इतने रईस हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए कितनी है संपत्ति

ज्योतिरादित्य आज से भगवा हो गए हैं, उन्होंने BJP का दामन थाम लिया है। सिंधिया अपने इस फैसले के साथ ही हर तरफ चर्चा बिटोर रहे हैं। राजघराने के बेटे ने अपने इस फैसले से अपनी दादी की ख्वाहिश भी पूरी कर दी है।

Shreya
Published on: 11 March 2020 11:02 AM GMT
इतने रईस हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए कितनी है संपत्ति
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इतने रईस हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया, जानिए कितनी है संपत्ति

लखनऊ: ज्योतिरादित्य सिंधिया आज से भगवा हो गए हैं, उन्होंने BJP का दामन थाम लिया है। सिंधिया अपने इस फैसले के साथ ही हर तरफ चर्चा बिटोर रहे हैं। राजघराने के बेटे ने अपने इस फैसले से अपनी दादी की ख्वाहिश भी पूरी कर दी है, क्योंकि वो चाहती थी कि उनका पूरा परिवार BJP में भी शामिल हो। अब उन्होंने 18 साल बाद कांग्रेस में रहने के बाद BJP ज्वाइन कर ली है। उनका कहना है कि अब कांग्रेस पहले जैसी नहीं रही और उस संगठन में रहकर जनसेवा का लक्ष्य पूरा नहीं हो सकता।

राजघराने से ताल्लुक रखते हैं ज्योतिरादित्य सिंधिया

ज्योतिरादित्य एक राजघराने से ताल्लुक रखते हैं और उनका लगभग पूरा परिवार राजनीति का हिस्सा रहा है। चाहे उनकी दादी हों, बुआ हों या उनके पिता माधव राव। आज हम आपको राजघराने से ताल्लुक रखने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रॉपर्टी के बारे में बताने जा रहे हैं।

संपत्ति को लेकर चल रहा विवाद

इस घराने में संपत्ति को लेकर गंभीर विवाद चल रहा है। जो कि 30 साल पहले साल 1990 में शुरू हुआ था। ये विवाद करीब 40 हजार करोड़ की संपत्ति पर है और संपत्ति को लेकर ये विवाद ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनकी तीनों बुआ के बीच जारी है। हालांकि साल 2017 में ज्योतिरादित्य की तरफ से इस मामले को कोर्ट के बाहर निपटाने के लिए निवेदन किया जा चुका है। हालांकि अभी तक संपत्ति को लेकर चल रहे विवाद पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।

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आजादी के बाद 100 से भी ज्यादा कंपनियों के थे शेयर

जानकारी के मुताबिक, आजादी के बाद सिंधिया परिवार के पास लगभग 100 से भी ज्यादा कंपनियों के शेयर थे। इसमें बॉम्बे डाइंग के 49 फीसदी शेयर भी शामिल हैं। इस परिवार के सिर्फ ग्वालियर में करीब 10 हजार करोड़ रूपये की संपत्ति है। इस संपत्ति में कई महल जैसे जय विलास, सख्य विलास, सुसेरा कोठी, कुलेठ कोठी भी शामिल हैं। वहीं मध्य प्रदेश में इस घराने की करीब 3 हजार करोड़ रूपये की संपत्ति बताई जा रही है। इसमें शिवपुरी के कई महल और उज्जैन का एक महल शामिल है।

दिल्ली, यूपी और मुंबई में भी बेशुमार संपत्ति

वहीं इस परिवार का दिल्ली में लगभग 7 हजार करोड़ रूपये की संपत्ति है। जिसमें ग्वालियर हाउस, सिंधिया विला और राजपुर रोड में स्थित एक प्लॉट भी शामिल है। वहीं यूपी में भी इस परिवार के पास काफी अच्छी-खासी संपत्ति है। यूपी के वाराणसी में परिवार के पास पद्म विलास नाम का एक महल है। गोवा में भी संपत्ति है। मुंबई की बात करें तो वहां परिवार के पास करीब 1200 करोड़ रूपये की संपत्ति है।

संपत्ति पर बुआ यशोधरा राजे ने ठोंका दावा

राजमाता विजयाराजे सिंधिया के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया की तीन बहनों ऊषा राजे, वसुंधरा राजे और यशोधरा राजे में से जानकारी के मुताबिक यशोधरा राजे ने दावा ठोंका है। माधवराज सिंधिया की सबसे बड़ी बहन ऊषा राजे शादी के बाद वो नेपाल में ही जाकर बस गईं, वहां उनके पास काफी संपत्ति है। वहीं वसुंधरा राजे की शादी धौलपुर राज घराने में हुई है और उनके पास भी अच्छी खासी संपत्ति है।

