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GST पर केंद्र की वादाखिलाफी से थम ना जाए प्रदेश में विकास के पहिए

कोरोना महामारी के दौर में आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने और कर संग्रह कम होने का खामियाजा आने वाले दिनों में राज्य सरकारों को विकास के मोर्चे पर चुकाना पड़ सकता है।

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Published on: 28 Aug 2020 7:33 PM GMT
GST पर केंद्र की वादाखिलाफी से थम ना जाए प्रदेश में विकास के पहिए
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जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य सरकारों को राजस्व कमी की भरपाई करने से साफ मना कर दिया है।

लखनऊ: कोरोना महामारी के दौर में आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ने और कर संग्रह कम होने का खामियाजा आने वाले दिनों में राज्य सरकारों को विकास के मोर्चे पर चुकाना पड़ सकता है। जीएसटी काउंसिल की बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्य सरकारों को राजस्व कमी की भरपाई करने से साफ मना कर दिया है। उन्होंने राज्य सरकारों को रिजर्व बैंक से कर्ज लेने अथवा बाजार से पूंजी जुटाने का सुझाव दिया है।

केंद्र सरकार ने 2017 में जब राज्यों की विक्रीकर प्रणाली को हटाकर एकीकृत वस्तु एवं सेवा कर व्यवस्था लागू की थी तो राज्य सरकारों से वादा किया गया था कि अगर नई व्यवस्था के तहत उनके राजस्व में कोई कमी आएगी तो केंद्र सरकार इसकी भरपाई करेगी। इसके लिए सरकार ने भरपाई उपकर भी लागू किया है। पिछले 2 साल के दौरान केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्य सरकारों को समय-समय पर भुगतान भी किया है हालांकि राज्य सरकारों का आरोप है कि केंद्र सरकार ने कई महीनों के बाद राज्यों को बकाया भुगतान किया है।

GST पर केंद्र की वादाखिलाफी से थम ना जाए प्रदेश में विकास के पहिए

पिछले दिनों पंजाब और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्रियों ने इस बारे में अपनी शिकायत भी दर्ज कराई है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर कहा कि अप्रैल और मई के लिए मिलने वाला 4135 करोड़ का मुआवजा उन्हें तत्काल दिलाया जाए जिससे कोरोना काल के बाद उपजी स्थितियों में सरकार के लिए काम करना आसान हो सके।

Finance Minister Nirmala Sitharaman in 41st GST Council meeting via video conferencing जीएसटी काउंसिल की 41वीं मीटिंग में वीडिया कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करतीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (फोटो: ट्विटर)

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राज्य सरकारों के इसी दबाव को देखते हुए जीएसटी काउंसिल की बैठक में समस्या का समाधान होने की उम्मीद की जा रही थी। बृहस्पतिवार को दिल्ली में राज्य सरकारों के साथ जीएसटी परिषद की 41 वीं बैठक में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया। उन्होंने बताया कि 2020 21 मई राज्यों की जीएसटी वसूली में 2.35 लाख करोड़ रुपए की कमी का अनुमान है। इस दौरान राज्यों को तीन लाख करोड़ की क्षतिपूर्ति की आवश्यकता होगी। इसमें से 65000 करोड़ रुपए सरकार को मुआवजा सेस से मिलने वाले हैं। कोरोना की वजह से बाजार प्रभावित हुआ है ऐसे में सभी लोगों पर प्रभाव पड़ रहा है।

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राजस्व में आने वाली कमी को राज्य चाहे तो बाजार से पूंजी जुटा कर पूरी कर सकते हैं। इसके लिए राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन अधिनियम के तहत दशमलव 5% से ज्यादा उधारी की छूट है। दूसरे विकल्प के तौर पर राज्य सरकारें रिजर्व बैंक से कम ब्याज पर 97 हजार करोड़ का कर्ज ले सकते हैं जिसका भुगतान जीएसटी क्षेत्र कोर्ट के 5 साल बीतने पर करना होगा। राज्य सरकारों को यह सुविधा 235000 करवाना की पूरी राशि के लिए भी मिल सकती है। बैठक में राजस्व सचिव अजय भूषण पांडे ने बताया कि केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2019 पीस में राज्यों को जस्टिस रिपोर्ट के तौर पर एक लाख 65 हजार करोड़ रुपए दिए हैं। इस दौरान फेस के जरिए केंद्र सरकार ने महज 95444 करोड रुपए ही जुटाए शेष 70 हजार करोड़ की राशि का भुगतान सीमा शुल्क सेस की मदद से किया गया। दो हजार अट्ठारह उन्नीस में भी केंद्र सरकार ने 69275 करोड़ की राशि का भुगतान जस्टिस रिपोर्ट के तौर पर राज्यों को किया था जबकि उसे 41146 करोड रुपए प्राप्त हुए थे।

GST गुड एंड सर्विस टैक्स काउंसिल ( फोटो: ट्विटर)

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राज्य सरकारें नहीं है तैयार

केंद्र के इस प्रस्ताव को मारने के लिए राज्य सरकारें तैयार नहीं हैं। गैर भाजपा शासित राज्य के मुख्यमंत्री चाहते हैं कि केंद्र सरकार उनके घाटे की भरपाई करें। जीएसटी लागू करते समय सरकार ने वादा किया था कि साल भर में जो भी टैक्स में कमी आएगी उसकी भरपाई की जाएगी। कोरोना बीमारी की वजह से लॉकडाउन लागू करना पड़ा आर्थिक गतिविधियां धीमी हुई इससे राज्य सरकारों के सामने भी समस्या उत्पन्न हुई है केंद्र सरकार को ऐसे में राज्य सरकारों की मदद करनी चाहिए। दूसरी ओर जानकार मानते हैं कि कोरोना की वजह से आर्थिक गतिविधियां अब तक सुचारू नहीं हो सकी हैं ऐसे में केंद्र सरकार के सामने भी आर्थिक संकट है । जीएसटी विशेषज्ञ एडवोकेट सुबोध श्रीवास्तव का कहना है कि इस वक्त केंद्र सरकार भी राज्यों की मांग पूरी करने में असमर्थ है। केंद्र सरकार अगर कोई दूसरा रास्ता नहीं तलाश ती है तो राज्यों को गंभीर आर्थिक संकट का सामना करना पड़ेगा और इसका असर विभिन्न क्षेत्रों में संचालित होने वाली उनकी योजनाओं और विकास कार्यो पर पड़ना तय है।

रिपोर्ट: अखिलेश तिवारी

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