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भीलवाड़ा मॉडल ने दिखाई जंग जीतने की राह, पूरे देश में लागू करने पर विचार
सरकार उन उपायों पर विचार कर रही है जिससे कोरोना के बढ़ते मामलों को रोका जा सके। इनमें भीलवाड़ा मॉडल भी एक है और इसे पूरे देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
नई दिल्ली। लॉकडाउन के बावजूद देशभर में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामले सरकार के लिए बड़ी मुसीबत बन गए हैं। जनता कर्फ्यू के बाद देश में 21 दिनों के संपूर्ण लॉकडउन के बावजूद कोरोना वायरस के केसों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। देश में कोरोना मरीजों की संख्या करीब साढ़े चार हजार के ऊपर पहुंच चुकी है और इस वायरस ने अभी तक करीब 124 लोगों की जान ले ली है। जहां तक पिछले 24 घंटे का सवाल है तो इस दौरान पांच सौ से अधिक कोरोना पॉजिटिव के मामले दर्ज किए गए हैं। ऐसे में सरकार उन उपायों पर विचार कर रही है जिससे कोरोना के बढ़ते मामलों को रोका जा सके। इनमें भीलवाड़ा मॉडल भी एक है और इसे पूरे देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
कैबिनेट सचिव ने इस राज्य से मांगी जानकारी
इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने के संकेत उस समय मिले जब केंद्रीय कैबिनेट सचिव राजीव गॉबा ने राजस्थान के मुख्य सचिव डी बी गुप्ता से भीलवाड़ा मॉडल को लेकर विस्तृत जानकारी मांगी। गुप्ता के मुताबिक कैबिनेट सचिव गॉबा ने कोरोना से बचाव के लिए भीलवाड़ा में किए गए उपायों की तारीफ की और इस मॉडल को पूरे देश में लागू करने का संकेत भी दिया।
आखिर क्या है भीलवाड़ा मॉडल
ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखिर भीलवाड़ा मॉडल है क्या? आखिर क्यों यह मॉडल चिकित्सा विशेषज्ञों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अफसरों को रास आ रहा है? दरअसल भीलवाड़ा में एक डॉक्टर के कोरोना से संक्रमित होने के बाद वहां संक्रमण के मामलों में काफी तेजी दर्ज की गई और कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 27 तक पहुंच गई। लेकिन उसके बाद भीलवाड़ा में इतनी सख्ती की गई कि यह संख्या 27 से ऊपर नहीं जा सकी।
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कर्फ्यू लगाकर सीमाएं सील
कोरोना वायरस के मामलों पर रोक लगाने के लिए भीलवाड़ा में तुरंत कर्फ्यू लगाकर सीमाएं सील कर दी गई और जिले के सभी निजी अस्पतालों और होटलों को अधिग्रहित कर लिया गया। लॉकडाउन को लेकर भी विशेष सख्ती बरती गई और लोगों को घरों से बाहर निकलने से पूरी तरह रोक दिया गया। यहां तक कि जनप्रतिनिधियों, मीडिया और सामाजिक संगठनों के लोगों पर भी प्रतिबंध लागू किए गए।
घर-घर की गई स्क्रीनिंग
प्रदेश के चिकित्सा मंत्री डॉ रघु शर्मा ने बताया कि भीलवाड़ा में कोरोना का प्रकोप मार्च के तीसरे हफ्ते में अचानक तेजी से फैला। इसके बाद राज्य सरकार ने त्वरित कदम उठाते हुए संक्रमण के फैलाव को रोक दिया। उन्होंने कहा कि हमने सबसे बड़ा काम तो यह किया कि घर-घर स्क्रीनिंग शुरू की और 18 लाख लोगों की जांच की गई। यह आसान काम नहीं था और इसके लिए 15 हजार टीमें बनाई गई थीं।
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इसके साथ ही लॉकडाउन और फिर कर्फ्यू का सख्ती से पालन किया गया। भीलवाड़ा में पिछले 17 दिनों से कर्फ्यू लगा हुआ है। यहां एक दर्जन वरिष्ठ अफसरों की अगुवाई में करीब तीन हजार पुलिस के जवानों की तैनाती की गई है।
थ्री टियर प्रयास और जनता का समर्थन
उन्होंने बताया कि कोरोना पॉजिटिव पाए गए 27 लोगों को तत्काल आइसोलेशन वार्ड में शिफ्ट किया गया और क्वारंटीन किए गए लोगों के घरों के बाहर पुलिस का पहरा बिठा दिया गया ताकि वह घरों से बाहर न निकल सके। हालांकि वे इस बात को भी स्वीकार करते हैं कि सरकार के प्रयासों को लोगों का समर्थन मिला और लोगों के पूरे सहयोग की बदौलत ही सरकार को कोरोना का संक्रमण रोकने में कामयाबी मिली।
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उनका कहना है कि जिले के प्रशासनिक पुलिस और मेडिकल के थ्री टियर प्रयास के साथ ही वहां की जनता ने भी सहयोग किया और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा।यही कारण था कि सरकार को कोरोना पर काफी हद तक नियंत्रण पाने में कामयाबी मिली।
स्वास्थ्य मंत्रालय भी इस मॉडल का मुरीद
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भी कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए भीलवाड़ा में किए गए प्रयास पसंद आए हैं। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बाबत राजस्थान चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव रोहित कुमार से जानकारी मांगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों का भी मानना है कि इस मॉडल को लागू करके कोरोना के संक्रमण के मामलों को काफी हद तक काबू में करने में कामयाबी मिल सकती है।
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दवाओं की भी जानकारी मांगी
इससे पहले स्वास्थ्य मंत्रालय ने जयपुर के एसएमएस अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव मरीजों के इलाज में दी गई दवाइयों के बारे में भी ब्योरा मांगा था। इन दवाइयों के इस्तेमाल से कई कोरोना पॉजिटिव मरीजों को ठीक किया गया है।
चर्चा का विषय बना भीलवाड़ा मॉडल
कोरोना संक्रमण के मामलों को रोक कर भीलवाड़ा इस समय पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि इस मॉडल ने यह दिखाया है कैसे कोरोना जैसे खतरनाक वायरस पक काबू पाया जा सकता है। यही कारण है कि अब इस मॉडल को देश में लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
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