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भीलवाड़ा से कम नहीं पुणे मॉडल, आपके क्षेत्र में भी हो सकता है लागू

कोरोना वायरस को लेकर भीलवाड़ा मिसाल बन गया है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भीलवाड़ा का नाम आगे हैं, लेकिन अब भीलवाड़ा के बाद पुणे मॉडल की भी चर्चा शुरू हो गयी है।

Shivani Awasthi
Published on: 8 April 2020 6:11 PM GMT
भीलवाड़ा से कम नहीं पुणे मॉडल, आपके क्षेत्र में भी हो सकता है लागू
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लखनऊ: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच राजस्थान का भीलवाड़ा मिसाल बनता जा रहा है। कोरोना के खिलाफ लड़ाई में भीलवाड़ा का नाम आगे हैं। अन्य सरकारें व् प्रशासन भीलवाड़ा मॉडल को लागू कर अपने अपने राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने का प्रयास कर रही हैं लेकिन अब भीलवाड़ा के बाद पुणे मॉडल की भी चर्चा शुरू हो गयी है। इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने पुणे मॉडल की तारीफ़ की भी है।

क्या है पुणे मॉडल

भारत में कोरोना के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं। ऐसे में यहां का पुणे शहर चर्चा में हैं। कोरोना मरीजों के बढ़ते आंकड़े को लेकर नहीं, बल्कि संक्रमण से निपटने के लिए बेहतरीन काम करने के लिए।

दरअसल, पुणे ने 35 किलोमीटर के दायरे को कंटिजेंट करके, उस दायरे में हर घर का कम्युनिटी वर्करों से सर्वे कराया। इसके बाद जहां संभावित लक्षण मिले, उनको निगरानी में रखा गया है।

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कई प्रभावित जिलों में भी हो सकता है लागू

स्वास्थ्य मंत्रालय और वैज्ञानिकों के मुताबिक, कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए ये एक बेहतरीन फार्मूला है। इस फार्मूले को और भी कई प्रभावित जिले या राज्य अपना सकते हैं।

क्या है भीलवाड़ा मॉडल

बता दें कि इसके पहले राजस्थान के भीलवाड़ा मॉडल को भी काफी सराहा गया। यहां कोराना पॉजिटिव मरीजों की एक चेन बन गई थी।भीलवाड़ा को इटली की तरह कहा जाने लगा था, लेकिन सरकार और प्रशासन के प्रयासों से आज वही शहर देशभर के लिए नजीर साबित हो रहा है।

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भीलवाड़ा मॉडल में क्या ख़ास

भीलवाड़ा जिले को लॉकडाउन करके घर-घर में सर्वे कर लोगों को चिन्हित किया गया और कोरोना संक्रमण रोकने के लिए बेहतरीन कदम उठाए गए। भीलवाड़ा पुलिस ने 20 मार्च को पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया। सारे रास्ते सील कर दिए गए। शहर के सभी कारखानों को बंद करवा दिया और किसी भी फैक्ट्री के मजदूर को शहर से बाहर नहीं निकलने दिया गया।

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बता दें कि कोरोना जैसा कोई भी वायरस 3 किलोमीटर के एरिया फोकल प्वाइंट में होता है और 5 किलोमीटर का दायरा बफर जोन माना जाता है। इसके बाद तय करना होता है कि उस वायरस का किस तरह से इलाके में फैलाव है। इस आधार पर कोई भी एरिया का दायरा तय किया जा सकता है। भीलवाड़ा में इसी फॉर्मूले से कोरोना को बढ़ने से रोका गया।

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Shivani Awasthi

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