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अमेरिका में अब मूर्तियों पर कहर, जगह-जगह ढहाए जाने की वारदातें

अमेरिका में इन दिनों मूर्तियों को गिरने, खंडित करने का सिलसिला चल पड़ा है। अश्वेत जॉर्ज फ्लोएड की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद जगह-जगह...

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Published on: 20 Jun 2020 11:03 PM IST
अमेरिका में अब मूर्तियों पर कहर, जगह-जगह ढहाए जाने की वारदातें
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नीलमणि लाल

नई दिल्ली: अमेरिका में इन दिनों मूर्तियों को गिरने, खंडित करने का सिलसिला चल पड़ा है। अश्वेत जॉर्ज फ्लोएड की पुलिस के हाथों हुई मौत के बाद जगह जगह प्रदर्शन और हिंसा के बाद अब भीड़ डेढ़-दो सौ साल पुरानी मूर्तियाँ गिराने पर तुली हुई है। निशाने पर उन लोगों की मूर्तियाँ हैं जिनके बारे में गुलामी प्रथा को बढ़ाने और संजोने के आरोप लगाए जा रहे हैं। अमेरिका के इतिहास के उन जनरलों, स्वतन्त्रता की लड़ाई के प्रमुख नेताओं की मूर्तियाँ अमेरिका में जगह जगह लगी हुईं हैं। अश्वेत लोगों के समानता के अधिकार और उनको गुलाम के तौर पर यूरोप में लाये जाने के काले इतिहास की स्मृति में अमेरिका ही नहीं बल्कि यूनाइटेड किंगडम और यूरोप के कई अन्य देशों में मूर्तियाँ खंडित करने की घटनाएँ हो रही हैं। यूके में तो चर्चिल की प्रतिमा हटाने की मांग हो रही है।

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अमेरिका में गुलामी प्रथा की समाप्ती के दो साल बाद 19 जून 1865 को टेक्सास प्रांत में आखिरी गुलामों को आज़ाद किया गया था। उस दिन की याद में हर साल 19 जून को देश भर में समारोह होते हैं और रैलियाँ निकली जाती हैं। इस साल जॉर्ज फ्लोएड के मामले के कारण लोगों में गुस्सा था जिसमें डेमोक्रेट पार्टी के नेताओं ने उकसाने का भी भरपूर काम किया। नतीजतन पूरे देश में रैलियाँ निकले जाने के दौरान जम कर उत्पात हुआ।

जॉर्ज वाशिंगटन को भी नहीं बख्शा

अमेरिका के वाशिंगटन राज्य के ओरेगन में भीड़ ने जॉर्ज वाशिंगटन की मूर्ति ढहा कर उस पर लाल रंग का स्प्रे कर दिया। जॉर्ज वाशिंगटन को राष्ट्र पिता कहा जाता है और उनकी प्रतिमा 1920 के दशक में लगाई गई थी। इस घटना के कुछ दिन पहले नॉर्थ पोर्टलैंड में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति थॉमस जेफरसन की प्रतिमा गिरा दी गई थी। इसी दिन राजधानी वाशिंगटन डीसी में करीब 100 लोगों की भीड़ ने अमेरिका के गृह युद्ध के एक जनरल अल्बर्ट पाइक की प्रतिमा ढहा दी।

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20 जून को सैनफ्रांसिस्को में प्रदर्शनकारियों ने पूर्व राष्ट्रपति यूलैसिस एस ग्रांट की प्रतिमा को गिरा दिया। ग्रांट ने गृह युद्ध के दौरान यूनियन आर्मी की अगुवाई की थी। यही नहीं भीड़ ने अमेरिका के राष्ट्रगान के रचियता सेंट जूनीपेरो सेरा और फ्रांसिस स्कॉट की प्रतिमाएँ भी गिरा दीं।

