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जरूरी जानकारी: क्या दिमाग पर भी पड़ रहा कोरोना वायरस का असर

इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है। दुनिया भर के तमाम देशों के वैज्ञानिक इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश में लगे हुए हैं।

Shreya
Published on: 9 April 2020 9:19 AM GMT
जरूरी जानकारी: क्या दिमाग पर भी पड़ रहा कोरोना वायरस का असर
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जरूरी जानकारी: क्या दिमाग पर भी पड़ रहा कोरोना वायरस का असर

नई दिल्ली: इस वक्त पूरी दुनिया कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझ रही है। दुनिया भर के तमाम देशों के वैज्ञानिक इस बीमारी के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश में लगे हुए हैं। कोरोना वायरस को लेकर अब तक किए गए शोध श्‍वसन तंत्र से संबंधित थे। अब कुछ नए रिसर्च और स्टडी की जा रही हैं, जिनमें ये पता लगाया जा रहा है कि क्या इस संक्रमण का मरीजों के दिमाग पर कोई असर पड़ता है? इनके चिंताजनक रिजल्ट सामने आए हैं।

सेंट्ल नर्वस सिस्‍टम पर डाल सकता है असर

कोरोना के चलते दिमाग पर पड़ने वाले असर को लेकर किए गए शोधों में इस बात के संकेत मिले हैं कि यह सेंट्ल नर्वस सिस्‍टम (CNS) पर भी असर डाल सकता है। मरिजों को वायरस के संक्रमण से ठीक होने के बाद भी CNS को हुए नुकसान से उबरने में लंबा वक्त लग सकता है। शोध में ये भी बात सामने आई है कि गंभीर मामलों में ये मौत की वजह भी बन सकता है। इस शोध को MedRxiv में प्रकाशित किया गया है, जिसकी पुष्टि वुहान के डॉक्टर्स द्वारा की गई है।

30 फीसदी मरीजों में दिखीं न्‍यूरोलॉजिकल परेशानियां

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन की हुआझोंग यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्‍नोलॉजी के यूनियन हॉस्पिटल में डिपार्टमेंट ऑफ न्‍यूरोलॉजी के डायरेक्‍टर डॉ. हू बो ने शोध रिसर्च के दौरान 214 नए मरीजों पर स्टडी की। इसमें से 30 फीसदी मरीजों में न्‍यूरोलॉजिकल परेशानियां दिखीं। शोध के लिए चुने गए मरीजों में 88 मरीज गंभीर रूप से बीमार थे।

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मरीजों को हो रहीं दिमाग से संबंधित परेशानियां

कोरोना वायरस की चपेट में आने वाले मरीजों में खांसी, जुकाम, सांस लेने में दिक्कत, न्यूमोनिया, सीने में जकड़न के लक्षणों के अलावा दिमाग से संबंधित परेशानियां भी हो रही हैं। डॉक्टर्स के मुताबिक, कोरोना के चलते दिमाग पर पड़ने वाले असर को इंसेफेलोपैथी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें दिमाग पर असर पड़ने के साथ-साथ सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता भी घट रही है।

अपना नाम तक नहीं बता पा रहे मरीज

एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक 74 वर्षीय मरीज को मार्च में अस्पताल लाया गया। उस समय मरीज को खांसी और बुखार की समस्या था। एक्स-रे रिपोर्ट में उसकी हालत सामान्य नजर आने के बाद मरीज को घर भेज दिया गया। अगर दिन उसे तेज बुखार होने पर फिर हॉस्पिटल लाया गया। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, साथ ही उसने होश भी खो दिया था। यहां तक की मरीज अपना नाम तक नहीं बता पा रहा था। बाद में टेस्ट में वह कोरोना से संक्रमित पाया गया।

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कई हिस्सों में पाई गई सूजन

इसके अलावा एयरलाइन में काम करने वाली 50 वर्षीय महिला कोरोना की चपेट में थी। मरीज के सिर में दर्द था। इसके अलावा उसको कंफ्यूजन की शिकायत भी थी। ये मरीज भी डॉक्टरों को अपना नाम नहीं पा रही थी। साथ ही वह समय को लेकर भी कन्फ्यूज दिखी। जब मरीज के दिमाग की स्कैनिंग की गई तो दिमाग के कई हिस्सों में सूजन पाई गई।

साथ ही इन सूजन वाले हिस्सों में कुछ डेड सेल्स भी पाई गईं। डॉक्टर्स ने इसे बहुत गंभीर बताते हुए एक्यूट नेक्रोटाइजिंग इंसेफेलोपैथी (ANE) नाम दिया। हेनरी फोर्ड हेल्थ सिस्टम की डॉक्‍टर एलिजा फोरी ने बताया कि इस महिला मरीज की हालत खराब है। इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि कुछ परिस्थितियों में यह वायरस सीधे दिमाग पर भी हमला कर सकता है।

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वायरस दिमाग पर बुरा असर डाल सकता है

कुछ अन्य देशों के डॉक्टरों का भी कहना है कि यह वायरस दिमाग पर बुरा असर डाल सकता है। इसके चलते कई मरीजो को पैरालिसिस, अंगों का सुन्न होना, ब्लड क्लॉटिंग जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल साइंस में इन्हें एक्रोपैरेस्थेशिया भी कहा जाता है। कुछ केसेस में तो मरीजों में बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने के लक्षण दिखाई देने से पहले ही उनकी दिमागी हालत बिगड़ गई। पीट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ मेडिसिन के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. शेरी एच. वाई चाऊ ने कहा कि इस संक्रमण के न्यूरो सिस्टम पर पड़ने वाले असर के बारे में अभी बहुत कुछ पता लगाना है।

ज्यादातर मरीजों की दिमागी हालत सामान्य रहती

वहीं कई एक्सपर्ट्स का ये भी कहना है कि कोरोना की चपेट में आने वाले मरीजों में से ज्यादातर मरीजों की दिमागी हालत सामान्य रहती है। इस बारे में अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। वहीं, एक रिसर्च पेपर में चीन के स्‍वास्‍थ्‍य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस श्वसन तंत्र तक ही सीमित नहीं रहता है। बल्कि ये कुछ मरीजों के दिमाग पर भी बुरा असर डालता है।

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