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देश की गुलामी में था इनका हाथ, इनकी गद्दारी से खौल जाएगा आपका खून
भारत देश की गुलामी के बारे में सभी भारतीय वाकिफ हैं। भारत काफी लंबे अरसे तक गुलाम रहा और कहीं न कहीं इसके पीछे भारत के ही गद्दारों का हाथ रहा था।
लखनऊ: भारत देश की गुलामी के बारे में सभी भारतीय वाकिफ हैं। भारत काफी लंबे अरसे तक गुलाम रहा और कहीं न कहीं इसके पीछे भारत के ही गद्दारों का हाथ रहा था। भारत में कुछ राजा ऐसे भी रहे जिनकी गद्दारी और देशद्रोह की वजह से देश को कई सालों तक अंग्रेजों की गुलामी में रहना पड़ा। इन गद्दार राजाओं ने देश भक्त वीरों को अंग्रेजों को हाथों मरवा दिया और देश को गुलामी की जंजीर में जकड़वा दिया। तो चलिए आपको बताते हैं ऐसे 4 राजाओं के बारे में जिन्होंने भारत के वीरों और देश के साथ गद्दारी की-
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मीर जाफर
अगर देश के गद्दार राजाओं की बात की जाए तो उसमें मीर जाफर का नाम जरूर आएगा। जिसने देश के साथ गद्दारी की और अग्रेजों से हाथ मिला लिया। मीर जाफर ने प्लासी के युद्ध में बंगाल के नवाब सिराजुद्दोला को हराकर बंगाल की सत्ता पर कब्जा कर लिया और सत्ता के लालच में अंग्रेजों की गुलामी करना स्वीकार कर लिया और अपने देश को गुलाम बनाने में अंग्रेजों की काफी मदद की।
राय बहादुर जीवन लाल
भारत रियासत के राजा राय बहादुर लाल भी देश के लिए देशद्रोही सिद्ध हुआ। राजा राय बहादुर लाल ने देश के साथ गद्दारी करते हुए अंग्रेजों के लिए अपने दरवाजे हमेशा खुले रखे। राजा राय बहादुर लाल के पिता राजा रघुनाथ बहादुर था, जो कि मुगलशासक औरंगजेब के मुख्यमंत्री रहे थे। राय बहादुर लाल ने मुगल सत्ता खत्म करने के इरादे से अंग्रजों से दोस्ती कर ली और अंग्रेजों की गुलामी करते हुए देश के साथ गद्दारी करता रहा।
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जीवाजी राव सिंधिया
जीवाजी राव सिंधिया भी देश के लिए देशद्रोही साबित हुए। 1857 की क्रांति के बाद उन्होंने न केवल अपनी सेना को अंग्रेजों के साथ खड़ा किया, देश के वीर बल्कि तात्या टोपे और लक्ष्मीबाई को अंग्रेजों के हाथों मरवा भी दिया था। देश से की गई इस गद्दारी और ब्रिटिश हुकूमत के लिए की गई वफादारी के चलते जीवाजी राव सिंधिया को अंग्रेजों ने नाइट्स ग्रैंड कमांडर का खिताब भी दिया था।
जयचंद
जयचंद की गद्दारी से तो सभी वाकिफ होंगे। वैसे तो राजपूती अपने वफादारी के लिए जाने जाते हैं लेकिन ये राजपूत अपने गद्दारी के लिए जाना जाता है। जयचंद ने संयोगिता से शादी न हो पाने और पृथ्वीराज चौहान से मिली करारी हार के चलते मोहम्मद गौरी से हाथ मिला लिया और आक्रमण करने के लिए बुलाया। दोनों ने मिलकर पृथ्वीराज चौहान को मौत के घाट उतार दिया था।
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