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ट्रंप के चुनाव पर कोरोना का ग्रहण, लोगों के बढ़ते गुस्से से मुश्किल हुई राह

अमेरिका में दिन-प्रतिदिन गंभीर होते जा रहे कोरोना संकट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है। उनके सामने कोरोना संकट से जूझने के साथ ही आगामी नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी संभावनाओं को बचाने का दोहरा संकट खड़ा हो गया है।

Shivani Awasthi
Published on: 14 April 2020 3:29 AM GMT
ट्रंप के चुनाव पर कोरोना का ग्रहण, लोगों के बढ़ते गुस्से से मुश्किल हुई राह
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अंशुमान तिवारी

वाशिंगटन। अमेरिका में दिन-प्रतिदिन गंभीर होते जा रहे कोरोना संकट ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को बड़ी मुसीबत में डाल दिया है। उनके सामने कोरोना संकट से जूझने के साथ ही आगामी नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी संभावनाओं को बचाने का दोहरा संकट खड़ा हो गया है। अमेरिकी राजनीति के जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस राष्ट्रपति ट्रंप के दोबारा चुनकर आने के रास्ते में बड़ा रोड़ा बन गया है। कोरोना संकट की वजह से ट्रंप के संभावित डेमोक्रेट प्रतिद्वंद्वी और पूर्व अमेरिकी उपराष्ट्रपति जो बाइडेन के लिए अनुकूल स्थितियां बनती जा रहे हैं।

अमेरिका में भयावह हालात

अमेरिका में कोरोना संकट से हालात काफी भयावह स्थिति में है। वहां संक्रमण के मामलों के साथ ही मृतकों की संख्या में रोज काफी वृद्धि हो रही है। ट्रंप प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद कोरोना पर काबू नहीं पाया जा सका है। मृतकों की संख्या 23 हजार को पार कर गई है तथा मरीजों की संख्या में भी रोजाना बेतहाशा वृद्धि दर्ज की जा रही है। अमेरिका जैसे ताकतवर देश के कोरोना वायरस को काबू में न कर पाने के कारण ट्रंप प्रशासन की तीखी आलोचना की जा रही है।

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फरवरी तक अनुकूल थीं स्थितियां

अमेरिकी राजनीति के जानकारों का कहना है कि राष्ट्रपति ट्रंप के लिए फरवरी तक स्थितियां बिल्कुल अनुकूल थीं और शायद उनके लिए दोबारा चुनकर आना उतना कठिन नहीं होता। लेकिन कोरोना संकट के कारण मार्च के बाद स्थितियों में काफी बदलाव आया है। देश के मौजूदा हालात तो काफी भयावह हैं और कोरोना वायरस की महामारी ने अमेरिकी लोगों के साथ ही अर्थव्यवस्था को भी गहरी चोट पहुंचाई है।

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लोग मान रहे ट्रंप की लापरवाही

कोरोना वायरस के कहर के कारण अमेरिकी शेयर बाजार में रोजाना गिरावट दर्ज की जा रही है और लोगों को अभी तक भारी वित्तीय नुकसान हो चुका है। कोरोना के बेकाबू हो जाने को लोग ट्रंप प्रशासन की बड़ी लापरवाही मान रहे हैं और उनके मैनेजमेंट से खुश नहीं है। माना जा रहा है कि ट्रंप के प्रति लोगों की बढ़ रही है नाराजगी उनके दोबारा राष्ट्रपति बनने की संभावनाओं को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है।

चुनावी संभावनाओं पर पड़ेगा असर

टाइम मैगजीन के मुताबिक कोरोना संकट ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंचाई है और इसका ट्रंप की चुनावी संभावनाओं पर गहरा असर पड़ सकता है। कोरोना वायरस ने अमेरिका के बड़े उद्योगों को काफी हद तक प्रभावित किया है, तेल के दाम गिर रहे हैं, शेयर बाजार हिल चुका है और आर्थिक गतिविधियां ठप होने से देश में एक नए तरीके का वित्तीय संकट पैदा हो रहा है। इससे ट्रंप की दावेदारी प्रभावित होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।

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ट्रंप हार सकते हैं चुनाव

रिपब्लिकन पार्टी के नेता डोनर डैन एबेरहार्ट का कहना है कि कोरोना वायरस का अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला असर ट्रंप के दोबारा चुने जाने की संभावना को प्रभावित करेगा और हो सकता है कि वह दोबारा चुनकर न आ पाएं।

सरकार से नाराज हैं लोग

ट्रंप की अपनी ही रिपब्लिकन पार्टी के कुछ नेता मानते हैं कि कोरोना को लेकर सरकार के कदमों से लोगों में नाराजगी है। सरकार देश के लोगों को भरोसे में नहीं ले पाई। उनका यह भी मानना है कि ट्रंप प्रशासन ने कोरोना वायरस के खतरे को कम आंका और यही कारण है कि अमेरिका में कोरोना से स्थितियां लगातार गंभीर होती चली गई।

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चेतावनी को अनदेखा किया

अमेरिका के चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी ट्रंप को कोरोना वायरस को लेकर आगाह किया था। ट्रंप ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी को भी हल्के में लिया और लगातार इस संकट की अनदेखी करते रहे। कोरोना वायरस के सबसे बड़े केंद्र न्यूयार्क के मेयर का आरोप है कि ट्रंप प्रशासन ने कोरोना को कम आंकने की भूल की और पहले से कोई तैयारी नहीं की। इस कारण न्यूयार्क इसकी चपेट में आ गया और काफी संख्या में लोगों की मौत हुई। डेमोक्रेट पार्टी के इस मेयर का मानना है कि आने वाले चुनाव में निश्चित रूप से ट्रंप को इस लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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कोरोना का मसला आसान नहीं

जानकारों का यह भी कहना है कि कोरोना संकट का मामला काफी गंभीर है। यह उत्तर कोरिया और ईरान जैसा मामला नहीं है जिससे ट्रंप निपट लेंगे। पूरी दुनिया इस संकट से जूझ रही है और अमेरिका में जिस तरीके से इस वायरस ने पांव पसारा है, उससे ट्रंप के दोबारा चुने जाने की संभावनाओं पर निश्चित रूप से ग्रहण लगा है। महाभियोग की बाधा को भी सफलतापूर्वक पार करने वाले ट्रंप के लिए निश्चित रूप से कोरोना वायरस ने गंभीर चुनौती खड़ा कर दी है।

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आंतरिक चुनाव में मिले थे खूब वोट

जनवरी-फरवरी में हुए पार्टी के आंतरिक चुनाव में ट्रंप 94 फ़ीसदी वोट पाने में कामयाब हुए थे। वे इस मामले में बराक ओबामा से भी आगे निकल गए थे। ओबामा को 2012 में इलेक्शन से ठीक पहले अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी में 80 फ़ीसदी के आसपास ही समर्थन मिला था। हालांकि बाद में वे दोबारा अमेरिकी राष्ट्रपति चुने जाने में कामयाब हुए थे।

ट्रंप आंतरिक चुनाव में ओबामा से ज्यादा मत पाने के बावजूद दोबारा अपनी जीत की इबारत लिखने में कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं। जानकारों का कहना है कि कोरोना वायरस ने उनकी चुनावी संभावनाओं के रास्ते में एक बड़ी बाधा खड़ी कर दी है।

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