कोनफेडरेट्स से नाराजगी

अमेरिका के गृह युद्ध में दक्षिण के 11 राज्यों ने अमेरिका से अलग होने का ऐलान कर दिया था। इन राज्यों ने अलग राष्ट्र बनाने की कोशिश की। ये राज्य गुलामी प्रथा को खत्म किए जाने के खिलाफ थे। 1861 से 1865 तक ये राजी अलग अस्तित्व बनाने की कोशिश करते रहे लेकिन सफल नहीं हो पाये। अमेरिका के उन 11 राज्यों में कोनफेडरेट नेताओं और जनरलों की प्रतिमाएँ लगी हुईं हैं। अमेरिका की संसद में भी उनके चित्र लगे हैं। चूंकि कोनफेडरेट राज्य गुलामी प्रथा के पक्षधर थे इसलिए अब उनके खिलाफ गुस्सा भड़का है। इन विद्रोही राज्यों के खिलाफ यूलैसिस एस ग्रांट की अगुवाई में लड़ाई भी लड़ी गई थी लेकिन ग्रांट पर एक गुलाम रखने का आरोप लगाया गया है और इसी कारण उनकी भी प्रतिमा गिरा दी गई।

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इसी तरह वर्जीनिया के रिचमंड में कोनफेडरेट जनरल विलियम्स कार्टर विकहम की प्रतिमा गिरा दी। ये प्रतिमा एक पार्क में 1891 से लगी हुई थी। मोंटगोमरी शहर में एक और कोनफेडरेट जनरल रोबर्ट ली की प्रतिमा गिरा दी गई। नेशविले में एडवर्ड कर्मक नामक एक समाचार प्रकाशक की प्रतिमा ढहाई गई। इनपर नस्लवादी विचार छापने के आरोप है।

कोलंबस की प्रतिमा हटेगी

अमेरिका के नस्लवादी इतिहास से जो भी जुड़ा रहा है उन सभी के खिलाफ आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। प्रतिमाएँ गिरने और हटाने का काम प्रदर्शनकारियों के अलावा निर्वाचित जन प्रतिनिधि भी कर रहे हैं। इसी क्रम में कैलिफोर्निया में क्रिस्टोफर कोलंबस और क्वीन इसाबेला की प्रतिमाएँ हटाने का फैसला स्थानीय नेताओं ने लिया है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि ये दोनों बीते समय के नस्लवादी रवैये के प्रतीक हैं। कैलिफोर्निया के डेमोक्रेटिक सीनेटरों का कहना है कि कोलंबस ने मूल निवासियों के खात्मे की शुरुआत की थी।

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यूनाइटेड किंगडम में भी गिराईं प्रतिमाएँ

सिर्फ अमेरिका ही नहीं, यूनाइटेड किंगडम में भी प्रतिमाओं पर भड़ास निकली जा रही है। यूके में तमाम ऐसे लोगों की प्रतिमाएँ लगीं हैं जिन्होने ब्रिटिश साम्राज्य के विस्तार में योगदान किया था, व्यापार बढ़ाया था। ऐसे बहुत से लोगों पर गुलामों का व्यापार करने का आरोप है। इसी लिए अब इनकी प्रतिमाएँ निशाने पर हैं।

राजनीति भी खूब हावी

अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव नवंबर में होने हैं और राजनीति चरम पर है। डेमोक्रेट पार्टी के नेता डोनाल्ड ट्रम्प की छवि खराब करने और उनकी रिपब्लिकन पार्टी की संभावनाएं धूमिल करने के लिए भीड़ को उकसाने और भीड़ का साथ देने का भी काम कर रहे हैं। अमेरिका में शहरों और राज्यों पर लोकल सरकार का शासन चलता है। ऐसे में जहां जहां डेमोक्रेट्स का शासन है वहाँ भीड़ की ही चल रही है। सबसे ज्यादा उत्पात वहीं पर हो रहे हैं। डोनाल्ड ट्रम्प का आरोप है कि इस काम में चरम वामपंथी मीडिया भी आग में घी डालने का काम कर रहा है।

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