गलती निकालना है। भाजपा नेता राजेंद्र राठौड़ ने भी कोरोना संकटकाल में गहलोत सरकार की लापरवाही पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या 43000 से ज्यादा हो चुकी है मगर गैर जिम्मेदार गहलोत सरकार पॉलिटिकल क्वारंटाइन में चली गई है। सच्चाई तो यह है कि गहलोत सरकार को आम जनता से कोई सरोकार ही नहीं है।

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