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भारत में जन्में नरेंद्र कोहली की जन्म स्थली पाकिस्तान में, मशहूर अपनी लेखनी के लिए

नरेंद्र कोहली ने अपनी रचनाओं में मानों जान भर दी हो, जिनके पढ़कर ऐसा लगता है कि रचनाओं का दृश्य सामने ही चल रहा है। ऐसे सजग सादगी भर रचनाएं जिसे पढ़ने के पाठक आज भी ललायित रहते हैं। देश के ये होनकार लेखक का जन्म वैसे तो भारत में हुआ था, लेकिन इस समय भारत का वो हिस्सा पाकिस्तान में है।

Vidushi Mishra
Published on: 6 Jan 2021 1:26 PM GMT
भारत में जन्में नरेंद्र कोहली की जन्म स्थली पाकिस्तान में, मशहूर अपनी लेखनी के लिए
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साहित्य के विद्यार्थियों और आलोचकों के लिए नरेन्द्र कोहली की साहित्य-सृजन-प्रक्रिया को समझने में यह ग्रन्थ न सिर्फ महत्वपूर्ण है वरन् परम आवश्यक है।

नई दिल्ली: मशहूर लेखक नरेंद्र कोहली ने अपनी रचनाओं में मानों जान भर दी हो, जिनके पढ़कर ऐसा लगता है कि रचनाओं का दृश्य सामने ही चल रहा है। ऐसे सजग सादगी भर रचनाएं जिसे पढ़ने के पाठक आज भी ललायित रहते हैं। देश के ये होनकार लेखक का जन्म वैसे तो भारत में हुआ था, लेकिन इस समय भारत का वो हिस्सा पाकिस्तान में है। नरेंद्र की प्रारम्भिक शिक्षा तो लाहौर में शुरू हुई थी, लेकिन भारत विभाजन के पहले परिवार समेत जमशेदपुर आने की वजह से आगे की पढ़ाई यहीं से हुई।

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शिक्षा का माध्यम हिन्दी न होकर उर्दू

नरेंद्र कोहली का जन्म ६ जनवरी १९४० को संयुक्त पंजाब के सियालकोट नगर भारत मे हुआ था। लेकिन अब ये जगह पाकिस्तान मे है। शुरूआती दौर में हिन्दी के इस सर्वकालिक श्रेष्ठ रचनाकार की शिक्षा का माध्यम हिन्दी न होकर उर्दू था। फिर हिन्दी विषय उन्हें दसवीं कक्षा की परीक्षा के बाद ही मिल पाया।

वैसे तो अपने बचपन में यानी छात्र के रूप में नरेन्द्र अत्यंत मेधावी थे एवं अच्छे अंकों से उत्तीर्ण होते रहे। वहीं वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भी उन्हें अनेक बार अनेक प्रतियोगिताओं में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। वो डिबेट करने में निपुण थे।

फिर बाद मे दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और डाक्टरेट की उपाधि भी ली। जिसके बाद प्रसिद्ध आलोचक डॉ॰ नगेन्द्र के निर्देशन में "हिन्दी उपन्यास : सृजन एवं सिद्धांत" इस विषय पर उनका शोध प्रबंध पूर्ण हुआ। इस प्रारम्भिक कार्य में ही युवा नरेन्द्र कोहली की मर्मभेदक दृष्टि एवं मूल तत्व को पकड़ लेने की शक्ति का पता लग जाता है।

1963 से लेकर 1995 तक उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय मे अध्यापन कार्य किया और वहीं से 1995 में पूर्णकालिक लेखन की स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए स्वैच्छिक अवकाश ग्रहण किया।

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साहित्य के विद्यार्थियों और आलोचकों के लिए नरेन्द्र कोहली की साहित्य-सृजन-प्रक्रिया को समझने में यह ग्रन्थ न सिर्फ महत्वपूर्ण है वरन् परम आवश्यक है। इस ग्रन्थ में नरेन्द्र कोहली ने विभिन्न चरित्रों के बारे में नयी एवं स्पष्ट स्थापनाएं दी हैं।

उनकी जन-मानस में अंकित छवि से प्रभावित और आतंकित हुए बगैर घटनाओं के तार्किक विश्लेषण से कोहलीजी ने कृष्ण, युधिष्ठिर, कुंती, द्रौपदी, भीष्म, द्रोण इत्यादि के मूल चरित्र का रूढ़िगत छवियों से पर्याप्त भिन्न विश्लेषण किया है।

narendra kohali फोटो-सोशल मीडिया

नरेंद्र कोहली के सम्मान एवं पुरस्कार

राज्य साहित्य पुरस्कार 1975-76 ( साथ सहा गया दुख ) शिक्षा विभाग, उत्तरप्रदेश शासन, लखनऊ।

उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार 1977-78 ( मेरा अपना संसार ) उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ।

साहित्य सम्मान 1985-86 ( समग्र साहित्य ) हिंदी अकादमी, दिल्ली।

साहित्यिक कृति पुरस्कार 1987-88 ( महासमर-1, बंधन ) हिंदी अकादमी, दिल्ली।

डॉ. कामिल बुल्के पुरस्कार 1989-90 ( समग्र साहित्य ), राजभाषा विभाग, बिहार सरकार , पटना।

इलाहाबाद नाट्य संघ पुरस्कार 1978 ( शंबूक की हत्या ) इलाहाबाद नाट्य संगम, इलाहाबाद।

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उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान पुरस्कार 1979-80 ( संघर्ष की ओर ) उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ।

मानस संगम साहित्य पुरस्कार 1978 ( समग्र रामकथा ) मानस संगम, कानपुर।

चकल्लस पुरस्कार 1991 ( समग्र व्यंग्य साहित्य ) चकल्लस पुरस्कार ट्रस्ट, 81 सुनीता, कफ परेड, मुंबई।

अट्टहास शिखर सम्मान 1994 ( समग्र व्यंग्य साहित्य ) माध्यम साहित्यिक संस्थान, लखनऊ।

शलाका सम्मान 1995-96 ( समग्र साहित्य ) हिंदी अकादमी दिल्ली।

साहित्य भूषण -1998 ( समग्र साहित्य ) उत्तरप्रदेश हिंदी संस्थान, लखनऊ।

व्यास सम्मान– 2012(न भूतो न भविष्यति)

पद्म श्री - 2017,भारत सरकार

श्रीहनुमान मंदिर साहित्य अनुसंधान संस्थान विद्यावृत्ति 1982 ( समग्र रामकथा ) श्रीहनुमान मंदिर साहित्य अनुसंधान संस्थान, कलकत्ता।

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