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ऐसे हुई राजीव गांधी की मौत, जिसे आज भी दुनिया नहीं भूली

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 29वीं पुण्यतिथी है। आज ही के दिन यानी 21 मई 1991 को एक आत्मघाती हमले में उनकी ह्त्या कर दी गई थी। राजिव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती विस्फोट हमले में कर दी गई थी।

Shreya
Published on: 21 May 2020 9:47 AM GMT
ऐसे हुई राजीव गांधी की मौत, जिसे आज भी दुनिया नहीं भूली
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लखनऊ: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की आज 29वीं पुण्यतिथी है। आज ही के दिन यानी 21 मई 1991 को एक आत्मघाती हमले में उनकी ह्त्या कर दी गई थी। राजिव गांधी की हत्या तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक आत्मघाती विस्फोट हमले में कर दी गई थी। चलिए आपको बताते हैं कि आखिर उस दिन क्या हुआ था।

21 मई 1991 को कैसे हुई राजीव गांधी की मौत

श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 को होने वाली राजीव गांधी की सभा की तैयारियां 20 मई से ही जोरो शोरो पर थीं। पूरी सभा में सुरक्षा प्रबंधों को संभालने की जिम्मेदारी थी आईजी आरके राघवन की। 17 मई को तमिलनाडु में राजीव गांधी की सभाओं की पुष्टि होने पर इंटेलिजेंस व अन्य एजेंसियों ने सुरक्षा की व्यवस्था करने के लिए अपनी कमर कस ली थी।

20 मई को सभा में शामिल होने वाली भीड़ को लेकर कड़े इंतजाम करने की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे। 21 मई की रात सभा में एक सब इंस्पेक्टर की इस टीम में 2 सुरक्षाकर्मी मेटल डिटेक्टर से लैस थे। इस टीम में लेडी सब इंस्पेक्टर अनुसूया भी शामिल थीं। लेडी सब इंस्पेक्टर अनुसूया के अलावा कई अन्य महिला सुरक्षाकर्मी भी सभा स्थल के रेड कारपेट एरिया के पास तैनात थीं। जो राजीव गांधी का स्वागत करने वाली महिलाओं की जांच करने के लिए थीं।

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आईजी राघवन ने जताई थी नाखुशी

सभा के इंतजाम और सुरक्षाकर्मियों की व्यवस्था देख रहे आईजी राघवन ने कई चीजों को लेकर अपनी नाखुशी जताई थी और लगातार वो निर्देश दे रहे थे। उन्होंने निर्देश के मुताबिक लकड़ी के बैरिकेड्स ना लगाने पर नाराजगी जताई थी। कांग्रेस के कुछ स्थानीय कार्यकर्ता भी पूरे इंतजाम में पुलिस और सुरक्षा एजेंसिंयों के साथ लगातार संपर्क में थे।

इसी बीच, वेन्यू पर एंट्री लेने के लिए उत्साहित महिलाओं की भीड़ में लता कानन देखी गईं, जो तमिलनाडु कांग्रेस की नेता मरागथम चंद्रशेखर की बेटी लता प्रियाकुमार की सहयोगी थीं। लता कानन कुछ समय पहले ही कांग्रेस कार्यकर्ता के रुप में पार्टी में शामिल हुई थीं। कानन वहां अपनी बेटी कोकिला के साथ थीं।

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कानन की बेटी कोकिला ने राजीव गांधी के लिए एक कविता लिखी थी और लता चाहती थीं कि उनकी बेटि उसका कविता को राजीव को सुनाएं। जब लता प्रियाकुमार वैन्यू पर पहुंची तो कानन ने उनसे कोकिला के लिए सिफारिश की। फिर प्रियाकुमार के कहने पर में कोकिला का नाम राजीव से मिलने वाले लोगों की लिस्ट में शामिल कर लिया गया। इसके बाद प्रियाकुमार इंदिरा गांधी की प्रतिमा के पास पहुंच गईं, जहां उन्हें राजीव का स्वागत करना था।

कानन के पीछे खड़ी देखी गई एक महिला

इस लिस्ट में 23 लोगों के नाम थे और इसमें केवल कोकिला ही लड़की थी बाकी सभी पुरुष थे। लता कानन का नाम भी इस लिस्ट में शामिल कर लिया गया था। वह भी राजीव गांधी का स्वागत करने वालों की सूची में शामिल थीं। वहीं कानन के पीछे एक महिला खड़ी हुई थी, जिसने चंदन का हार लिया हुआ था और चश्मा लगाया हुआ था। उसने नारंगी और हरे रंग का सलवार सूट पहना हुआ था। लेकिन शायद उस पर किसी का ध्यान नहीं गया। इसके साथ एक फोटोग्राफर पत्रकार हरिबाबू सहित तीन और साथी भी थे।

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राजीव गांधी के वेन्यू पर आने की हुई अनाउंसमेंट

श्रीपेरंबदूर में सभा में आखिरी वक्त में काफी गहमागहमी थी। राजीव गांधी के आने में देरी हो रही थी। लेडी सब इंस्पेक्टर अनुसूया कॉंस्टेबल के साथ रेड कारपेट के पास मौजूद थीं। उनके आसपास काफी भीड़ थी। बार-बार ऐलान हो रहा था कि राजीव किसी भी वक्त रैली के लिए पहुंच सकते। फिर अचानक एक अनाउंसमेंट हुई की किसी भी वक्त राजीव गांधी वैन्यू पर पहुंच रहे हैं। निर्देश जारी हुआ कि जिनका नाम स्वागत लिस्ट में है, वे स्टेज के पास रेड कारपेट एरिया में अपनी जगह ले लें।

रात 10 बजकर 10 मिनट पर राजीव गांधी कार से उतरकर स्टेज की ओर चल पड़े। स्टेज की ओर आते हुए राजीव गांधी को बेतहाशा भीड़ ने घेर रखा था। इसलिए कैमरे में ठीक से कुछ कैद भी नहीं हो पा रहा था तो फोटोग्राफर ने अपने कैमरे बंद कर लिए। राजीव गांधी पार्टी के पुरुष कार्यकर्ताओं द्वारा स्वागत सत्कार के बाद महिलाओं की लाइन की ओर बढ़े। पार्टी की कुछ महिला कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत सत्कार किया।

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राजीव गांधी के सामने बढ़ी वो महिला

कानन की बेटी कोकिला ने अपनी कविता शुरू की। कोकिला के ठीक पीछे चश्मे वाली महिला मौजूद थी, जो अगले कुछ ही पलों में राजीव की ओर आगे आई। लेडी सब इंस्पेक्टर अनुसूया ने उस महिला को रोकने की कोशिश की लेकिन राजीव ने महिला को ना रोकने का इशारा किया। इस पर अनुसूया पीछे हट गई और वह महिला राजीव के ठीक सामने पहुंच गई। महिला ने माला पहनाई, पैर छूने के लिए झुकी और उसके बाद जो हुआ वो सारी दुनिया के सामने था।

10 बजकर 20 मिनट पर राजीव गांधी की मौत

रात के 10 बजकर 20 मिनट, जैसे ही वह महिला नीचे झुकी, वैसे ही अचानक एक जोरदार धमाका हुआ और वहां आसपास खड़े सभी के चीथड़े उड़ गए। जहां राजीव खड़े थे, वहां और उसके आसपास खून, मांस और मानव अंगों के टुकड़े बिखरे पड़े थे। इस बम धमाके में राजीव, लता कानन, कोकिला, हरिबाबू, राजीव के निजी सुरक्षा अधिकारी और वो चश्मा लगाए महिला की मौके पर ही मौत हो गई।

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