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BJP से विधायक हैं यशोधरा राजे

लेकिन यशोधरा राजे की शादी लंदन में बेस्ड एक डॉक्टर से हुई थी, जिसके बाद वो वहां ही जाकर रहने लगीं। फिर अपने पति के साथ तलाक होने के बाद वो मध्य प्रदेश वापस आ गईं। मौजूदा समय में वो शिवपुरी से भारतीय जनता पार्टी की विधायक (MLA) हैं।

केवल ज्योतिरादित्य और उनके पिता ही कांग्रेस में रहे

अगर इस राजघराने के इतिहास को समझा जाए तो इस राजघराने में अधिकांश लोगों ने बीजेपी ज्वाइन की, लेकिन केवल माधव राव सिंधिया और ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही कांग्रेस का दामन थामा। जीवाजी राव सिंधिया, राजमाता विजयाराजे, यशोधरा राजे सिंधिया और राजस्थान में वसुंधरा राजे ने हिंदू महासभा, जनसंघ और अब बीजेपी में रहकर कांग्रेस विरोधी राजनीति की।

राजामाता का राजनीतिक सफर कांग्रेस से ही शुरू हुआ

राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत कांग्रेस से ही की थी, लेकिन 10 सालों में उन्होंने इस पार्टी का हाथ छोड़ जनसंघ में शामिल हो गईं। 49 साल की उम्र में जीवाजी राव के निधन के बाद राजमाता ने अपने अकेले के बलबूते पर रियासत, परिवार और राजनीति संभाली। बीजेपी की तरफ से राजमाता के राजनीतिक विरासत को भाई ध्यानेंद्र सिंह, भाभी माया सिंह, बेटी वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया ने आगे बढ़ाया, जबकि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपने पिता की मृत्यु के बाद कांग्रेस की ओर से उनकी विरासत को आगे बढ़ाया।

मां से अलग हो गए माधव राव

हालांकि कांग्रेस ज्वाइन करने से पहले माधव राव अपनी मां के ही साथ जनसंघ में रहे, लेकिन 1977 में इमरजेंसी के बाद उन्होंने अपने रास्ते जनसंघ और अपनी मां विजयाराजे सिंधिया से अलग कर लिये। फिर साल 1980 में माधवराव सिंधिया ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीत हासिल कर केंद्रीय मंत्री बने।

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पार्टी में की थी संपत्ति के बंटवारे की बात

12 अक्टबर 1980 को राजमाता के 60वें जन्मदिन के मौके पर एक पार्टी का आयोजन किया गया, जहां पर उन्होंने अपने बेटे माधव राव से संपत्ति के बंटवारे को लेकर बात रखी। बस वहीं से मां और बेटे के रिश्तों में दरार हो गई। ये खाई इतनी गहरी होती गई कि माधवराज अपनी मां के बीमारी के समय भी उनसे मिलने नहीं पहुंचे।

माधवराव और ज्योतिरादित्य को संपत्ति से किया बेदखल

25 जनवरी 2001 को राजमाता के निधन के बाद ये बात सामने आई की उन्होंने अपनी वसीयत से माधव राव और ज्योतिरादित्य को अरबों की संपत्ति से बेदखल करने की बात कही थी। वसीयत में उन्होंने अपनी बेटियों को तमाम जेवरात और अन्य कीमती चीजें दी थीं और संभाजी राव आंगरे को विजयाराजे सिंधिया ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया था।

अंतिम संस्कार में ना शामिल होने की कही थी बात

मां-बेटे के बीच रिश्ते इतने खराब हो गए थे कि राजमाता ने उन्होंने माधव राव से ग्वालियर के जयविलास पैलेस में रहने के लिए 1 रूपये एक साल का किराया भी मांग लिया था। राजमाता अपने बेटे से इतनी नाराज हो गई थीं कि उन्होंने अपने हाथों से लिखी वसीयत में माधव राव को अंतिम संस्कार में आने से भी मना कर दिया था। हालांकि माधव राव ने ही राजमाता का अंतिम संस्कार किया था। बता दें कि माधव राव अपने माता-पिता के इकलौेते बेटे थे। चार भाई-बहनों में वो तीसरे नंबर पर थे।

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