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जानिए, मोदी की कामयाबी के पीछे प्राणों की आहुति किस-किस ने दी

वह 2009 में हुए आमचुनाव में कर्नाटक के बैंगलुरू दक्षिण चुनाव क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुए थे। मोदी सरकार में उन्हें रसायन और उर्वरक मंत्रालय और संसदीय मामलों का मंत्री पद मिला।

Manali Rastogi
Published on: 10 Aug 2019 8:34 AM GMT
जानिए, मोदी की कामयाबी के पीछे प्राणों की आहुति किस-किस ने दी
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जानिए, मोदी की कामयाबी के पीछे प्राणों की आहुति किस-किस ने दी

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 के बाद एक बार फिर प्रचंड बहुमत से केंद्र में सरकार बनाई। बीजेपी की इस जीत के पीछे पीएम मोदी और अमित शाह के साथ और भी कई दिग्गज नेताओं का हाथ रहा। मगर अफसोस की बात ये है कि इनमें से कई नेता आज पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ नहीं हैं। इसलिए आज हम आपको बताएंगे कि बीजेपी के कितने मंत्रियों का गंभीर बीमारी से निधन हो गया।

अटल बिहारी वाजपेयी

बीजेपी के युग पुरुष और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को 93 साल की उम्र में निधन हो गया। अटल जी साल 2009 से व्हीलचेयर पर थे और डिमेंशिया नाम की बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने एम्स में अपनी आखिरी सांसे ली थी।

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वाजपेयी जी अपने आखिरी समय पर जीवन रक्षक प्रणाली पर थे। 93 साल के वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के जरिए भारतीय राजनीति में कदम रखा था। वाजपेयी जी ने 1942 से 2004 तक राजनीति में सक्रिय रहे।

सुषमा स्वराज

बीजेपी की वरिष्ठ नेता और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का दिल का दौरा पड़ने से 6 अगस्त की देर रात निधन हो गया। 67 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने से स्वराज का निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में सुषमा स्वराज ने अंतिम सांस ली।

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सुषमा स्वराज का राजनीति करियर करीब 42 साल का था। उन्होंने 1977 में हरियाणा विधानसभा का पहला चुनाव लड़ा और जीतीं। तब से लेकर वह कई पदों पर रहीं, लेकिन इतने लंबे समय में उनकी सादगी हमेशा कायल करने वाली रही।

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वो हर किसी से अपनत्व से मिलती थीं। उनकी बातें सुनती थीं। उनका जीवन हमेशा सादगी वाला रहा। कहीं कोई आडंबर नहीं और न ही किसी तरह का कोई घमंड। उनकी वेशभूषा और जीवन हमेशा ऐसा रहा, जिससे कोई भी प्रेरणा ले सकता है।

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सुषमा स्वराज ने हमेशा अपने लंबे सियासी करियर में यही सिखाया कि कहीं कोई शार्टकट नहीं होता। जिस भी मुकाम पर पहुंचना हो उसके लिए पर्याप्त मेहनत करनी होती, ये उन्हें पग-पग पर सिखाया भी।

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चाहे वो दिल्ली में मुख्यमंत्री रही हों या फिर अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री या मोदी सरकार-1 में विदेश मंत्री, उनके बारे में हमेशा कहा जाता था कि वो लंबे समय तक आफिस में रहती थीं। अपना होमवर्क बहुत बारीकी से करती थीं।

मनोहर पर्रिकर

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मोदी सरकार में रक्षा मंत्री रहे मनोहर पर्रिकर का अग्नाशय कैंसर की वजह से निधन हुआ था। तीन बार गोवा के मुख्यमंत्री रहे पर्रिकर ने 17 मार्च 2019 को आखिरी सांस ली थी।

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बीजेपी से गोवा के मुख्यमंत्री बनने वाले वह पहले नेता थे। साल 1949 में उन्हें गोवा की द्वितीय व्यवस्थापिका के लिये चयनित किया गया था। जून 1999 से नवंबर 1999 तक वह विरोधी पार्टी के नेता रहे।

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बीजेपी को गोवा की सत्ता में लाने का श्रेय उनको ही जाता है। इसके अतिरिक्त भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव को अकेले गोवा लाने का और किसी भी अन्य सरकार से कम समय मे एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर की मूलभूत संरचना खड़ी करने का श्रेय भी उन्ही को जाता है।

जय नारायण प्रसाद निषाद

पूर्व केंद्रीय मंत्री कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद का निधन 24 दिसंबर 2018 को दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में हुआ। 88 वर्षीय निषाद लंबे समय से बीमार चल रहे थे, जिसकी वजह से उनका इलाज चल रहा था।

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कैप्टन जय नारायण निषाद बिहार के मुजफ्फरपुर से कई बार सांसद रहे थे। जय नारायण प्रसाद निषाद बीजेपी के नेता थे, जब अप्रैल 2008 में उन्हें उपराष्ट्रपति द्वारा विरोधी दलबदल कानून के तहत राज्यसभा के सदस्य के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया गया था।

निषाद अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई पार्टियों में रहे लेकिन वो 1 सीट से 5 बार सांसद चुने गए थे। वो 1996 से 1998 के दौरान केंद्र में राज्य मंत्री भी थे।

अनंत कुमार

केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार का कैंसर की वजह से 12 नवंबर 2018 को बंगलुरु में निधन हो गया। अनंत कुमार के निधन को देश और खासकर कर्नाटक के लोगों की सार्वजनिक जीवन में बड़ी क्षति रही। उनका जाना देश और खासकर कर्नाटक के लोगों के लिए बड़ा झटका रहा।

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अनंत कुमार अपनी युवावस्था से ही सार्वजनिक जीवन में आ गए थे। उन्होंने समाज के लिए पूरी निष्ठा और लगन के साथ बहुत कुछ किया। वह भारतीय जनता पार्टी से संबन्धित थे और मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री थे। वह 2009 में हुए आमचुनाव में कर्नाटक के बैंगलुरू दक्षिण चुनाव क्षेत्र से 15वीं लोकसभा के लिए सदस्य निर्वाचित हुए थे। मोदी सरकार में उन्हें रसायन और उर्वरक मंत्रालय और संसदीय मामलों का मंत्री पद मिला।

अरुण जेटली

पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली का 66 की उम्र में 24 अगस्त को एम्स में निधन हो गया। अरूण जेटली करीब दो हफ्ते से दिल्ली के एम्स में भर्ती थे। वे लम्बे समय से बीमार चल रहे थे।

मई 2019 में जब मोदी सरकार-2 का गठन हुआ, तब तबीयत खराब होने की वजह से जेटली ने इस साल हुए लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा। इसके लिए अरुण जेटली ने पीएम मोदी को पत्र लिखा था।

अपने पत्र में जेटली ने लिखा था कि उनकी तबीयत सही नहीं है, जिसकी वजह से वह इस साल चुनाव नहीं लड़ेंगे। मालूम हो, राजनेता होने के साथ-साथ अरुण जेटली सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील भी थे। वह मोदी सरकार-1 में फ़ाइनेंस मिनिस्टरी संभाल चुके हैं।

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